S-Ten की पहल पर मुस्लिम पड़ोसियों ने पीले कराए दिव्यांग की बेटी के हाथ Kanpur News
थाना प्रभारी की पहल पर मुस्लिम पड़ोसियों ने हिंदू बेटी के विवाह की सारी जिम्मेदारियां बांट लीं।
कानपुर, जेएनएन। आज एक पिता चैन की नींद सोएंगे तो समाज भी सौहाद्र और सद्भाव की कडिय़ां सहेजेगा। यह संभव होगा एक पहल, एक सोच से। पहल है बिठूर थाने के मित्र पुलिस की और सोच पड़ोसियों की। खेतिहर मजदूर रहे नेत्र दिव्यांग हिंदू की बेटी की शादी का बोझ मुस्लिमों व पड़ोसियों ने बांट लिया। मुस्लिम पड़ोसियों ने बेटी के हाथ पीले कराने को लेकर बरात के स्वागत से विदाई तक सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई।
बिठूर की मिश्रित आबादी के नारामऊ में थाना प्रभारी विनोद कुमार वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा अभियान के तहत एस-10 सदस्यों (दस संभ्रांत व्यक्ति) के साथा बैठक कर रहे थे। उन्हें पता चला कि गरीब नेत्र दिव्यांग 65 वर्षीय सोबरन सिंह रावत की बेटी किरण का विवाह गुरुवार को छिबरामऊ के कुम्हौली निवासी दिलीप के साथ है। अभी तक न तो बरात रुकवाने का इंतजाम हो पाया न ही स्वागत का। थाना प्रभारी एस-10 सदस्यों के साथ घर पहुंचे तो सोबरन अपनी हालत बयां करते हुए उनसे लिपटकर रो पड़े।
थाना प्रभारी ने एस-10 से मदद मांगी तो कुछ ही देर में मुस्लिम परिवार एकजुट हो गए। शम्सुद्दीन, हाजी इकबाल, मजीद अहमद, दिलशाद, ईदुल हसन, हबीब, हाशिम ने फ्रिज, बेड, पंखा, टेंट और करीब 20 हजार रुपये की व्यवस्था कर दी। शंभूनाथ, सुशील शुक्ल, विद्यार्थी पंडित और श्यामू ने गृहस्थी के सामान, बरात के खानपान और आठ हजार रुपये जुटा लिए। इस तरह हिंदू-मुस्लिम सौहाद्र की मिसाल पेश करते हुए दिव्यांग की बेटी के हाथ पीले कराए।बिठूर थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि किसान की बेटी की शादी एस-10 धूमधाम से करा रहा है। थाना पुलिस शादी में पूरा सहयोग कर रही है।
25 वर्ष पूर्व खो दी थी आंख की रोशनी
रिश्तेदारों ने बताया कि सोबरन खेतिहर मजदूर थे। 25 वर्ष पहले आंखों में दर्द हुआ। इलाज कराया लेकिन दोनों आंख की रोशनी चली गई। दो बेटियों सुमन और रमन की शादी कर चुके हैं। 18 साल का बेटा रवि और 60 वर्षीय पत्नी कमलेश कांति मजदूरी कर घर चलाती हैं। कमलेश बीमार रहती हैं। कई महीने पहले आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन किया था लेकिन बना नहीं।