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Navratri 2021: आज पंडालों से विदा होंगी माता, जानिए- किन गंगा घाटों पर की गई विजर्सन की तैयारी

नवरात्र के नौ दिन कानपुर शहर में मां के पूजन की अद्भुत छटा बिखरती है दो दर्जन से ज्यादा जगह पंडालों में मां का दरबार सजता है। दशमी के दिन मां की प्रतिमा विसर्जन के लिए इस बार गंगा नदी के पास कृत्रिम घाटों की व्यवस्था की गई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 07:49 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 07:49 AM (IST)
Navratri 2021: आज पंडालों से विदा होंगी माता, जानिए- किन गंगा घाटों पर की गई विजर्सन की तैयारी
पंडालों से निकलेगी प्रतिमा की विसर्जन यात्रा।

कानपुर, जेएनएन। जगत जननी मां दुर्गा की अराधना का उत्साह भक्तों में प्रतिवर्ष देखने को मिलता है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते माता के पंडाल जरूर कम लगे लेकिन आस्था में कहीं कोई कमी नहीं थी। भक्तों ने प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी दुर्गा पूजन की परंपरा को ध्यान में रखते हुए पंडाल स्थापित किए और सांकेतिक पूजन कर माता का आह्वान किया। तीन दिनों के पूजन अर्चन के बाद माता को विदा करने का समय भी आ गया। दशमी के दिन मां को विधिवत विदाई देने की तैयारी भक्तों ने कर ली है। इसके लिए गंगाघाट के पास कृत्रिम तालाब स्थापित हो चुके हैं। शहर में शास्त्री नगर, एवी विद्यालय, डीएवी लान, चकेरी कालीबाड़ी, गुजैनी, जरौली, राम गोपाल चौराहा समेत अन्य स्थलों से माता की प्रतिमाएं विसर्जन के लिए ले जायी जाएंगी। इसके साथ ही घरों से भी लोग नाचते गाते गंगा तट पर माता की प्रतिमा विसर्जन करने पहुंचेंगे।

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कालीबाड़ी में कोलकाता की तर्ज पर सजता है पंडाल : बंगाली पूजन का प्रमुख केंद्र है चकेरी कालीबाड़ी। शहर में दुर्गा पूजा का आयोजन तो कई स्थानों पर होता है लेकिन चकेरी स्थिति श्री कालीबाड़ी मंदिर में बंगाली परंपरा से होने वाला दुर्गा पूजन भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहता है। जहां बंगाल में दक्षिणेश्वर महाकाली मंदिर का आकार देकर यहां पंडाल स्थापित किया गया। षष्ठी पूजन के साथ महिषासुर मर्दनी की प्रतिमा स्थापित की गई। कोविड के चलते प्रमुख आयोजन को सीमित रूप दिया गया था। षष्ठी पूजन, पुष्पांजलि तथा सिंदूर खेला की पंरपरा विधिवत पूर्ण की गई। नवमी को मां की आरती के समय ढाक की थाप पर मां की आरती की गई।

शास्त्री नगर और डीएवी लान में हुआ सांकेतिक पूजन : कोविड के चलते एवी विद्यालय और डीएवी लान में माता का प्रतीकात्मक पूजन किया गया जबकि शास्त्री नगर में पूजन अर्चन के कार्यक्रमों को सांकेतिक रूप दिया गया। एवी विद्यालय में मां के कलश पूजन के साथ पूजन अर्चन शुरू हुआ। यहां माता की मूर्ति स्थापित नहीं की गई थी। कलश पूजन के समय भी कुछ भक्तों को ही प्रवेश दिया गया था। विजर्सन की परंपरा में कलश के जल को पौधे को अर्पित कर जल व पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।

वहीं डीएवी लान में मां की छोटी मूर्ति स्थापित की गई थी। भक्तों द्वारा विधिवत पूजन अर्चन कर बाबा घाट पर प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। वहीं शास्त्री नगर में स्थापित पंडाल में प्रतिदिन मां की महाआरती व प्रसाद का वितरण भक्तों में किया गया। दशमी के दिन शुक्रवार को शहर में स्थापित सभी छोटी बड़ी मूर्तियों का विसर्जन कर मां से सुख समृद्धि की कामना भक्त करेंगे और माता से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना का उन्हें विदाई देंगे। इसी तरह आर्यनगर स्थित बंग भवन में बंगाली समाज द्वारा मां का पूजन अर्चन किया गया।

इन घाटों पर होगा विसर्जन : माता की मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए जिला प्रशासन ने दस घाट तैयार किए थे। इसमें गंगा बैराज, बाबा घाट, काली घाट, सरसैया घाट, सिद्धनाथ घाट, अर्मापुर नहर, रामगंगा नगर, गोलाघाट, मेस्कर घाट में गंगा से कुछ दूरी पर कृत्रिम घाट बनाए गए हैं। क्रमवार भक्तों को पूजन अर्चन के साथ प्रतिमा विजर्सन की व्यवस्था नगर निगम ने की है।


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