हैलट अस्पताल में 75 वर्षों बाद हुआ कुछ ऐसा कि मरीजों को भूखे पेट पड़ा रहना Kanpur News
राशन खत्म होने पर गुरुवार को अस्पताल की रसोई घर में नहीं बना खाना 1944 से लगातार बन रहा है।
कानपुर, जेएनएन। एलएलआर (हैलट) व उससे संबद्ध अस्पतालों में 75 वर्षों में पहली बार मरीजों को खाना नहीं मिला। राशन खत्म होने पर गुरुवार को रसोईघर का ताला ही नहीं खुला। अस्पताल प्रशासन ने रसोईघर में कार्यरत कर्मचारियों को दूसरी जगह तैनात कर दिया है।
हैलट अस्पताल की बेड क्षमता 1055, अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में 235 बेड और बाल रोग चिकित्सालय में 124 बेड हैं। उनकी कुल बेड क्षमता 1414 है। इन अस्पतालों में औसतन 90 फीसद मरीज भर्ती रहते हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इलाज करने वाले डॉक्टर की सलाह पर नाश्ते से लेकर भोजन देने का प्रावधान है। इसके लिए शासन से बजट मुहैया कराया जाता है। वर्ष 1944 से लेकर अब तक मरीजों का भोजन कभी बंद नहीं हुआ। वित्तीय वर्ष 2019-20 में अस्पताल को भोजन मद में 60 लाख रुपये मिले थे, जो एक माह पहले ही खत्म हो गया था। ऐसे में किसी तरह राशन का प्रबंधन कर काम चल रहा था। बुधवार को राशन खत्म होने पर मरीजों को रात का भोजन दिया गया लेकिन सुबह से अस्पताल प्रशासन ने ही हाथ खड़े कर दिए, जिससे गुरुवार को मरीजों को भोजन नहीं मिला है।
सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना
सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने आदेश दिया था कि अस्पतालों में भर्ती मरीज के साथ एक तीमारदार को भी भोजन दिया जाए। कोर्ट के आदेश के बाद शासन ने आनन-फानन आदेश जारी कर फरवरी 2019 से हैलट में भर्ती मरीज एवं एक तीमारदार को भोजन देने की व्यवस्था शुरू कराई। शासन ने शुरुआत में तमाम प्रस्ताव मांगे लेकिन बजट नहीं बढ़ाया। राशन खत्म होने पर भोजन बंद होना एक तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
एक अक्टूबर से दूध है बंद
अस्पताल में भर्ती मरीजों को आधा लीटर बिना क्रीम का दूध दिया जाता था। बजट खत्म होने पर एक अक्टूबर से मरीजों को दूध मिलना बंद हो गया था। इससे अस्पताल प्रशासन ने शासन को अवगत कराया था।
स्वंयसेवी संस्थानों से लगाई गुहार
मरीजों एवं तीमारदारों के लिए भोजन का बंदोबस्त करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने स्वयंसेवी संस्थानों से मदद मांगी है। इसके लिए तीन चार संगठनों से बात भी चल रही है।
इनका ये है कहना
रामरोटी वालों से बातचीत हुई है। उनसे लावारिस मरीजों के लिए भोजन का इंतजाम कराया है। अस्पताल में खाना बंद होने की जानकारी प्राचार्य एवं महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को दे दी है।
- प्रो. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक, हैलट अस्पताल।
शासन को बजट खत्म होन की जानकारी पहले दी थी, जब दूध बंद हुआ था। मार्च 2020 तक मरीजों-तीमारदारों को भोजन मुहैया कराने के लिए 60 लाख रुपये मांगे हैं।
- प्रो. आरती लालचंदानी, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।