नक्सली साये में फलफूल रहा 'साइबर आतंक', झारखंड के जामताड़ा और साहिबगंज में तैयार हो रहे बैंकिंग के ठग
रोज किसी न किसी राज्य की पुलिस देती है दबिश, कानपुर से 15 मामलों में गई टीम, संगठित अपराध के तौर फल-फूल रहा, दो से पांच लाख रुपये लेकर दी जाती ट्रेनिंग
चंद्रप्रकाश गुप्ता, कानपुर : देश भर में खाताधारकों को अरबों रुपये का चूना लगा चुका 'साइबर आतंक' नक्सली साये में फल-फूल रहा है। झारखंड के जामताड़ा और साहिबगंज में इसका बाकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है। यहां साइबर ठगी से लेकर बैंक के लॉकर तोड़ने तक के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसकी एवज में दो से पांच लाख रुपये तक लिए भी जा रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब, कानपुर की पुलिस टीम ने साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच के दौरान यहां दबिश दी। पता चला, साइबर ठगी के चलते बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ आदि कई राज्यों की पुलिस को यहां आए दिन दबिश देनी पड़ती है। ये ठग इतने शातिर हैं कि पुलिस के हाथ में सबूत नहीं आते और उन्हें केवल नोटिस देकर वापस लौट आना पड़ता है। जामताड़ा में साइबर ठगी ने कुटीर उद्योग सा रूप ले लिया है लेकिन किसी भी राज्य की पुलिस इसका पता नहीं लगा पाई है कि इस अपराध की कमान किसके हाथ में है।
केस एक :
18 फरवरी 2018 की रात यूनियन बैंक की नौबस्ता उस्मानपुर शाखा के 32 लॉकर काटकर करोड़ों रुपये की नकदी और गहने उड़ाने वाले शातिर झारखंड के साहिबगंज जिले के उदवा गांव के थे। यह लोहे के दरवाजे व लॉकर काटने वाले शातिरों का गढ़ कहा जाता है। यहां की औरतें लॉकर काटकर उड़ाए गए गहने पहने मिली थीं। इन्हीं लोगों ने सात साल पहले पीपीएन मार्केट की ज्वैलरी शॉप काटी थी। तब भी वहां की महिलाएं हीरे के जेवर पहने हुए दिखीं थी। दो की गिरफ्तारी हुई लेकिन विरोध के चलते पुलिस जेवर बरामद नहीं कर सकी।
केस दो :
कानपुर में साइबर ठगी के 35 मामलों में सुराग मिलने पर क्राइम ब्रांच की टीम बिहार, झारखंड और बंगाल गई। इसमें 15 मामले झारखंड के थे। यहां चौंकाने वाले खुलासे हुए। सारे फोन और खाते फर्जी आइडी पर खोले गए थे और यह सभी झारखंड के जामताड़ा से जुड़े थे। टीमों को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। झिलुआ गांव से संचालन
एसपी पूर्वी अनुराग आर्य के मुताबिक जामताड़ा के झिलुआ गाव से साइबर क्राइम की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। यहां के लोग इतने संपन्न है कि अधिकांश घरों के दरवाजे रिमोट से खुलते हैं। फर्जी आइडी पर सिम लेने के मामले यहीं पर सबसे अधिक मिलते हैं। फर्जी खाते यहां के हैं। इन्हीं खातों से रकम इधर-उधर की जाती है। जूही के छात्र के नाम से ऐसे ही खुला खाता
कुछ दिन पूर्व बाबूपुरवा निवासी छात्र अंकित के नाम से भी फर्जी ऑनलाइन खाता खोलने का मामला सामने आया। उसने साइबर सेल में शिकायत की है। छात्र ने बताया कि नौकरी लगवाने के नाम पर फोन आया था। शातिरों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड मांगा और ढाई हजार रुपये एक खाते में जमा कराए। इसके कुछ दिन बाद उसके पते पर कोटक म¨हद्रा बैंक का एटीएम कार्ड पहुंचा। बैंक जाकर जानकारी की तो पता लगा कि उसके नाम से ऑनलाइन खाता चल रहा है और उसमें अब तक 70 हजार रुपये का लेनदेन भी हो चुका है।