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ट्रांसगंगा में उद्योग की जगह सरसों और गेहूं की फसल

प्रोजेक्ट का नाम: ट्रांसगंगा सिटी शिलान्यास : 11 दिसंबर 2014 कुल क्षेत्रफल : 1151 एकड़ खर्च

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 01:19 AM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 01:19 AM (IST)
ट्रांसगंगा में उद्योग की जगह सरसों और गेहूं की फसल
ट्रांसगंगा में उद्योग की जगह सरसों और गेहूं की फसल

जागरण संवाददाता, कानपुर : यूपीएसआइडीसी प्रबंधन गंगा बैराज पर ट्रांसगंगा सिटी बसा रहा है। दिसंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस सिटी की आधारशिला रखी थी और मॉडल लांच किया था। 38 माह बीत गए , लेकिन अभी तक इस सिटी का विकास नहीं हुआ, जबकि दिसंबर 2016 तक विकसित हो जानी थी। आठ माह से अधिक समय से काम बंद है। यहां किसान सरसों, मटर, जौ, गेहूं आदि की खेती कर रहे हैं। अमरूद और बेर के बाग भी यहां हैं। औद्योगिक विकास मंत्री बनने के बाद विधायक सतीश महाना से उम्मीद थी कि ट्रांसगंगा सिटी के विकास को गति मिलेगी, लेकिन तब से काम ठप ही हो गया है।

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ख्वाब जो अभी तक अधूरे हैं

इंडस्ट्रियल जोन, हाउसिंग जोन, कॉमर्शियल जोन, रिक्रिएशन जोन और फूड एंड शॉपिंग जोन यहां स्थापित होने हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। योजना के तहत यहां ड्राइव इन थियेटर, वाटर म्यूजियम, फिश पांड, एम्फीथियेटर, जिम, जॉगिंग ट्रैक बनाए जाने हैं। यहां आइटी पार्क, इलेक्ट्रिक सिटी, ऑटोमोबाइल सिटी बसने की बात कही गई। औद्योगिक सिटी के चारों ओर घुमावदार कांच की इमारतें होंगी, जिनमें वाहनों के शोरूम होंगे। गैस आपूर्ति की सुविधा होगी। शॉपिंग मॉल होगा। औद्योगिक क्षेत्र की इमारतें वर्टिकल मैन्युफैक्च¨रग फ्लैटेड स्ट्रक्चर के आधार पर बनाई जानी हैं। इन भवनों में सूचना प्रौद्योगिकी, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग, वित्तीय सेवाएं, वस्त्र आदि सेक्टरों की कंपनियों के दफ्तर होंगे, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

किसान नहीं होने दे रहे काम

यहां के करीब तीन हजार किसानों से भूमि ली गई थी। किसान दोबारा मुआवजा राशि लेने के बाद अब फिर राशि बढ़ाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन किसानों के साथ संवाद कर समस्या के समाधान की कोशिश नहीं हुई।

500 आवासीय भूखंड हुए सरेंडर

शहर का विस्तार हो, इसलिए इस सिटी की स्थापना की योजना 2013 में बनी थी। भले ही यह सिटी उन्नाव जिले की सीमा में है, लेकिन कानपुर के लोगों के लिए वहां मकान और उद्योग लगाना आसान माना गया। यही वजह है कि 1200 से अधिक लोगों ने वहां आवासीय भूखंड लिए, लेकिन विकास न होता देख 500 से अधिक लोगों ने भूखंड सरेंडर कर दिए।

चार आवंटियों ने वापस किए औद्योगिक भूखंड

यहां उद्योग लगाने का सपना संजोने वाले लोगों ने भूखंड लेने की पहल की। 13 औद्योगिक भूखंड आवंटित हुए लेकिन विकास न होने के कारण चार आवंटियों ने प्लॉट सरेंडर कर दिए।

25 अरब से विकसित होनी थी सिटी

सिटी के विकास पर 25 अरब रुपये खर्च करने की योजना थी, लेकिन इस मद में अब तक करीब सवा दो अरब रुपये ही खर्च हुए हैं। सड़कों के निर्माण पर 500 करोड़, पेयजल आपूर्ति के कार्य पर 70 करोड़, लैंड स्केपिंग पर 150 करोड़, दो कॉमन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर 125 करोड़, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर 15 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। सिटी में 33 केवी के आठ, 220 केवी और 132 केवी का एक-एक सब स्टेशन बनाया जाना है। सब स्टेशन, स्ट्रीट लाइट, अंडरग्राउंड केबिल और टनल के कार्य पर 460 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। जीरो डिस्चार्ज प्रणाली के ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण होना है।

