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जले-झुलसे मरीजों के जख्मों पर 'नमक'

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में आग या एसिड से जले और झुलसे मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 01:40 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 02:58 AM (IST)
जले-झुलसे मरीजों के जख्मों पर 'नमक'
जले-झुलसे मरीजों के जख्मों पर 'नमक'

जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में आग या एसिड से जले और झुलसे मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं है। ऐसे में इलाज की जगह अव्यवस्था का दर्द उनके घावों में नमक लगाने का काम करता है। इस समस्या से निजात के लिए सालभर पहले प्लास्टिक एवं बर्न यूनिट की स्थापना की कवायद शुरू हुई, जो अब फाइलों में दफन हो कर रह गई है।

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सूबे में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू, लखनऊ) में ही प्लास्टिक एवं बर्न विभाग है। सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज जीएसवीएम में सिर्फ बर्न वार्ड है। सुविधाएं और संसाधन नहीं होने से यहां भर्ती मरीजों को संक्रमण का खतरा रहता है। इसे देखते हुए प्राचार्य ने राज्य सरकार के माध्यम से प्रस्ताव भेजा था। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्लास्टिक एवं बर्न यूनिट की स्थापना के लिए सहमति प्रदान कर दी। अक्टूबर 2017 में 6.75 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए। बजट मिलने के बाद प्राचार्य ने यूनिट के लिए आर्थोपेडिक विभाग के वार्ड-18 के पीछे की भूमि चिह्नित की।

तीन मंजिला भवन का तैयार कराया प्रस्ताव

योजना का नोडल अफसर सर्जरी विभाग के प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रेम शंकर को नोडल अफसर बनाया गया था। कार्य की निगरानी का जिम्मा सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय काला को था। उन्होंने जेई सिविल अरविंद कुमार और राजकीय निर्माण निगम (आरएनएन) के अभियंताओं के साथ मिलकर तीन मंजिला भवन का प्रस्ताव तैयार कराकर अनुमति के लिए शासन को भेजा है जो एक साल से लंबित है।

सूबे की होगी दूसरी यूनिट

देश में सबसे अच्छी प्लास्टिक और बर्न यूनिट दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल और लखनऊ के केजीएमयू में है। इसी तर्ज पर सूबे की दूसरी प्लास्टिक और बर्न यूनिट जीएसवीएम में भी बनेगी।

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ये होंगी सुविधाएं

बिल्डिंग : भूतल, प्रथम तल, द्वितीय तल

30 बेड का प्लास्टिक सर्जरी विभाग का वार्ड

बर्न के लिए 6 बेड का आइसीयू

बर्न के लिए 6 बेड का एचडीयू

एक मॉड्यूलर आपरेशन थियेटर

एक लिफ्ट और रैंप भी बनेगा

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बोले जिम्मेदार

भवन निर्माण के लिए चार करोड़ और उपकरणों के लिए 1.5 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। प्रस्ताव शासन को भेजा है। शासन ने कुछ आपत्ति जताई है। फिर से संशोधित प्रस्ताव तैयार करा रहे हैं।

-डॉ. नवनीत कुमार, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।


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