अब कानपुर की सबसे बड़ी और व्यवस्थित कॉलोनी के रूप में है आनंदपुरी की पहचान
उद्यमी मनोज बंका ने रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को ही ताकत बनाया और सकारात्मक सोच के साथ कॉलोनी के सुधार के 'शिल्पी' बन गए।
नगर निगम के सफाई कर्मी सफाई करने नहीं आते। सड़कों पर जलभराव हो जाता है। पार्क उजाड़ पड़े हैं। यह स्थिति शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मिल जाएगी और सरकारी तंत्र पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ते भी बाशिंदे मिल जाएंगे। मगर, जनता कैसे आधारभूत सुविधाओं को बेहतर कर सकती है, यह किदवई नगर स्थित आनंदपुरी में देखा जा सकता है।
यहां रहने वाले उद्यमी मनोज बंका ने रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को ही ताकत बनाया और सकारात्मक सोच के साथ कॉलोनी के सुधार के 'शिल्पी' बन गए। लगभग पचास एकड़ क्षेत्रफल में स्वदेशी कॉटन मिल समूह ने 1972 में आनंदपुरी कॉलोनी बसाई। शहर के तमाम आवासीय क्षेत्रों की तरह यहां भी नगर निगम के सफाई कर्मियों की तैनाती नहीं थी। कॉलोनी के बाशिंदे अपने घर के सामने सफाई कर कूड़ा बाउंड्री किनार फेंक देते थे, जो इकट्ठा होता गया।
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यहां रहने वाले प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज बंका आनंदपुरी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के मंत्री थे। 2001 में उन्होंने सुधार के लिए कदम बढ़ाया। सबसे पहले तो कॉलोनी की बाउंड्री किनारे इकट्ठा हुआ कूड़ा साफ कराया। फिर नई व्यवस्था के लिए आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों को राजी किया।
कॉलोनी में रहने वाले बमुश्किल आधे परिवार मासिक आर्थिक सहयोग देने को तैयार हुए। उसी पैसे से दो सफाई कर्मी लगाकर सफाई शुरू करा दी। फिर महसूस किया कि दो सफाई कर्मी इतनी बड़ी कॉलोनी को नियमित साफ नहीं कर सकते। तब सोचा कि कूड़ा सड़कों पर ही न आने दिया जाए। तब डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू कराया। वह कूड़ा कॉलोनी के बाहर स्थित नगर निगम के डंप पर पहुंचाया जाने लगा। अब यहां दो सफाई कर्मी घर-घर से कूड़ा उठाते हैं और दो सफाई कर्मी सप्ताह में दो दिन एक सड़क पर झाड़ू लगाते हैं।
इसके बाद तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी को बुलाकर सड़कों की दुर्दशा दिखाई और कुछ सड़कों का निर्माण कराया। धीरे-धीरे सभी सड़कें चकाचक करा दी गईं। अब कॉलोनी में 450 परिवार रह रहे हैं और सभी आर्थिक सहयोग देते हैं।
पूरी कॉलोनी में छाई हरियाली
2001 में ही मनोज बंका ने आनंदपुरी कॉलोनी में वृहद पौधरोपण अभियान शुरू किया। पार्कों का सुंदरीकरण कराया। तब से प्रतिवर्ष आरडब्ल्यूए 70-80 पौधे रोपती है और उनका संरक्षण करती है। अब पूरी कॉलोनी हरी-भरी नजर आती है। इस वक्त वहां कुल आठ हरे-भरे और साफ-सुथरे पार्क हैं। इकट्ठे होने वाले कूड़े में से करीब तीस फीसद कूड़े से पार्कों में जैविक खाद भी बनाई जा रही है।
रैंप तुड़वाकर जलभराव का निदान
मनोज बंका बताते हैं कि कॉलोनी की सड़कें बन चुकी थीं, इसके बावजूद जलभराव की समस्या थी। दरअसल, लोगों ने घर के बाहर रैंप बनवा कर ड्रेनेज पिट को ढंक दिया था। तब कॉलोनीवासियों को जैसे-तैसे राजी कर सभी घरों के सामने के रैंप तुड़वाए। ड्रेनेज पिट की सफाई कराई। अब पूरी कॉलोनी अतिक्रमणमुक्त है। हर साल नियमित रूप से ड्रेनेज पिट की सफाई भी कराई जाती है, जिसकी वजह से जलभराव की समस्या से पूरी तरह छुटकारा मिल चुका है।
आनंदपुरी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज बंका कहते हैं कि 'मैं 2002 से 2004 तक आरडब्ल्यूए का मंत्री रहा। उसके बाद से अब तक अध्यक्ष हूं। सुधार के लिए काम शुरू किया, तब आधे परिवार ही आर्थिक अंशदान देते थे। रैंप तोड़ने पर भी विरोध सहना पड़ा। फिर भी हम सुधार कराते चले गए। लोगों ने बदलाव देखा तो अब पूरी कॉलोनी परिवार की तरह है। सभी चाहते हैं कि आनंदपुरी शहर की सबसे सुंदर और व्यवस्थित कॉलोनी के रूप में पहचानी जाए।'