बसें दौड़ाने में पीछे हटी आधी आबादी, रोडवेज को नहीं मिली एक भी महिला चालक
कामर्शियल वाहनों की ट्रेनिंग के लिए किसी महिला ने नहीं किया आवेदन सखी बस सेवा भी हो रही है प्रभावित।
कानपुर, जागरण स्पेशल। हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदमताल कर रही आधी आबादी को बसें दौड़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है। यही वजह है कि सरकार की महिलाओं को बसों की स्टेयरिंग पकड़ाने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसका कारण कामर्शियल व भारी वाहनों को चलाने की ट्रेनिंग लेने के लिए महिलाओं का आगे न आना है। उप्र परिवहन निगम के विकास नगर स्थित प्रशिक्षण संस्थान में आज तक एक भी महिला भारी वाहनों को चलाने का प्रशिक्षण लेने के लिए नहीं पहुंची।
आठ साल पहले शुरू की गई थी ये सेवा
महिलाओं के बस चलाने के के लिए आगे न आने का सीधा असर सखी बस सेवा के संचालन पर पड़ा है। आठ वर्ष पूर्व इस सेवा को शुरू किया गया था। प्रशिक्षण लेने वालीं महिलाओं को रोडवेज की सिटी बसों के संचालन की कमान सौंपे जाने की योजना थी, लेकिन आज तक किसी भी महिला ने कामर्शियल वाहन चलाने का प्रशिक्षण न लेने और ड्राइविंग लाइसेंस न बनवाने से योजना धरी की धरी रह गई।
बता दें कि, इस योजना के तहत महिलाओं को बस चलाने की एक साल की ट्रेनिंग दी जानी थी। ट्रेनिंग के दौरान हर महीने दो हजार रुपये भत्ता देने का प्रावधान था। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद उनको रोडवेज में संविदा कर्मी के तौर पर नियुक्ति दी जानी थी।
इनका ये है कहना
प्रशिक्षण संस्थान में किसी भी महिला ने न तो कामर्शियल वाहन वाहन चलाने की ट्रेनिंग ली है और न ही किसी ने इसके लिए आवेदन किया है।
-एसपी सिंह, प्रधानाचार्य, प्रशिक्षण संस्थान उप्र परिवहन निगम