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पांच रोडवेज बसें बदलकर 1200 किमी तक सफर में दर्द से तड़पी गर्भवती, फतेहपुर में बच्चे का जन्म

मुंबई से आने में तीन राज्यों में पांच रोडवेज बस बदलीं फतेहपुर में बस रुकने पर सूचना के बाद एसडीएम ने गर्भवती को सीएचसी भिजवाया जहां पर सुरक्षित प्रसव कराया गया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 05:27 PM (IST)
पांच रोडवेज बसें बदलकर 1200 किमी तक सफर में दर्द से तड़पी गर्भवती, फतेहपुर में बच्चे का जन्म
पांच रोडवेज बसें बदलकर 1200 किमी तक सफर में दर्द से तड़पी गर्भवती, फतेहपुर में बच्चे का जन्म

फतेहपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए सरकार ने रेलवे और रोडवेज बसों की व्यवस्था तो दे दी, लेकिन बदइंतजामी से उनकी जान पर बन रही है। अकेले कानपुर की बात करें तो श्रमिक स्पेशल ट्रेन में उपचार न मिलने से अबतक पांच लोगों की मौत होने के मामले सामने आ चुके हैं, वहीं भूख और प्यास से बिलबिलाते यात्री स्टेशनों पर खाना और पानी लूटने को मजबूर हो रहे हैं। अब रोडवेज बसों के सफर में तो अमानवीयता की हदें ही पार हो गई है, ऐसी घटना फतेहपुर में सामने आई है। मुंबई से पांच रोडवेज बसें बदलकर यहां तक पहुंची एक गर्भवती 1200 किमी से ज्यादा सफर में प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, लेकिन कहीं उपचार नहीं दिलाया गया।

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ट्रेन न मिली तो बस से सफर का लिया फैसला

भदोही के गोपीगंज निवासी राजेंद्र व उनका भाई राजन मुंबई के ठाणे में रहकर एक धागा फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते फैक्ट्री बंद होने पर दोनों परिवार के साथ मुंबई में फंस गए। राजेंद्र की पत्नी संतरा देवी गर्भवती थी और प्रसव का समय नजदीक आ चुका था। राजेंद्र ने बताया कि पत्नी की बिगड़ती हालत को देखकर गांव लौटने का फैसला किया, ताकि वहां पर सुरक्षित प्रसव हो सके। इसलिए पहले वह ट्रेन की टिकट के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन विफलता हाथ लगी। इधर पत्नी की हालत भी बिगड़ रही, इस बीच रविवार को प्रवासियों को भेजने के लिए रोडवेज बसों की व्यवस्था की जानकारी हुई।

1200 किमी के सफर में दर्द से तड़पी गर्भवती

राजेंद्र ने बताया कि पत्नी, भाई व उसकी पत्नी रिया के साथ वह बस में सवार हो गए। महाराष्ट्र रोडवेज की बस पहले उन्हें मुंबई सीमा तक लेकर गई। यहां से मध्य प्रदेश सरकार की अलग-अलग तीन बसों में सफर करने के बाद पहले गुना और फिर झांसी पहुंचाया गया। बस से सफर शुरू होते ही धक्के लगने से पत्नी प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, लेकिन कहीं मदद नहीं मिली। झांसी पहुंचने पर पत्नी पीड़ा सहन नहीं कर पा रही थी, उसे देखकर स्थानीय अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन अनसुना कर दिया गया। उन्हें मंगलवार की सुबह चार बजे भदोही की बस में बिठाकर रवाना करा दिया गया। पत्नी संतरा का रास्ते में दर्द तेज होता रहा, उसने चालक से मदद की बात कही तो उसने बीच में उतारने की बात कही। इसपर वह चुप होकर बस में ही बैठा रहा। करीब 1200 किमी के सफर में संतरा दर्द से तड़पती रही और उसकी देखभाल छोटे भाई की पत्नी रिया करती रही।

ढाबा कर्मी के सुझाव पर एसडीएम को किया फोन

राजेंद्र ने बताया कि सुबह करीब सवा दस बजे बस जहानाबाद कस्बे के ढाबा के समीप रुकी। चालक समेत अन्य प्रवासी यात्री चाय पानी के लिए उतर गए। ढा़बे के एक कर्मचारी ने उसकी पत्नी की हालत देखी तो उससे रहा नहीं गया। उसने बिंदकी एसडीएम का मोबाइल नंबर देकर मदद मांगने का सुझाव दिया। इसपर उसने फोन पर एसडीएम से मदद मांगी। एसडीएम से बात करने के कुछ देर बाद 102 एंबुलेंस आ गई, जिससे पत्नी को जहानाबाद सीएचसी पहुंचाया गया। चिकित्सा अधीक्षक डा. जेपी वर्मा व स्टाफ नर्सों की टीम ने महिला का प्रसव कराया। डॉक्टरों ने जच्चा व बच्चा दोनों के स्वस्थ होने की बात कही है।

क्या कहते हैं अधिकारी

-मेरे पास सुबह करीब सवा दस बजे बस से सफर करने वाले प्रवासी का फोन आया और वह पत्नी को असहनीय प्रसव पीड़ा होने की जानकारी देते हुए रोने लगा। इसपर उससे जगह पूछकर तुरंत 102 एंबुलेंस भिजवाई, जिससे उसे सीएचसी जहानाबाद पहुंचाया गया। वहीं, बस चालक को सूचना देकर आगे लिए रवाना करा दिया। अस्पताल में महिला का सुरक्षित प्रसव कराए जाने की जानकारी मिली है। -एसडीएम बिंदकी, प्रहलाद सिंह

-जिस बस से प्रसव पीड़ा वाली महिला व उसके परिवार को उतारा गया, वह झांसी से चली थी। बस में जिले का कोई प्रवासी नहीं था, इसलिए इसकी सूचना उन्हें नहीं है, लेकिन प्रसव पीड़ा पर सहायता मांगने पर ड्राइवर व कंडेक्टर ने स्थानीय प्रशासन या रास्ते में किसी को भी सूचना नहीं दी, जो कि गलत है। बस किस डिपो की थी और उसमें कौन चालक और परिचालक थे, इसकी जानकारी करने के लिए एआरएम को निर्देशित किया है। इस मामले में शासन स्तर तक लिखित सूचना दी जाएगी। -संजीव सिंह, जिलाधिकारी फतेहपुर


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