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तड़पती जनता, बेफिक्र अफसर और जनप्रतिनिधि

----------- जागरण संवाददाता, कानपुर : अधिकारियों की लंबी-चौड़ी फौज। जनप्रतिनिधियों से ले

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 01:46 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 01:46 AM (IST)
तड़पती जनता, बेफिक्र अफसर और जनप्रतिनिधि
तड़पती जनता, बेफिक्र अफसर और जनप्रतिनिधि

जागरण संवाददाता, कानपुर : अधिकारियों की लंबी-चौड़ी फौज। जनप्रतिनिधियों से लेकर शहर से गांव-गांव तक नजर आने वाले सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता। न वादों में हिचक और न दावों में कोई संकोच। मगर, वाजिदपुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के प्रदूषित जल से प्रभावित 18 गांवों के 48 हजार ग्रामीणों की आवाज इन तक नहीं पहुंची। ऐसा नहीं कि ग्रामीण खामोश हैं। उन्होंने खूब सरकारी देहरी नापी, जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटे। मगर, यह सब कान में रुई लगाए बैठे रहे। प्रदूषित पानी से ग्रामीणों के हाथ-पैरों की अंगुलियां सड़ गई, फसलें बर्बाद हो रही हैं, पीने को पानी नहीं है, रास्तों पर अंधेरा है, टूटी-फूटी सड़कें हैं, शौचालय बनाए नहीं गए। अब इससे ज्यादा क्या बदहाली हो, जब अफसर और जनप्रतिनिधियों की नजर इनकी तरफ जाएगी। ऐसा भी नहीं कि यह कोई दूरस्थ या बीहड़ इलाका हो। नगर निगम के चकेरी वार्ड में यह गांव आते हैं। शहर से सटे हुए हैं। भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले के अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र तो प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना की महाराजपुर विधानसभा में है, जहां से वह सातवीं बार विधायक हैं। महापौर, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त ने भी कभी यहां जाकर हाल जानने की कोशिश तक नहीं की। अब इन जिम्मेदारों का क्या कहना है, जानिए- सांसद देवेंद्र सिंह भोले बोले

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सवाल- आपके लोकसभा क्षेत्र में आने वाले इन गांवों की स्थिति आपको पता है?

जवाब- हां, स्थिति इतनी खराब है, यह मुझे अभी ही पता चला है। मैंने बातचीत के लिए ग्रामीणों को बुलाया है।

सवाल- ग्रामीणों की शिकायत है कि आप कभी क्षेत्र में नहीं गए।

जवाब- जिसने कहा है, झूठ कहा है। मैं कई बार इन गांवों में गया हूं। घर-घर तो नहीं जा सकता।

सवाल- तो फिर वहां की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हो सका?

जवाब- मेरी जानकारी में जो समस्याएं आई, उनका निस्तारण भी कराया।

सवाल- अब तो समस्याओं का पता चल गया। अब क्या करेंगे?

जवाब- ग्रामीणों से बात करूंगा। अधिकारियों को भेज कर समस्याओं का निस्तारण कराऊंगा।

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औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना बोले

सवाल- वाजिदपुर एसटीपी से नहर में प्रदूषित पानी छोड़ा जा रहा है। ग्रामीण बीमार हो रहे हैं। कुछ हुआ क्यों नहीं?

जवाब- हमारा प्रयास है कि पूरी तरह शोधित पानी जाए। भारत सरकार 592 करोड़ रुपये से नया प्लांट बनवा रही है।

सवाल- पानी की टंकियां बसपा शासन में बनी थीं, उनसे आपूर्ति क्यों शुरू नहीं हो सकी।

जवाब- पिछली सरकार में मैंने काफी लिखा-पढ़ी की थी। अब हमारी सरकार है। जो सही हो सकती हैं, उन्हें सही कराएंगे। जरूरत पड़ी तो नई टंकियां भी बनवाएंगे।

सवाल- वहां पेयजल की समस्या बहुत है। तब तक कहां से मिलेगा?

जवाब- डीप बो¨रग और पाइप लाइन के माध्यम से इन गांवों में जलापूर्ति मैंने ही शुरू कराई।

सवाल- ग्रामीण तो बताते हैं कि इस पाइप लाइन से पर्याप्त जलापूर्ति नहीं है।

जवाब- हो सकता है कि कहीं लीकेज हो गए हों या कोई समस्या आ रही हो। मैं दिखवाता हूं।

सवाल- सामुदायिक शौचालयों में ताले क्यों पड़े हैं?

जवाब- मुझे इसकी जानकारी किसी ने नहीं दी। मैं पता कराता हूं।

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नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा बोले

सवाल- जल निगम जिस पानी के शोधित होने का दावा करता है, उस पानी के कारण ग्रामीण बीमार क्यों हो रहे हैं?

जवाब- इसकी जानकारी हम जल निगम से लेंगे।

सवाल- 2007 में पानी की टंकियां बनी थीं, वह अब तक चालू क्यों नहीं हो पाई?

जवाब- टंकियां जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट में बनी थीं। यह विषय लंबे समय से चल रहा है। लाइन में गैप हैं, जिससे टंकियों तक पानी पहुंचने में समस्या है। इसके लिए जल निगम प्रोजेक्ट बना रहा है।

सवाल- स्वच्छ भारत मिशन में सामुदायिक शौचालय बने। उनमें ताले क्यों पड़े हैं?

जवाब- सामुदायिक शौचालयों का संचालन और रखरखाव तो ग्रामीणों को ही करना था। उनमें ताला क्यों है और चालू क्यों नहीं हैं, यह खुद जाकर देखूंगा।

सवाल- व्यक्तिगत शौचालय आधे-अधूरे क्यों छोड़ दिए गए?

जवाब- व्यक्तिगत शौचालय लाभार्थी को खुद ही बनाने थे। फिर भी मैं एक-दो दिन के अंदर ही दौरा कर सब पता करूंगा।

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इनकी भी सुनें

'वहां इन समस्याओं के बारे में मुझे पहले किसी ने बताया नहीं था। एक-दो दिन में दौरा कर समस्याओं की जानकारी ली जाएगी। फिर उनका समाधान कराया जाएगा।'

- प्रमिला पांडेय, महापौर


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