सीएसए कृषि विश्वविद्यालय ने इजाद किया आजाद, केंद्रीय बीज श्रृंखला में भी मंजूर
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में राई व सरसों की जल्द पकने और अधिक तेल देने वाले बीज की आजाद प्रजाति का उत्पादन किया है। इससे अब किसानों को बंपर पैदावार मिलने से उनकी आय भी बढ़ेगी।
कानपुर, जेएनएन। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने राई व सरसों की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जो कम समय में पकने के साथ तेल भी अधिक देंगी। विश्वविद्यालय में इजाद की गई 'आजाद महक' अथवा 'केएमआर' ई 15-2 व सरसों की 'आजाद चेतना' अथवा टीकेएम-14-2 प्रजातियां अब किसानों के खेतों तक पहुंचेंगी। यह दोनों प्रजातियां केंद्रीय बीज श्रृंखला में आ गई हैं।
सीएसए में विकसित की गई राई की आजाद महक प्रजाति महज 120 से 125 दिन में पककर 24 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। इसमें 42.2 फीसद तक तेल निकलता है। आजाद चेतना की उपज 12 से 14 कुंतल प्रति हेक्टेयर है, जबकि यह 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसमें भी तेल की मात्रा 42.4 फीसद तक हो सकती है। राई व सरसों की आम प्रजातियों में तेल की मात्रा अधिकतम 39 फीसद तक ही होती है। इन प्रजातियों को बीज एवं फसल उत्पादन की श्रेणी में शामिल किए जाने के बाद अब इन्हें किसानों के खेतों तक भेजे जाने की तैयारी है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में हुई बैठक में इन प्रजातियों को शामिल कर बीज एवं फसल उत्पादन के लिए स्वीकृति दे दी गई। इन प्रजातियों की खासियत यह है कि किसी एक प्रदेश व एक जलवायु के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए मुफीद हैं। विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. महक ङ्क्षसह ने बताया कि राई की आजाद महक प्रजाति पर अधिक तापमान का असर नहीं पड़ता है। यह अगेती बुवाई के लिए उत्तम है। राई व सरसों की इन प्रजातियों की एक खासियत यह भी है कि दोनों अल्टरनरिया झुलसा व सफेद गेरुई रोग प्रतिरोधी है। यह प्रजातियां पीली क्रांति में अहम योगदान देंगी।