Youth Parliament Winner मुदिता ने Interview में बताया- माता पिता के सहयोग से मिला धारा प्रवाह बोलने का प्रशिक्षण
जालौन के आटा गांव के सरकारी स्कूल में हेडमास्टर रहे परबाबा पं. शिवशंकर लाल मिश्र आर्यनगर इंटर कॉलेज में प्रवक्ता रहे बाबा पं. शिव किशोर मिश्र व बीएनएसडी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता व राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पिता डॉ. दिवाकर मिश्र की तरह शिक्षक बनने की चाह रखती हैं।
कानपुर, जेएनएन। अगर बुनियाद मजबूत हो तो इमारत भी बुलंद बनती है। यह कहावत पीपीएन डिग्री कॉलेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा मुदिता मिश्रा पर सटीक बैठती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भाषण देकर नेशनल यूथ पार्लियामेंट में अव्वल आने वाली मुदिता की यह सफलता उनके महीने-दो महीने की मेहनत का परिणाम नहीं है। पिता दिवाकर मिश्रा ने महान साहित्यकारों और रचनाकारों की कृतियां बेटी को बचपन से एक वक्ता की भांति तख्त पर खड़ा करके कंठस्थ कराईं। यह उसका फल है। पीरोड निवासी मुदिता ने अपनी लगन व अभ्यास के दम पर तख्त से संसद तक का सफर तय किया। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश -
- आपको धारा प्रवाह बोलने की प्रेरणा कहां से मिली?
जेआरएफ टॉपर व नेशनल बालश्री विजेता मेरी बड़ी बहन कृतिका मिश्रा इसकी प्रेरणास्रोत हैं। वह किसी भी विषय पर बोलने में माहिर हैं। उन्हें देखकर ही विभिन्न विषयों पर बोलना सीखा। धारा प्रवाह बोलने का अभ्यास पिता ने कराया।
- किस प्रकार सबसे बड़ी प्रतियोगिता नेशनल यूथ पार्लियामेंट की तैयारी की?
कई चरणों में प्रतियोगिता हुई। जिला स्तर पर 'किसान की आय दोगुनी कैसे होÓ इस पर विचार प्रस्तुत किए। राज्य स्तर पर नारी सशक्तिकरण पर बोला जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 'लोकल फॉर वोकल परÓ संसद भवन में भाषण दिया। सभी के लिए अलग-अलग कंटेंट जुटाए और उन्हें पिरोकर भाषण तैयार किया।
- जब आप पार्लियामेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष अपना भाषण प्रस्तुत कर रही थीं तो कैसा लगा?
यह बड़े सौभाग्य की बात है कि उनके सामने भाषण देने का मौका मिला। उनके समक्ष भाषण देने में खुशी के साथ गर्व भी महसूस हुआ। दो लाख युवाओं में चयन हुआ था। जिम्मेदारी बढ़ गई थी। पूरा ध्यान सौ फीसद प्रदर्शन देने की ओर था।
- लोकल फॉर वोकल विषय पर भाषण तैयार करने में कितना समय लगा?
संसद में दिए गए भाषण की तैयारी के लिए महज एक दिन का समय मिला। लोकल फॉर वोकल का विषय 10 जनवरी को मिला था जबकि 11 जनवरी को भाषण देना था। रात भर अभ्यास किया। कंटेंट को लेकर माता, पिता और बहन से फोन पर बात करती रही।
- इस सफलता में आपके माता-पिता की क्या भूमिका रही?
एलआइसी में कार्यरत माता सुषमा मिश्रा व पिता डॉ. दिवाकर मिश्र ने आगे बढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया। बचपन में जब बोलने में हिचकती तो सकारात्मक सोच के जरिए माता-पिता ने डर निकाला। आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहना सिखाया।
- किस विषय में आपकी सर्वाधिक रुचि है?
साहित्य में बेहद रुचि है। रामधारी ङ्क्षसह दिनकर, नागार्जुन, मुक्तिबोध, सुभद्रा कुमार चौहान, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महाकवि भूषण जैसे साहित्यकारों से प्रभावित रही हूं। मेरे नाना साहित्यकार डॉ. ओम प्रकाश शुक्ल के साहित्य ने भी प्रेरित किया।
- भविष्य में आप क्या बनना चाहती है?
