गंगा की अविरलता और निर्मलता बरकरार रखने के लिए बढ़ानी होगी निगरानी
बीएनएसडी शिक्षा निकेतन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाहडॉ. कृष्ण गोपाल और गंगा समग्र के महासचिव डॉ. आशीष गौतम की निगरानी में हुई बैठक में तालाबों को बचाने के लिए कहा गया। तालाबों को बचा कर ही भविष्य में भूगर्भ जल संकट से बचा जा सकता है।
कानपुर, जेएनएन। मां गंगा को अविरल और निर्मल करने के साथ उनका अस्तित्व बचाए रखने के लिए सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय स्तर भी समाजसेवी संस्थाएं इस पुण्य कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। इसी को देखते हुए गंगा समग्र की बैठक आयोजित की गई। बैठक में कहा गया कि दुर्भायवश तमाम प्रयासों के बाद भी अब तक गंगा निर्मल व अविरल नहीं हो सकी है। इसके लिए गंगा किनारे निगरानी बढ़ानी होगी।
दूषित पानी जाने का स्रोत ढूंढ़ना होगा
पेयजल संकट को लेकर बैठक में कहा गया कि इससे पार पाने का एकमात्र तरीका तालाबों का संरक्षण और गंगा की स्वच्छता ही है। गंगा की स्वच्छता के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की संख्या गंगा के किनारे के हिस्सों में बढ़ानी होगी ताकि पानी को शोधित करके ही गंगा में डाला जा सके। इसके अलावा उन बिंदुओं की लगातार निगरानी करने की जरूरत है जहां से गंगा में दूषित पानी जाने की आशंका सबसे अधिक रहती है। इन बिंदुओं पर लगातार निगरानी से दूषित पानी को रोका जा सकेगा तो गंगा भी खुद स्वच्छ होने लगेगी।
...ताकि भविष्य में न हो भूगर्भ जल संकट
बीएनएसडी शिक्षा निकेतन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह डाॅ. कृष्ण गोपाल और गंगा समग्र के महासचिव डाॅ. आशीष गौतम की निगरानी में हुई बैठक में तालाबों को बचाने के लिए कहा गया। बैठक में कहा गया कि तालाबों को बचा कर ही भविष्य मेें भूगर्भ जल संकट से बचा जा सकता है। एेसा ना किया तो पानी के लिए तरसना होगा। बैठक में कहा गया कि आने वाले समय में जैविक खेती ही सबसे बड़ी जरूरत होगी, इसके बिना लोगों के स्वस्थ रहने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए इस पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा। कार्यक्रम के दौरान गंगा समग्र के प्रांत संयोजक राघवेंद्र सिंह व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।