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कानपुर का ज्वाला देवी मंदिर : कुंड के रूप में विराजमान हैं मां और मंदिर के पीछे सुनाई देती अदृश्य शेर की दहाड़

कानपुर के घाटमपुर में भीतरगांव ब्लाक में बेहटा गंभीरपुर गांव में ज्वाला देवी मंदिर की मान्यता विशेष है यहां कुंड के रूप में विराजमान माता को श्रीफल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर के पीछे भक्तों को अदृश्य शेर की दहाड़ सुनाई देती है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 03 Oct 2022 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 05:38 PM (IST)
कानपुर का ज्वाला देवी मंदिर : कुंड के रूप में विराजमान हैं मां और मंदिर के पीछे सुनाई देती अदृश्य शेर की दहाड़
कानपुर के भीतरगांव में है ज्वाला देवी मंदिर।

कानपुर, जागरण संवाददाता। घाटमपुर के भीतरगांव ब्लाक के बेहटा गंभीरपुर गांव में मां ज्वाला देवी का मंदिर करीब पांच सौ वर्ष पुराना है। मां के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्र की सप्तमी और अष्टमी को मंदिर में विशाल मेला लगता है और रामलीला का भी आयोजन होता है। मंदिर में कुंड रूप में माता का पूजन होता है, जिसपर पुष्प अर्पित करने से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। मां के दरबार में दर्शन को देशभर से भक्त आते हैं।

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क्या है इतिहास

भक्तों के मुताबिक, ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास कितना प्राचीन है यह कहा जाना संभव नहीं है। गांव के ही एक मराठन बाबा हिमाचल प्रदेश स्थित ज्वाला देवी मंदिर से जलती हुई ज्योति लेकर आए थे, तब से यहां पर लगातार ज्योति जल रही है। मंदिर में माता कुंड के रूप में मौजूद हैं। यहां भक्त कुंड को जल से भरकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं, जिन्हें मां पूर्ण करती हैं।

खास है मान्यता

मान्यता है कि मंदिर के पास कुछ लोगों को अदृश्य शेर की दहाड़ सुनाई पड़ी है। कुछ ग्रामीणों ने शेर देखने का दावा भी किया है। लोग बताते हैं कि पहले माता के मंदिर में दो सर्प भी रहते थे। मां को श्रीफल और पुष्प अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मंदिर जाने का रास्ता

कानपुर या अन्य जनपदों से आने वाले लोग रमईपुर से साढ़ होते हुए भीतरगांव के बेहटा गंभीरपुर पहुंच सकते हैं। वहीं, हमीरपुर, भोगनी और पुखरायां की ओर से जाने वाले लोग पहले घाटमपुर आकर यहां के कुष्मांडा देवी तिराहा से साढ़ को जाने वाली रोड से होते हुए मंदिर परिसर पहुंच सकते हैं। वहां से मां के दरबार का मार्ग है।

-नवरात्र में माता के दर्शन करने वालों की भीड़ लगी रहती है। अष्टमी और नवमी को यहां भंडारा होता है। मां का प्रसाद ग्रहण करने को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। -रजत मिश्रा, भक्त

-माता के मंदिर में समय-समय पर चमत्कार होते रहते हैं। बहुत से ग्रामीणों ने इसका अनुभव भी किया है। क्षेत्र के सभी श्रद्धालुओं पर मां की कृपा पहती है। -मुकेश गुप्ता, भक्त


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