मेडिकल छात्रा के पिता का आरोप, प्राचार्य व विभागाध्यक्ष हैं बेटी की मौत के जिम्मेदार Kanpur News
अमृता के पिता ने स्वरूप नगर थाने में दी उत्पीडऩ करने की तहरीर पुलिस बोली जांच करने के बाद करेंगे कार्रवाई।
कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस फाइनल ईयर की छात्रा अमृता सिंह के आत्महत्या प्रकरण में गुरुवार को नया मोड़ आ गया। कानपुर आए अमृता के पिता ने स्वरूप नगर थाने में मेडिकल कॉलेज प्राचार्य व तीन विभागाध्यक्षों के खिलाफ तहरीर देकर उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि उनकी वजह से ही बेटी को खुदकशी के लिए मजबूर होना पड़ा।
एमएमबीएस अंतिम वर्ष में थी अमृता
झांसी के केकेपुरी कॉलोनी निवासी रामसनेही वर्मा इटावा के ग्र्रामीण अभियंत्रण विभाग में जूनियर इंजीनियर हैं। उनकी 24 वर्षीय छोटी बेटी अमृता मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस अंतिम वर्ष की छात्रा थी। अमृता ने 23 जनवरी को गंगा बैराज से नदी में कूदकर जान दे दी थी। उसका शव 12 किमी दूर शुक्लागंज में गंगा में मिला था। बाद में अमृता के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें उसने मानसिक तनाव को जिम्मेदार ठहराया था। उसने यह भी लिखा था कि परीक्षाओं के चलते वह परेशान थी और इससे पहले भी तीन बार परीक्षाओं के दौरान ही उसने आत्महत्या का प्रयास किया था।
'पढ़ाई में नहीं थी कोई समस्या'
इधर अमृता के पिता कॉलेज में बेटी के उत्पीडऩ का आरोप लगा रहे हैं। गुरुवार को अमृता के पिता अपने रिश्तेदारों के साथ पहले एसएसपी कार्यालय फिर स्वरूप नगर थाने पहुंचे। थाने में दी तहरीर में उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी मेधावी छात्रा थी और उसकी शिक्षा में कोई समस्या नहीं थी। वह साहसी भी थी। कॉलेज में उसे प्रताडि़त किया जा रहा था, जिसकी शिकायत वह समय समय पर करती रहती थी। घटना के बाद जब वह गंगा बैराज पर पहुंचे तो वहां भी छात्र-छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन द्वारा उत्पीडऩ किए जाने की जानकारी उन्हें दी थी। तहरीर में उन्होंने प्राचार्या डॉ. आरती लालचंदानी, मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. रिचा गिरी, बालरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. किरन पांडेय को प्रताडऩा के लिए आरोपित किया। स्वरूप नगर इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार पांडेय ने बताया कि मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
'अनुसूचित जाति होने के नाते हुआ उत्पीडऩ'
अमृता के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन उनके समाज के बच्चों को आगे नहीं बढऩे देता और उनका उत्पीडऩ करता है। इसी दबाव में उनकी बेटी ने आत्महत्या की है।
इनका ये है कहना
छात्रा की उपस्थिति पूरी थी। उसे कहीं किसी ने रोका भी नहीं है। न ही उसने किसी के खिलाफ कोई शिकायत की। उसने अपने पत्र में भी लिखा है कि पास फेल से कोई लेना-देना नहीं है। उसके पिता अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। उनके साथ मेरी और मेरे सभी संकाय सदस्यों की सहानुभूति है।
-प्रो. आरती लालचंदानी, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।