उम्मीद 2021: कानपुर का पर्यावरण सुधारेगी जापान की मियावाकी, नगर निगम कर चुका शुरुआत
कानपुर नगर निगम ने पहली बार जापानी पद्धति से अबतक एक लाख पौधे लगवाए। इसमें तमाम पार्कों से कब्जे हटाकर हरियाली लाने की योजना है। शहर के प्रमुख स्थानों पर वाटिका भी तैयार की जा रही है ।
कानपुर, जेएनएन। पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए नगर निगम ने पहली बार मियावाकी पद्धति से शहर में एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं। इससे कई उजड़े पार्क हरे-भरे हो गए हैं। डिवाइडरों और खाली पड़ी जगहों पर भी पौधे लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा तमाम पार्कों से कब्जे हटाकर हराभरा करने की कार्ययोजना बनायी जा रही है। नए साल में शहर में हरियाली का नजारा आकर्षित करेगा तो पर्यावरण की सेहत भी ठीक होगी।
नगर निगम ने विजयनगर के उजड़े पड़े ट्रैफिक चिल्ड्रेन पार्क में कई ट्रक भरा मलबा और गंदगी साफ करने के साथ ही मियावाकी पद्धति (जापानी पद्धति) से 42 हजार, मसवानपुर के शनैश्वर मंदिर में 5400 और पनकी के आंबेडकर पार्क में 3900 पौधे लगवाए। वहीं जागेश्वर अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन पार्क में 14 हजार पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा भी कई जगह पौधे लगाए हैं।
ये पौधे लगाए गए : पारस पीपल, जामुन, मौलश्री, अर्जुन, पिलखन, शीशम, गोल्डमोहर, कैजुरिना, सुखचैन, गूलर, आम, अशोक, अमरूद, नींबू, किन्नू, फाइकस, टिकोमा. चम्पा, कलैंड्रा, बॉटल ब्रश, जेट्रोफा, बांस, कनैर, आड़ू, नाशपाती, शहतूत, करौंदा, मेहंदी, तुलसी आदि।
परंपराग ढंग से लगाए 54573 पौधे
नगर निगम ने परंपरागत ढंग से 54,573 पौधे लगाए है। शहर के विभिन्न पार्कों में पौधे लगाए गए है। इनका रखरखाव उद्यान विभाग द्वारा किया जा रहा है।
यहां बनाई वाटिका
नवग्रह वाटिका कारगिल पार्क, पंचवटी व नक्षत्र वाटिका, परशुराम वाटिका आर्यनगर और नानाराव पार्क का भी निर्माण कराया गया है। 206 विकसित पार्कों और 266 अद्र्ध विकसित पार्कों का अनुरक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा अमृत योजना के तहत आठ पार्कों का सुंदरीकरण कराया जा रहा है।
ये काम हुए
- गोल चौराहा से कोकाकोला चौराहा तक डिवाइडर में जाली लगाकर पौधे लगाए गए
- ब्रह्मनगर चौराहा पर हैंगिंग गार्डन बनाया गया
- गोल चौराहा के पास नरेंद्र मोहन सेतु के नीचे छह हजार पौधे लगाए जा रहे
- यहां पर भी लगेंगे पौधे जरीब चौकी चौराहे से घंटाघर चौराहा तक नगर निगम पौधे लगाने जा रहा है।
क्या होती है मियावाकी पद्धति
वनरोपण की एक पद्धति है जिसका आविष्कार मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री ने किया था। इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं, जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुनी तेजी से बढ़ते हैं। इस पद्धति की प्रक्रिया सबसे पहले एक गड्ढा बनाना होता है, जिसका आकार प्रकार भूमि की उपलब्धता पर निर्भर होता है। गड्ढा खोदने के भी पहले तीन प्रजातियों की एक सूची बनानी होती है। इसके लिए ऐसे पौधे चुने जाते हैं जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सकती है। इस गड्ढे में कम्पोस्ट की एक परत डाली जाती है। सबसे ऊपर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है।
- जाजमऊ में 25 एकड़ पार्क में 1.11 लाख पौधे पिछले साल लगाए गए थे। इस साल डेढ़ लाख पौधे लगाए गए है। अभी पौधे लगाने का सिलसिला चल रहा है। -डॉ वीके सिंह, उद्यान अधीक्षक नगर निगम