अधूरे पड़े कार्य, नहीं आ रहे ठेकेदार

सिटी में सड़कों के लिए गिट्टी तो बिछा दी गई, लेकिन डामर नहीं डाला गया। इसी तरह ओवरहेड टैंक भी बनाया गया, लेकिन भूमिगत टैंक के लिए सिर्फ सरिया लगाकर छोड़ दी गई। बिजली के खंभे, एक विद्युत सब स्टेशन का कार्य भी हुआ। टनल और पेयजल लाइन भी डाली गई, लेकिन कोई भी कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। पार्क बने भी हैं लेकिन अब उसमें ग्रामीण तोड़फोड़ करते रहते हैं। अधूरे कार्य छोड़कर ठेकेदार जा चुके हैं। कई बार उन्हें नोटिस दी गई, लेकिन वे काम करने को तैयार नहीं हैं। विकास कार्यो में अनियमितता की जांच तो चल रही है, लेकिन महीनों होने को हैं, अभी तक पूरी नहीं हुई।

सरसैया घाट पर पुल की डिजाइन तक नहीं बनी

सरसैया घाट से ट्रांसगंगा सिटी तक फोर लेन पुल और सड़क बनाने की योजना बनी थी। करीब 450 करोड़ रुपये इस मद में खर्च होने थे। अगर यह पुल बनता तो शहर के लोग ट्रांसगंगा सिटी में आवास बनाते और आसानी से आते-जाते। इसी तरह सरैया क्रासिंग पर ओवरब्रिज के निर्माण में भी वित्तीय मदद देने का एलान यूपीएसआइडीसी प्रबंधन ने किया था। यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरे। सरसैया घाट पुल की डिजाइन तक नहीं बन सकी, जबकि इस प्रोजेक्ट में जो राशि खर्च होनी है, उसे विकास कार्य में जोड़कर भूखंडों की कीमत बढ़ा दी गई।

एक्सप्रेस वे तक फोर लेन मार्ग की फाइल बंद

ट्रांसगंगा सिटी से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे तक फोर लेन सड़क बनाने की योजना बनी थी। मई 2016 में एलाइनमेंट तैयार हुआ, लेकिन यह फाइल अब तक आगे नहीं बढ़ी। योजना के तहत इस मार्ग के तीन एलाइनमेंट तैयार किए गए थे। इसमें से किसी एक को स्वीकृत किया जाना था, लेकिन फाइल आलमारी में कैद हो गई।

यह था प्रस्तावित एलाइनमेंट

- बांगरमऊ में एक्सप्रेस वे पर बन रहे टोल बूथ के पास से शुरू होकर सफीपुर, चकलवंसी के रास्ते बैराज बंधे पर हाईटेक सिटी से जोड़ते हुए शुक्लागंज-उन्नाव फोर लेन मार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव है।

- बांगरमऊ टोल टैक्स बूथ से शुरू होकर चकलवंसी, परियर और फिर हाईटेक सिटी स्थित बैराज-शुक्लागंज बंधे से जोड़ने का प्रस्ताव।

- बांगरमऊ से गंगा के किनारे-किनारे हाईटेक सिटी के पास बंधे से जोड़ने का प्रस्ताव।

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चकेरी क्रॉसिंग पर बनेगा अंडरपास : महाना

औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना का कहना है कि चकेरी-पाली रोड पर स्थित रेलवे क्रॉसिंग पर अंडरपास बनाने का कार्य जल्द शुरू होगा। रूमा औद्योगिक क्षेत्र में 12 साल से बंद पड़े ईटीपी को उन्होंने चालू कराया और उद्यमियों की एसपीवी को मरम्मत व रखरखाव के लिए दिया गया। सीओडी पुल चालू होने से यातायात सुचारू हुआ है। 12 साल बाद रूमा औद्योगिक क्षेत्र को अधिसूचित कराया है। इससे अब वहां मानचित्र स्वीकृति व अन्य कार्य आसानी से होंगे। यूपीएसआइडीसी के रीजनल ऑफिस का दायरा बढ़ेगा। इससे लंबित समस्याएं निपटेंगी। रूमा औद्योगिक क्षेत्र नगर निगम को हस्तांतरित किया जाएगा। इससे वहां डबल टैक्स की समस्या समाप्त होगी। वहां सर्वे का कार्य पूरा हो गया है। चकेरी में जो प्लॉट खाली हैं, उन्हें रद करके उनका ऑनलाइन आवंटन किया जाएगा, ताकि वहां उद्योग लगें। इन औद्योगिक क्षेत्रों में मरम्मत का कार्य एसपीवी के जरिए होगा।


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