चैरिटेबल ट्रस्ट और संस्थाओं के लिए आयकर का नया नियम लागू, वरना निरस्त हो सकता है पंजीकरण
अभी तक पंजीयन लेने के बाद करमुक्ति वाली संस्थाएं नवीनीकरण नहीं कराती थीं लेकिन अब संस्थाओं के ठीक से कार्य न करने की शिकायत के चलते व्यवस्था में बदलाव कियागया है और उन्हें तीन माह के अंदर नवीनीकरण कराना होगा।
कानपुर, जेएनएन। अभी तक पंजीयन कराने के बाद तमाम बंधनों से खुद को मुक्त मानने वाली करमुक्त संस्थाओं को 31 दिसंबर तक अपने पंजीकरण का नवीनीकरण कराना होगा। एक अक्टूबर से यह कार्य शुरू हो गया है। करमुक्त संस्थाओं की शिकायतों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इसके चलते आयकर विभाग के अधिकारियों पर कार्य का दबाव बढऩे जा रहा है।
चैरिटेबिल ट्रस्ट या संस्थाओं को करदाता से धारा 80जी के तहत दान पाने का अधिकार है। इस दान पर आयकर में छूट मिलती है। चैरिटेबिल ट्रस्ट एवं करमुक्त संस्थान शहर में कई हजार की संख्या में अस्पताल, विद्यालय, कॉलेज व शिक्षण संस्थान चला रहे हैं। अभी तक इन संस्थानों के पंजीयन के नवीनीकरण की व्यवस्था लागू नहीं है लेकिन यदि संस्था अपने उद्देश्यों का दुरुपयोग करती है तो आयकर आयुक्त उसका पंजीयन समाप्त कर सकते हैं। अब एक अक्टूबर से नया निर्देश लागू हो गया है जिसके तहत देश भर की ऐसी सभी संस्थाओं को अपने पंजीयन का नवीनीकरण कराना होगा।
राष्ट्रीय स्तर पर इन संस्थानों का एक रजिस्टर रखा जाएगा। इलेक्ट्रॉनिकली ऑनलाइन यूआरएन (यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर) आवंटित किया जाएगा। नया पंजीयन प्रमाणपत्र दाखिल करने से तीन माह में आयकर आयुक्त को उसका निस्तारण करना होगा। इससे अगले तीन माह कार्य का भार बहुत ज्यादा होगा क्योंकि जितनी भी ऐसी संस्थाएं अस्तित्व में हैं सभी को अपने पंजीयन का नवीनीकरण कराना है। यह अनुमोदन पांच वर्ष के लिए प्रभावी होगा।
इसके साथ ही संस्थाओं को प्राप्त दान का हिसाब रखना होगा। दान प्रमाणपत्र दानदाताओं को ऑनलाइन जारी करने होंगे। ये दान प्रमाणपत्र टीडीएस प्रावधानों की तर्ज पर जारी होंगे। नियमों का उल्लंघन करने पर संस्थान को भारी अर्थदंड का सामना करना पड़ेगा। सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन दीप कुमार मिश्रा ने कहा कि आयकर अधिकारियों पर इसका बोझ बढ़ेगा। कानपुर में पहले करमुक्ति आयुक्त बैठते थे लेकिन अब लखनऊ मेें आयुक्त बैठते हैं, इसलिए कानपुर में आयुक्त तैनात करने के लिए वित्त मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं।