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National Girl Child Day Special: पढ़िए-उन बेटियाें की दास्तां, जिन्होंने गुरबत में फहराया कामयाबी का परचम

कानपुर और आसपास जिलों में बेटियों ने संघर्ष की स्याही से कामयाबी की इबारत लिखकर बुलंदियों को छुआ है। उनकी कहानी सभी बालिकाओं के लिए निश्चित ही प्रेरणादायक है और कामयाबी पाने के लिए आशा की किरण दिखाती है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:44 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:44 AM (IST)
National Girl Child Day Special: पढ़िए-उन बेटियाें की दास्तां, जिन्होंने गुरबत में फहराया कामयाबी का परचम
बेटियों ने सफलता का क्षितिज चूमा है।

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। बेटियां जिंदगी में कितने भी संघर्ष के दिन आएं, लेकिन पीछे कदम नहीं हटाती हैं। 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर कुछ ऐसी ही बेटियों की कहानियां आपके सामने हैं, जिन्होंने संघर्ष के 'शॉट' से सफलता के क्षितिज पर अचूक 'निशाना' साधा और कामयाबी की इबारत लिख डाली।

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राष्ट्रीय फलक पर कीर्तिमान, बढ़ाया शहर का मान

जिंदगी में संघर्ष के दिन आए तो उन्हें शॉट बनाकर राष्ट्रीय फलक पर निशाना साध दिया। ये हैं कानपुर की रहने वाली हेपकीडो की राष्ट्रीय खिलाड़ी मोनिका खन्ना और क्रिकेटर एकता सिंह, जो राष्ट्रीय क्षितिज पर शहर का नाम रोशन कर रहीं हैं। अर्मापुर निवासी मजदूर अनिल खन्ना और सरिता की बेटी मोनिका खन्ना ने गोवा में राष्ट्रीय हेपकीडो बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतकर पहचान बनाई। 16 वर्षीय मोनिका परिवार में तीसरे नंबर की हैं। वह मां संग घर के सारे काम में मदद भी करती हैं।

गोवा नेशनल में पदक के बाद अब भूटान में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित हो चुकी हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है काकादेव निवासी एकता सिंह की। दिग्गज क्रिकेटर नीतू डेविड और रीता डे जैसा बनने की ठान कर एकता उप्र की सीनियर व जूनियर महिला क्रिकेट टीम में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में शुमार हैं। उप्र टीम के साथ इंडिया ग्रीन, चैलेंजर ट्रॉफी में चयन हुआ। वे टीम इंडिया में जाने वाली सबसे प्रबल खिलाडिय़ों की कतार में हैं।

पिता फल का ठेला लगाते, बिटिया हैंडबाल का सितारा

सात पहले वो आर्य कन्या बालिका इंटर कॉलेज में कक्षा छह में पढ़ती थीं, तभी इटावा महोत्सव में शिक्षिका आशा वशिष्ठ ने दौड़ प्रतियोगिता में शामिल कराया। वहां पहला स्थान पाकर किस्मत ही बदल गई। इटावा निवासी फल का ठेला लगाने वाले संतोष कुशवाहा की 16 वर्षीय बेटी निक्की कुशवाहा राष्ट्रीय फलक पर हैंडबाल में हुनर बिखेर रही हैं। घर की आॢथक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद हैंडबाल प्रशिक्षण में प्रतिभा दिखाने वाली निक्की का चयन वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार के झांसी स्पोर्ट्स हॉस्टल में हुआ।

प्रशिक्षक अजय पाल सिंह यादव से गुर सीख कर अंडर-14 बालिका वर्ग में उत्तर प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व किया। उनकी सफलता से उत्साहित छोटे भाई विष्णु व अंजली भी फुटबाल और हॉकी में करियर बना रहे हैं। निक्की बताती हैं, वर्ष 2017-18 में नेशनल स्कूल गेम्स में हैंडबाल बालिका (अंडर-14) बीकानेर राजस्थान में, नेशनल स्कूल गेम्स 2018-19 हैंडबाल बालिका (अंडर-17) सिद्दीपैट तेलंगाना, नेशनल स्कूल गेम्स 2019-20 में रोहतक हरियाणा में, नेशनल हैंडबाल चैंपियनशिप रुद्रपुर उत्तराखंड में खेल चुकी हैं।

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बिटिया की हरियाली के साथ एक पारी

पहले ग्रेपलिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवा बिखेरा। अब हरियाली के साथ बेहतरीन पारी खेल रहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को जागरूक करके पेड़ों की कटान कम करने संग पौधारोपण का मंत्र भी दिया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्हें नेपाल, बिहार के साथ ही जिले में कई बार सम्मान मिल चुके हैं। ये कानपुर देहात के रूरा के ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ीं बीए प्रथम वर्ष की छात्रा शान्या दीक्षित हैं।

उन्होंने दक्षिण एशियाई देशों की प्रतियोगिता में भूटान के गोम्टू शहर में ग्रेपङ्क्षलग में स्वर्ण पदक जीता। जनवरी 2020 में तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में भी रजत पदक पाया। अब अपने घर के आसपास, गांव और क्षेत्र में पौधारोपण करती हैं। लोगों को अच्छे गुण के आधार पर पीपल, नीम समेत अन्य फलदार पौधे लगाने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं। पेड़ों की कटान करने पर समझाने में भी बात नहीं बनने पर पुलिस व प्रशासनिक अफसरों की मदद लेती हैं। वर्ष 2019 फरवरी में नेपाल के प्रदेश प्रमुख ने गांधी पर्यावरण योद्धा सम्मान से उन्हें नवाजा।

