National Cancer Awareness Day पर जानें गंगा तट की खेती में कैंसर के पनपने का कारण
National Cancer Awareness Day 2020 खेतों में गंगाजल संग पहुंच रहे हैवी मेटल्स और रासायनिक खाद घातक। 20 साल में मरीजों की संख्या तीन फीसद से बढ़कर हो गई 15 फीसद। ईरान से लेकर थाइलैंड तक 700 किलोमीटर की पट्टी में गाल ब्लैडर कैंसर के मामले सर्वाधिक मिल रहे हैं।
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। गंगा के तराई क्षेत्र (काउ बेल्ट) में गाल ब्लैडर (पित्त की थैली) का कैंसर पनप रहा है। राजकीय जेके कैंसर संस्थान में 20 साल के अंतराल में ऐसे मरीजों की संख्या तीन फीसद से बढ़कर 15 फीसद तक पहुंच गई है। इससे कैंसर विशेषज्ञ भी हैरान हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के हास्पिटल बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री (एचबीसीआर) से जेके कैंसर संस्थान समेत देश के प्रमुख कैंसर संस्थानों को जोड़कर ऑनलाइन माॅनीटरिंग में भी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक प्रभाव देखने को मिला है। शनिवार को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस है। ऐसे में चौंकाने वाले तथ्यों को लेकर बेहद सजग रहने की जरूरत है।
गंगा के दोनों किनारों में पांच किमी क्षेत्र प्रभावित
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर और कई संस्थानों के जुटाए आंकड़ों में पता चला है कि ईरान से लेकर थाइलैंड तक 700 किलोमीटर की पट्टी में गाल ब्लैडर कैंसर के मामले सर्वाधिक मिल रहे हैं। इसमें गंगा के दोनों तरफ चार-पांच किलोमीटर की चौड़ी पट्टी भी शामिल है। प्रोजेक्ट तैयार कर आइसीएमआर को भेजा गया है।
ये है मुख्य वजह
गंगाजल में हैवी मेटल्स और खेतों में इस्तेमाल होने वाली रासायनिक खाद इसकी वजह है। इससे इन खेतों में पैदा होने वाली सब्जियों, दूसरी फसलों और पानी के माध्यम से ये घातक तत्व शरीर में पहुंच रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नॉन कम्युनिकेबल डिसीज बेंगलुरु की रिपोर्ट में भी गंगा के तटीय क्षेत्र से गाल ब्लैडर कैंसर के मामले सर्वाधिक आने की बात कही गई है।
चौंकाने वाले आंकड़े
जेके कैंसर संस्थान की ओपीडी में औसतन प्रतिदिन मरीज आते : 200
इनमें कैंसर मरीज निकलते : 40
गाल ब्लैडर कैंसर के मरीज : 03
प्रतिमाह गाल ब्लैडर कैंसर मरीज : 70
इन जिलों के मरीज ज्यादा
उन्नाव, प्रयागराज, वाराणसी, बलिया, कानपुर, फर्रुखाबाद और कन्नौज।
वर्ष 2019 में संस्थान में कैंसर मरीज 39,000 पुराने कैंसर मरीज
11,000 नए कैंसर मरीज
1454 गाल ब्लैडर कैंसर पीडि़त
कैंसर की ये है स्थिति
40 फीसद मुख कैंसर
15 फीसद गाल ब्लैडर कैंसर
15 फीसद स्तन कैंसर
15 फीसद बच्चेदानी का कैंसर
10 फीसद लंग्स, खाने की नली, पेट, प्रोस्टेट, बोन, ब्लड, जीआई
05 फीसद अन्य कैंसर
इनका ये है कहना
गंगा के तटीय क्षेत्र (काउ बेल्ट) के मरीजों में गाल ब्लैडर कैंसर को लेकर अध्ययन किया था। गंगाजल में घुलित हैवी मेटल में जिंक, लेड, कॉपर, निकिल, आर्सेनिक, सिलेनियम व कैडमियम और खेती में प्रयुक्त रसायनिक खाद के केमिकल गाल ब्लैडर में पहुंचकर पथरी (कोली लिथियासिस) बनाते हैं। यही पथरी धीरे-धीरे गाल ब्लैडर की भीतरी दीवार यानी लाइनिंग को डैमेज करती है। पथरी के 10 में से नौ मरीजों को कैंसर चपेट में ले लेता है। - डॉ. अवधेश दीक्षित, वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ एवं पूर्व निदेशक, जेके कैंसर संस्थान।