स्किल डेवलपमेंट एंड इंटरप्रेन्योरशिप मंत्रालय से पूछा प्रश्न, सामने आया चौंकाने वाला ये जवाब
चार साल में प्रशिक्षित किए 41 लाख और दावा हर वर्ष एक करोड़ का।
कानपुर,[आलोक शर्मा]। सरकार योजनाएं तो खूब चलाती हैं और लोगों को फायदा भी मिलता है। मगर, जब सरकारी आंकड़े सामने आते हैं तो योजना की हकीकत दावों से परे नजर आती है। कुछ ऐसा ही हाल हुआ केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का। सरकारी विज्ञापनों में दावा था कि प्रतिवर्ष एक करोड़ युवा हुनर सीख कर भविष्य सशक्त कर रहे हैं। लेकिन, जो आंकड़े सामने आए वे बेहद चौंकाने वाले हैं। लगभग चार वर्ष में करीब 48 लाख युवाओं को ही स्किल डेवलपमेंट के तहत प्रशिक्षण मिला, जिसमें रोजगार पाने वालों की संख्या 63 फीसद है।
आरटीआइ में पूछे गए प्रश्न
स्किल डेवलपमेंट एंड इंटरप्रेन्योरशिप मंत्रालय से अधिवक्ता आयुष अग्रवाल ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। सवाल थे कि प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन के तहत कितने युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के बाद कितने युवाओं को रोजगार मिला और कितना धन आवंटित तथा खर्च हुआ।
मंत्रालय से यह मिला जवाब
मंत्रालय के उपसचिव देव प्रकाश सिंह की ओर से जवाब दिया गया कि 24 जनवरी 2019 तक 41,21,250 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं से प्रशिक्षण पाने वाले 63 फीसद युवाओं को रोजगार मिला।
योजना में प्रतिवर्ष हुआ खर्च
- वित्तीय वर्ष 2015-16 में 1350 करोड़ रुपये बजट आवंटित हुआ, जिसे संशोधित कर 900 करोड़ किया गया। हालांकि खर्च 975 करोड़ रुपये हुए।
- 2016-17 में 1375 करोड़ रुपये बजट आवंटित हुआ, जिसे संशोधित कर 1540 करोड़ किया गया। 857.74 करोड़ रुपये खर्च हुए।
- 2017-18 में 1590 करोड़ रुपये बजट आवंटित हुआ, जिसे बाद में 1775.37 करोड़ कर दिया गया। 1736.19 करोड़ रुपये खर्च हुए।
- 2018-19 में 2154.34 करोड़ रुपये बजट आवंटित हुआ, जिसे संशोधित कर 2250.34 करोड़ किया गया। 25 फरवरी 2019 तक 1768.42 करोड़ रुपये खर्च हुए।
2016 में शुरू हुई थी योजना
केंद्र सरकार ने युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोडऩे के लिए वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू की थी। इसके तहत युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के साथ उन्हें लघु उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित करना था। योजना के तहत अब तक 6465.71 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें फरवरी 2019 तक 5337.35 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।