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164 साल में पहली बार चरखारी में नहीं निकला दुलदुल, लोगों में छायी रही मायूसी

मोहर्रम की सातवीं पर निकलने वाले दुलदुल जुलूस में हिंदू-मुस्लिम एकता की तस्वीर दिखती है और कई जिलों के लोग आते थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 09:56 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 01:36 PM (IST)
164 साल में पहली बार चरखारी में नहीं निकला दुलदुल, लोगों में छायी रही मायूसी
164 साल में पहली बार चरखारी में नहीं निकला दुलदुल, लोगों में छायी रही मायूसी

महोबा, [मोहम्मद शफीक]। चरखारी तहसील में 164 साल में पहली बार मोहर्रम की सातवीं तारीख पर लोग मायूस हुए, पहली बार ऐसा हुआ जब दुलदुल नहीं निकला। हिंदू-मुस्लिम एकता की तस्वीर पेश करने वाले इस जुलूस को देखने के लिए कई जिलों के लोग पहुंचते थे लेकिन इस बार सन्नाटा पसरा रहा।

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कोरोना संक्रमण काल का लगा ग्रहण

महोबा जिले की चरखारी तहसील कभी देशी रियासतों का गढ़ रही है। शासक राजा रतन ङ्क्षसह जूदेव ने 1857 में मोहर्रम की सातवीं तारीख पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में दुलदुल (घोड़ा) की सवारी निकालने की परंपरा शुरू कराई थी, रियासतें सामाप्त हुईं तो मोहर्रम कमेटी ने इसकी जिम्मेदारी संभाल ली। 164 साल से चले आ रहे सिलसिले को इस बार काेरोना संक्रमण का ग्रहण लग गया।

कोरोना के कारण उद्योग धंधा, शिक्षा, माल, बाजार सभी कुछ प्रभावित हो रहे हैं। इस संक्रमण काल ने हमारी पुरानी परंपराओं को भी नहीं छोड़ा। इसी में से एक है चरखारी कस्बा में मोहर्रम पर निकलने वाला दुलदुल। इसकी सवारी मोहर्रम की सातवीं पर निकलती है। यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की झलक भी देखने को मिलती है। इस परंपरा से जुड़े लोग अबकी मायूस हुए लेकिन उनका मानना है कि इस बार न सही अगले वर्ष हालात सुधर जाने पर वैसे ही फिर सवारियां निकालेंगे।

पूरी रात निकलता है जुलूस

मोहर्रम की सातवीं पर शहीदाने कर्बला की शहादत पर हर साल हजरत इमाम हुसैन की याद में दुलदुल की सवारी निकालने की परंपरा है। रात में इस जुलूस में यूपी, एमपी, सागर, रीवां, संभाग व झांसी, चित्रकूट, प्रयागराज, कानपुर मंड़ल के जनपदों से लाखों अकीदतमंद अपनी मन्नत को लेकर आते हैं। दुलदुल की सवारी में सोने व चांदी के नींबू चढ़ाते हैं। उसे जलेबी खिलाते हैं।

मोहर्रम कमेटी अध्यक्ष निसार अहमद खान,संरक्षक शेख अनामत सौदागर के मुताबिक इस साल मोहर्रम की सातवीं गुरुवार (27 अगस्त) को पड़ी लेकिन दुलदुल नहीं निकाला गया। मोहर्रम की पांचवीं को सुन्नी मुस्लिम हजरत अली की याद में शेरे अली व अलम का जुलूस भैरोगंज से बुधवारी बाजार,सदर बाजार, झंडा चौराहा से कजियाना होता हुआ निकलता था वह भी नहीं निकला गया। एसडीएम राकेश कुमार ने बताया कि कोरोना के चलते मोहर्रम की सातवीं को दुलदुल जुलूस में इस साल शासन के निर्देशों के तहत रोक थी।


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