National Sports Day: पढ़िए, कानपुर के उन खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी, जिन्होंने चूमा सफलता का आसमान
क्रिकेट से इतर भी कई खेलों में कानपुर के खिलाडिय़ों ने देश-दुनिया में पहचान बनाई है इनमें ज्योति रंजना अभिषेक श्रद्धा मनीष और एकता शहर का मान बढ़ा रहे हैं।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। क्रिकेट के गढ़ कानपुर में कई दूसरे खेलों में भी खिलाडिय़ों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाप छोड़ी है। क्रिकेट में कुलदीप यादव, अंकित राजपूत, शशिकांत खांडेकर, गोपाल शर्मा का नाम है तो इससे इतर ज्योति शुक्ला, रंजना गुप्ता, एकता सिंह, मनीष शर्मा, श्रद्धा शुक्ला व अभिषेक यादव जैसे खिलाडिय़ों ने भी अलग-अलग खेलों में सफलता का आसमान चूमा है, जिनके चर्चे हर खेल प्रेमी की जुबान पर हैं। आइए, उनके संघर्ष के दिन के पहलुओं को जानने का प्रयास करते हैं...।
आग में जले अरमान पर सपना सच करने को बेकरार रंजना
गुजैनी निवासी अंतरराष्ट्रीय शूटर और पुलिस क्राइम ब्रांच में इंस्पेक्टर रंजना गुप्ता दक्षिण कोरिया के चांगवोन व चीन में वल्र्ड पुलिस शूटिंग प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं। उनकी झोली में दर्जनों पदक हैं। रंजना बताती हैं, शुरुआती दिनों में अखबार बेचकर पढ़ाई और शूटिंग के सपने पूरे किए। पुलिस में नौकरी के बाद रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार ने मंजिल दिखाई, लेकिन कई बार बाधाओं ने राह रोकी।
दक्षिण कोरिया में अंतिम राउंड में रायफल की बैरल खराब होने और जून 2019 में घर में आग लगने से विदेशी रायफल और प्रमाण पत्रों के जलने के बाद भी आस नहीं छोड़ी है। लॉकडाउन में आठ से दस घंटे शूटिंग रेंज में अभ्यास कर ओलंपिक में पदक लाने की तैयारी शुरू है। एकमात्र लक्ष्य ओलंपिक में पदक लाकर देश का नाम रोशन करना है।
मैदान बचाने को ज्योति ने किया था 21 दिन का अनशन
जकार्ता में एशियन गेम्स में शहर का प्रतिनिधित्व करने वाली अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी ज्योति शुक्ला फेडरेशन कप, जापान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान के साथ बांग्लादेश में हुई वूमेंस लीग में भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं। शुरुआती दिनों में हैंडबॉल के मैदान को बचाने के लिए कोच अतुल के साथ 21 दिन तक अनशन किया था। तब जाकर खेल मैदान कब्जेदारों से बचा था।
आर्थिक तंगी से जूझने के कारण पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रजत आदित्य दीक्षित ने स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया (साई) के हॉस्टल में दाखिला दिलाया। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में गोरखपुर रेलवे में टिकट कलेक्टर के पद पर कार्यरत होने के साथ कोरोना काल में स्किल व फिटनेस को संवारने के लिए अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के वीडियो देखकर तैयारी में जुटी हैं।
टूटे रैकेट से देश की नंबर वन एकेडमी तक पहुंचे अभिषेक
टेबल टेनिस खेल में लक्ष्मण अवार्ड हासिल करने वाले अभिषेक यादव ने टूटे हुए रैकेट से देश की नंबर वन एकेडमी तक का सफर तय किया। बकौल अभिषेक, पिता किदवई नगर में कैंटीन चलाकर जरूरतें पूरी करते थे। एकेडमी में चयन के लिए देश के टॉप खिलाडिय़ों के बीच टूटे रैकेट से खेलकर जगह बनाई। वर्ष 2006 में पेट्रोलियम स्पोट््र्स एकेडमी में चयन के बाद फिर आगे ही आगे बढ़ते गए। वल्र्ड चैंपियनशिप, युवा ओलंपिक, जूनियर नेशनल, यूएस ओपन व कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में पदक जीतकर शहर का नाम रोशन किया। अब ओलंपिक में पदक जीतना लक्ष्य है। घर पर भाई अविनाश के साथ आगे की तैयारी कर रहा हूं।
गंगा की लहरों ने श्रद्धा को दिलाई बड़ी पहचान
मैस्कर घाट के पास रहने वाले मजदूर ललित शुक्ला की 11 वर्षीय बेटी श्रद्धा ने उफनाती गंगा की लहरों के बीच कानपुर से वाराणसी तक तैराकी कर कीर्तिमान बनाया है। श्रद्धा बताती हैं, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार दिया। स्वीमिंग पूल के लिए पैसे नहीं होने के कारण पिता संग गंगा नदी में अभ्यास शुरू किया। लंबी दूरी की तैराकी और स्टेमिना के कारण कई पुरस्कार मिले हैं। अब अगला लक्ष्य कानपुर से हरिद्वार तक पर्यावरण संरक्षण व गंगा स्व'छता को लेकर तैराकी करना है। इन दिनों उफनाई गंगा नदी में अभ्यास कर रही हूं।
एकता बनीं धाकड़ बल्लेबाज
काकादेव निवासी इंडिया ग्रीन की बल्लेबाज एकता सिंह ने लड़कियों के साथ पालिका स्टेडियम में खेलना शुरू किया था। उप्र वूमेंस टीम में चयन के बाद एक सत्र में सर्वाधिक 450 रन बनाकर प्रदेश की टॉप बल्लेबाजों में जगह बनाई। इसके बाद चैलेंजर ट्रॉफी व इंडिया ग्रीन में खेलकर कानपुर के वूमेंस क्रिकेट का दबदबा कायम रखा। बताया कि कोरोना से बचाव करते हुए फिटनेस के साथ ही बहन आराधना संग घर पर अभ्यास कर रही हूं।
मनीष को मिला अंतरराष्ट्रीय मंच
रामबाग निवासी मनीष मिश्रा 38 साल की उम्र में यूएसए में होने वाली वल्र्ड पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में चयनित हुए हैं। कोरोना संक्रमण के बीच अभ्यास में जुटे मनीष ने बताया कि कोच राहुल शुक्ला ने प्रोत्साहित किया। इससे हौसला बढ़ा। अब फेडरेशन कप में देश के लिए पदक लाना ही लक्ष्य है।