NCTE ने दी चेतावनी, CSJMU Kanpur के शिक्षा संकाय समेत 362 कॉलेजों की मान्यता खतरे में!
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन ने जरूरी प्रपत्र न जमा करने वाले कॉलेजों को कार्रवाई की चेतावनी देते हुए एक माह का समय दिया है। प्रपत्र में जमीन और शिक्षकों के ब्योरे समेत अन्य जानकारियां मांगी गई हैं।
कानपुर, जेएनएन। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की उत्तर क्षेत्रीय समिति ने अपने अंतर्गत आने वाले देशभर के ऐसे बीएड, एमएड और बीटीसी कॉलेजों को मान्यता समाप्त किए जाने की चेतावनी दी है, जिन्होंने अपने जरूरी प्रपत्र नहीं जमा किए हैं। इसमें छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के शिक्षा संकाय समेत उससे संबद्ध 362 कॉलेज शामिल हैं। महीने भर के अंदर प्रपत्र दिखाने के साथ ही उन्हें जमा भी करना है। जो कॉलेज प्रपत्र नहीं दिखा पाएंगे, उनकी मान्यता समाप्त की जा सकती है। एनसीटीई की ओर से यह नोटिस वेबसाइट पर डाले जाने के बाद से कॉलेजों में हलचल है।
सीएसजेएमयू परिसर में संचालित शिक्षा संकाय, उससे संबद्ध सरकारी व सहायता प्राप्त बीएड, एमएड व बीटीसी कॉलेजों के साथ ही स्ववित्तपोषित महाविद्यालय भी इस सूची में शामिल हैं। एनसीटीई ने एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रपत्रों के निरीक्षण की रिपोर्ट के बाद यह निर्णय लिया है। इस मामले में कॉलेजों का कहना है कि वह मान्यता संबंधित सभी प्रपत्र दे चुके हैं, क्योंकि प्रपत्र दिए बिना मान्यता मिलना संभव ही नहीं है। कोविड-19 के बीच वैसे भी कॉलेजों की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में एनसीटीई का यह फरमान उनकी मुसीबत और बढ़ा रहा है।
उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी का कहना है कि कॉलेजों ने प्रपत्र जमा किए हैं। सभी ने अपने स्तर पर यह जानकारी दी है। अगर फिर भी कुछ कमियां हैं तो कॉलेजों को एक वर्ष का समय दिया जाना चाहिए। कोविड काल में सभी प्रपत्र दिखाना आसान नहीं है। प्रपत्र सभी के पास हैं, लेकिन इस दौरान व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हुई हैं। उन्हें पटरी पर आने में एक साल लग जाएगा। इस मामले में एक प्रतिनिधिमंडल मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक व एनसीटीई से चेयरमैन से जल्द मिलेगा।
- इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। एनसीटीई ने अगर कोई प्रपत्र मांगे हैं तो वह दिखाए जाएंगे। विश्वविद्यालय के पास पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर है। - डॉ. अनिल कुमार यादव, कुलसचिव, सीएसजेएमयू।