शहर के युवाओं में टैलेंट बहुत है, बस मेहनत करें मौका मैं दूंगा Kanpur News
युवा संगीतकार विशाल मिश्रा पहुंचे दैनिक जागरण कार्यालय अपने संघर्ष कॅरियर व भविष्य की योजनाओं पर की बात।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। युवाओं में टैलेंट बहुत है, जरूरत है तो बस सही दिशा देने की। मेहनत करते रहें, मौका मैं दूंगा। यह कहना है युवा संगीतकार विशाल मिश्रा का। महज पांच साल के करियर में 'कबीर सिंह' और 'सांड़ की आंख' सहित 17 ङ्क्षहदी फिल्मों के लिए म्यूजिक कंपोज कर चुके विशाल बुधवार को दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष, करियर और भविष्य की योजनाओं पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश...
सवाल : नए प्लेटफार्म को फिल्मी दुनिया में मौके दिलाने के लिए किस तरह प्रयास कर रहे हैं?
जवाब : मुंबई में एक अलग दुनिया है वहां तक नए टैलेंट को ले जाना ही मकसद है। इसके लिए इंस्टाग्राम, फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर अपनी मेल आइडी दी है। जो युवा फिल्मी दुनिया में करियर बनाना चाहते हैं वह अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं। मेरी पूरी टीम है जो इसी काम में लगी रहती है। हालिया रिलीज फिल्म 'सांड़ की आंख' में मैंने दो नए कलाकारों गाने को मौका भी दिया है।
सवाल : एक अच्छा संगीतकार बनने के लिए क्या जरूरी है, नई प्रतिभाओं के लिए कोई संदेश?
जवाब : लोग बहुत इमोशनल हैं। इसलिए कोई काम करें तो लोगों के इमोशन का ध्यान रखें। किसी भी फिल्म का संगीत तैयार करते वक्त खुद को किरदार में ढालना पड़ता है, ताकि जो गाना तैयार हो, लोग उससे कनेक्ट कर सकें। बेशक इस फील्ड में संघर्ष है, लेकिन टॉप पर कोई भी पहुंच सकता है। वह जगह हमेशा खाली रहती है। इसलिए लगन से काम करें और प्रयास करते रहें।
सवाल : आपने वकालत की पढ़ाई की, फिर संगीत की दुनिया में कैसे पहुंच गए ?
जवाब : 2005 से ही चोरी-छिपे ऑडीशन देने लगा था लेकिन सफलता नहीं मिली। लखनऊ से वकालत की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली इंटर्नशिप करने चला गया। एक दोस्त को मुंबई में 'भारत की शान' का ऑडीशन दिलाने गया था। सोचा मैं भी ऑडीशन दे दूं। सेलेक्ट हो गया और जीत भी गया। शो के जज ललित पंडित ने मुझे पियानो बजाते देखा और बेशरम फिल्म में असिस्टेंट के तौर पर काम दिया। यही मेरा पहला ब्रेक था। इसके बाद कई तमिल, तेलगू और मराठी फिल्मों के लिए काम किया।
सवाल : आप उन्नाव से हैं, ङ्क्षहदी भाषी क्षेत्र से होने के बावजूद तमिल, तेलगू फिल्में करने में परेशानी नहीं आई ?
जवाब : सीखने की ललक ने सब आसान कर दिया। मुंबई जाने के बाद ही वहां के लोगों से मराठी में बातचीत की। जब गलत बोला तो लोगों ने टोका। तमिल तो नहीं, लेकिन मैं मराठी बहुत अच्छी बोलता हूं। पंजाबी भी आती है।
सवाल : ङ्क्षहदी फिल्मों में मौका कैसे मिला, फिल्मी बैकग्राउंड न होने के बावजूद कैसे अपनी जगह बना पाए ?
जवाब : संघर्ष और मेहनत से सब मुमकिन हो सका। मराठी फिल्में करने के दौरान ही निर्देशक शाबिर खान ने फिल्म 'मुन्ना माइकल' ऑफर की। उसके गाने हिट होते ही काम मिलने लगा। इसके बाद करीब-करीब सिंगल, वीरे दी वेडिंग, रेस थ्री, यमला-पगला दीवाना फिर से, कबीर सिंह, जबरिया जोड़ी समेत 17 फिल्में कर चुका हूं।
सवाल : आप सलमान खान के लिखे गाने के लिए भी म्यूजिक कंपोज कर चुके हैं, कैसा अनुभव रहा?
जवाब : बहुत ही अच्छा। सलमान भाई से मेरी मुलाकात मराठी फिल्म 'फ्रेंडशिप अनलिमिटेड' के दौरान हुई थी। रेस थ्री में उन्होंने अपने लिखे गाने 'सेलफिश' के लिए मौका दिया। मेरा काम पसंद आया तो फिल्म 'नोटबुक' के लिए संगीत तैयार करने को कहा। फिल्म में उन्होंने एक गाना भी गाया है।
सवाल : मुंबई में उन्नाव-कानपुर को कितना मिस करते हैं?
जवाब : अपने शहर की याद तो आती ही है, लेकिन मैंने वहां कई लोगों को बुला रखा है। मेरी टीम में ज्यादातर यूपी के लोग ही शामिल हैं। यहां की चाट बहुत ज्यादा मिस करता हूं। जब भी यहां आना होता है तो चाट खाए बगैर नहीं जाता।