पिता का छूटा साथ, फिर भी पूरा किया ख्वाब

जब परिस्थितियां विषम हों और कोई अपने ख्वाब पूरे कर ले तो उसकी चर्चा होती ही है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मूलरूप से मिश्रिख, हरदोई निवासी पिछले छह वर्षों से कानपुर में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहीं नेहा राजवंशी ने। वर्ष 2013 में नेहा के पिता जगदंबा प्रसाद का निधन हुआ और वर्ष 2014 से उन्होंने तैयारी शुरू की थी। नेहा बताती हैं, कि हिम्मत नहीं हारी और वर्ष 2017 में पीसीएस का परिणाम आने पर चयन नायाब तहसीलदार के पद पर हो गया।

प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए पिता हमेशा प्रेरित करते थे। वह इस समय गोंडा में नायाब तहसीलदार हैं। बताया कि बुआ का पूरा साथ मिला। अब सिविल सेवा को लेकर तैयारी में जुटी हैं। बताया कि 12वीं में 75 फीसद अंक हासिल किए थे। उसके बाद बृहस्पति महिला महाविद्यालय से स्नातक और डीबीएस कॉलेज से इतिहास से परास्नातक की पढ़ाई पूरी की।

पिता वकील, बेटियां बन गईं जज

वक्त बदलने के साथ ही बेटियां मिसाल बन रहीं हैं। इत्रनगरी में वकील पिता की बेटियां जज बनीं। कन्नौज जिला कचहरी के वरिष्ठ अधिवक्ता व अशोक नगर निवासी आनंद किशोर कटियार की बड़ी बेटी पूनम कटियार प्रयागराज में अपर जिला जज (एडीजे) तो छोटी बेटी लखनऊ में सिविल जज हैं। पूनम के पास विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) का भी प्रभार है। उन्होंने 2009 में पीसीएस (जे) में प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया था। पहली तैनाती बरेली में मुंसिफ मजिस्ट्रेट के पद पर हुई थी।

वह उरई और खीरी में भी रह चुकीं हैं। बड़ी बहन को जज के रूप में देखकर छोटी नीलम कटियार ने भी जज बनने की ठान ली। लखनऊ में रहकर परीक्षा की तैयारी की। 2018 में उन्होंने भी सफलता हासिल की और प्रदेश में 300वीं रैंक हासिल करके सिविल जज के रूप में लखनऊ में पदभार संभाला। दोनों बेटियां बताती हैं कि कई बार राह में रोड़े भी आए, लेकिन संघर्ष के बलबूते वह उन्हें हटाती चलीं गईं। पिता आनंद बताते हैं कि दोनों बेटियों ने शहर सुशीला देवी गल्र्स इंटर कॉलेज में पढ़ाई की। उनकी बेटियों ने वो दिन दिखाया है, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकते।

बीहड़ की बेटियां लिख रहीं इबारत

उरई जिले के बीहड़ क्षेत्र की बेटियों ने आर्थिक अभाव को दरकिनार कर सफलता की इबारत लिखी है। ग्राम महेवा निवासी इंद्रपाल ङ्क्षसह पुलिस में थे। वर्ष 2005 में पुलिस आवास की छत से गिरकर उनकी दर्दनाक मौत होने के समय बड़ी बेटी पूनम और छोटी दीपा नाबालिग थीं। शिमला देवी भी अपने पति की असमय मौत से आहत थीं। उन्होंने खुद को संभाला और ठान लिया कि बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाएंगे। बड़ी बेटी पूनम वर्ष 2012 में पुलिस महकमे में उप निरीक्षक बनीं। वह वर्तमान में झांसी में पुलिस के गोपनीय विभाग में हैं। छोटी बेटी दीपा चौहान की वर्ष 2018 में ग्राम विकास अधिकारी बनी। अक्टूबर 2020 में शिक्षा विभाग में चयन हुआ और झांसी के एक प्राथमिक विद्यालय में तैनाती मिली। इसी तरह ग्राम गोकुलपुरा निवासी सोबरन ङ्क्षसह की बेटी श्वेता ने माधौगढ़ में परमार्थ समाज सेवी संस्था की निश्शुल्क कोचिंग चलाई। इसके बाद उनका चयन पुलिस में हुआ।

गांव की तस्वीर बदल रहीं बेटियां

बेटियां बेटों से कम नहीं, सिर्फ सोच बदलने की जरूरत है, इसे उन्नाव में बेटियां साकार कर रहीं हैं। वो गांव की तस्वीर भी बदल रहीं हैं। ये बेटियां सिकंदरपुर कर्ण विकासखंड के कटरी पीपरखेड़ा पंचायत से जुड़े मजरे समेत नवाबगंज, असोहा से जुड़े गांव की हैं। सिकंदरपुर कर्ण में परिषदीय स्कूल की छात्राओं में दीपिका, पलक, अंजली, कंचन, लक्ष्मी ने प्रदेश स्तर पर विद्यार्थी गौरव सम्मान पाया है। यह सम्मान उन्हें 12 जनवरी 2021 को प्रदेश स्तर पर संचालित मिशन शिक्षण संवाद के तहत मिला। कंपोजिट विद्यालय की छात्रा सानिया ने योग विधा के बल पर प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान वर्ष 2019-20 में बनाई। कोविड-19 को लेकर जागरूकता अभियान में पांचवीं की छात्रा मुस्कान ने नाम रोशन किया। कराटे में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नवाबगंज की 10वीं की छात्रा अजगैन गांव निवासी हंसिका ने राष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप-2021 की विजेता बनीं।


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