आंशिक लाकडाउन के दौरान भविष्य चिंता बढ़ा रही लोगों में मानसिक तनाव, पढ़िए- कानपुर के युवक का दर्द
स्कूल संचालक जहां बच्चों से पूरी फीस वसूल रहे हैं वहीं शिक्षकों को वेतन आधा दे रहे हैं। इन परिस्थितियों ने कर्मचारियों के बीच तनाव पैदा कर दिया है। तनाव से चिड़चिड़ापन आपसी तनाव और वाद विवाद का कारण बन रहा है।
कानपुर, जेएनएन। हरिओम श्रीवास्तव पेशे से आॅटो ड्राइवर हैं। कोविड की पहली लहर के दौरान उनके जीवन की गाड़ी पटरी से उतर गई थी। मसलन परिवार चलाने के साथ ही अन्य कई तरह की आर्थिक समस्याओं के चलते वह परेशान थे। दरअसल कमाई से कुछ पैसा बचाया तो कोरोना लाकडाउन के दौरान उसी से परिवार चलाया। परिस्थितियां सामान्य हुईं तो गाड़ी फिर पटरी पर आ रही थी कि कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी। अब एक बार फिर हरिओम परेशान हैं। इस बार तो पूंजी भी जमा नहीं कर पाए जो खर्च करके परिवार को पेट पाल सकें।
शहर में हरिओम जैसे हजारों लोग हैं जो अपना परिवार चलाने के लिए अब भगवान भरोसे हैं। हरिओम तो चेहरा हैं लेकिन परेशानियां सबकी एक जैसी ही हैं। आठ हजार से ज्यादा आटो, टेंपो चालक, 18 हजार ई-रिक्शा संचालक, एक से डेढ़ लाख कर्मचारी जो फैक्ट्री, कारखाना, मिल, दुकान और मजदूरी करके जीवनयापन करते हैं, काम न होने से कमाई घट गई है। कई जगहों पर आधा वेतन मिल रहा है तो कहीं कर्मचारियों को कोरोना कर्फ्यू तक घर बैठने को कह दिया गया है। निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्थिति इससे ज्यादा खराब है। स्कूल संचालक जहां बच्चों से पूरी फीस वसूल रहे हैं वहीं शिक्षकों को वेतन आधा दे रहे हैं। इन परिस्थितियों ने कर्मचारियों के बीच तनाव पैदा कर दिया है। तनाव से चिड़चिड़ापन आपसी तनाव और वाद विवाद का कारण बन रहा है।