एलएलआर में ढाई माह से दवाओं की सप्लाई बंद
दवा कंपनी ने रेट कांट्रैक्ट होने के बाद सिर्फ एक बार की आपूर्ति, नोटिस के बाद एल-2 रेट पर दवा खरीद की अनुमति को भेजा पत्र
जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में दवाओं की सप्लाई में दवा कंपनी फेल हो गई है। आर्डर देने के ढाई माह बाद भी दवाओं की सप्लाई न होने से मरीजों की परेशानी बढ़ रही है। अस्पताल प्रशासन ने कंपनी को रिमाइंडर देने के बाद रेट कांट्रैक्ट (आरसी) के एल-2 रेट पर दवा खरीद की अनुमति प्राचार्य एवं वित्त नियंत्रक से मांगी है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल में दवा सप्लाई के लिए केयर मैक्स फार्मुलेशन, हेल्थ बायोटेक एवं यूरो लाइफ से रेट कांट्रेक्ट है। आरसी में 80 फीसद दवाएं केयर मैक्स फार्मुलेशन की ही हैं। इस कंपनी ने रेट कांट्रेक्ट के बाद सिर्फ एक बार ही डेक्सऑन नार्मल स्लाइन की 20 हजार बोतलों की आपूर्ति की है। तब से आर्डर देने के बाद भी आपूर्ति नहीं कर सकी है। औषधि भंडार के चीफ फार्मासिस्टों ने हेल्थ बायोटेक को एंटीबायोटिक इंजेक्शन क्लींडामाइसिन, एजिथ्रोमाइसिन समेत कई दवाओं के आर्डर दिए हैं। इसी प्रकार यूरो लाइफ को ब्लड प्रेशर के मरीजों को चलने वाली कोलेस्ट्राल की दवा एटा वास्टन एवं इंजेक्शन 5 फीसद साल्यूशन डेक्सटोज समेत कई इंजेक्शन एवं दवाओं के आर्डर दिए गए हैं। केयर मैक्स फार्मुलेशन को एंटीबायोटिक इंजेक्शन विंकोमाइसिन, मनोरोग की दवा रेस्प्रीडॉन एवं बेहोशी का इंजेक्शन न्यूस्टेगमिन, दर्द निवारक दवा सेरियोपेपरिडेज एवं मेट्रोजिल समेत कई दवाओं की आपूर्ति का आर्डर दिया गया है। ढाई माह से अधिक समय होने के बाद भी कंपनी ने सप्लाई नहीं की है। इन फार्मा कंपनियों की फैक्ट्रियां उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अगर आपूर्ति देना होता तो 15 दिन में ही आ जाती। इनकी मंशा समझ में नहीं आ रही है।
20 दिन से एफसी के पास फाइल
दवा आपूर्ति में फेल कंपनियों को नोटिस देते हुए मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल प्रशासन ने सेकेंड लोएस्ट के रेट मांगे हैं। इसकी फाइल 20 दिन से वित्त नियंत्रक (एफसी) के पास अटकी है। उनके अनुमति न देने पर अस्पताल प्रशासन ने प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार को अवगत कराया है।
60 दिन का समय बना मुसीबत
टेंडर में कंपनियों को दवा आपूर्ति के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। ऐसे में 60 दिन तक इंतजार करना पड़ता है। इसका फायदा कंपनियां उठा रही हैं, जबकि अस्पताल में दवाओं की किल्लत शुरू हो जाती है। खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।
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ढाई महीने पहले आर्डर देने के बाद भी कंपनियां दवा आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। समय अवधि पूरी होने के बाद नोटिस दिया गया है। वित्त नियंत्रक से एल-2 के रेट मांगे गए हैं।
-डॉ. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक एलएलआर अस्पताल