जालौन के आटा गांव के सरकारी स्कूल में हेडमास्टर रहे परबाबा पं. शिवशंकर लाल मिश्र, आर्यनगर इंटर कॉलेज में प्रवक्ता रहे बाबा पं. शिव किशोर मिश्र व बीएनएसडी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता व राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पिता डॉ. दिवाकर मिश्र की तरह शिक्षक बनना चाहती हूं। ख्वाहिश पीएचडी करके विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनने की है।
- कितने घंटे पढ़ाई करती हैं। पठन पाठन की योजना क्या रहती है?
पढऩे का कोई समय नहीं होता। जितनी देर पढ़ें, मन लगाकर। जो विषय पसंद हो, वह पढ़ें। केवल पास होने व अच्छे नंबर लाने के लिए पढ़ाई न करें बल्कि विषय को समझने व अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए पढ़ाई की जाए।
- इससे पहले कौन-कौन सी उपलब्धियां आपने प्राप्त की हैं?
पहली बार मतदान करने वाले युवाओं के लिए नरेंद्रोदय से राष्ट्रोदय पुस्तक लिखी है। राजस्थान साहित्य मंडल की ओर से ङ्क्षहदी भाषा विभूषण की मानद उपाधि से नवाजा जा चुका है। यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद की वाद विवाद प्रतियोगिता की पांच बार विजेता रही। बीएनएसडी शिक्षा निकेतन की संसद में दो वर्ष तक प्रधानमंत्री व दो वर्ष तक मुख्य न्यायाधीश रही।
- देश की राजनीति के बारे में आपके क्या विचार हैं?
समय के साथ राजनीति में बदलाव आए हैं। कुछ लोग भ्रष्टाचार व स्वार्थ सिद्ध करने के लिए राजनीति में आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में युवाओं को अवसर मिले हैं, भय का माहौल खत्म हुआ है। विकास की ओर हम बढ़ रहे हैं।
- देश के विकास के लिए किन बातों पर फोकस होना चाहिए?
शिक्षा व महिला सुरक्षा, इन दो बातों पर मुख्य रूप से ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति के जरिए आशा की किरण नजर आ रही है। इससे न केवल छात्र छात्राओं को मनपसंद विषयों को चुनने की छूट मिलेगी बल्कि रोजगारपरक शिक्षा से रोजगार का सृजन भी होगा।
पढ़ाई के जुनून में छोड़ी बैंक की नौकरी
लाल बंगला निवासी अमित कुमार निरंजन को पढऩे का जुनून है। जुनून भी इतना कि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट क्वालीफाई करने व आइआइटी से पीएचडी करने के लिए उन्होंने बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर ÓपीओÓ की नौकरी छोड़ दी। छह विषयों में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा ÓनेटÓ क्वालीफाई करने पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड उनका नाम दर्ज है। वाणिज्य, अर्थशास्त्र, प्रबंधन, शिक्षा शास्त्र, राजनीति विज्ञान व समाजशास्त्र विषयों से नेट में सफलता प्राप्त करने वाले वे देश के पहले शख्स बन गए हैं।
स्वामी विवेकानंद को उन्होंने प्रेरणास्रोत माना है। वर्ष 2010 में अर्थशास्त्र विषय के साथ पीएचडी में दाखिला मिला। इसके बाद पढऩे की ललक और बढ़ी तो छह विषयों से नेट क्वालीफाई किया।
खास बातें:
- रोजाना तीन से चार घंटे पढ़ाई के साथ नोट््स बनाते हैं
- एमफिल में सीएसजेएमयू के टॉपर रहे हैं।
- बीएड में कालेज के टॉपर हैं,25 हजार छात्र छात्राओं को दे रहे टिप्स।
- पिता आरएन निरंजन व मां उर्मिला देवी का कदम कदम पर साथ मिला
- सातवीं बार दर्शनशास्त्र विषय से देंगे नेट देने की कर रहे तैयारी