कानपुर की प्रतीक्षा ने तैयार की 5000 'फाइटर गर्ल'
प्रतीक्षा कटियार ने छत्रपति शाहूजी महाराज विवि से एलएलबी किया है। 2012 में दिल्ली का निर्भया कांड होने के बाद विचार आया कि आत्मरक्षा के गुर सिखाने चाहिए।
जागरण संवाददाता, कानपुर
'बेटी संभलकर रहना। सीधे जाना-सीधे आना...।' एक तो परिजन की अक्सर मिलने वाली यह नसीहत और फिर राह चलते कई मर्तबा फब्तियों का सामना। यह स्थितियां एक बेटी को समझाने के लिए काफी थीं कि सड़क पर महिला-युवतियां सुरक्षित नहीं हैं। मदद के लिए मुंह ताकने या खुद को घर में कैद करने से बेहतर होगा कि अपनी आत्मरक्षा खुद की जाए। इसी सोच के साथ प्रतीक्षा कटियार ने खुद जूडो-कराटे सीखा और अब मुफ्त में स्कूल-कॉलेजों में जाकर छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं।
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बर्रा निवासी प्रतीक्षा कटियार ने छत्रपति शाहूजी महाराज विवि से एलएलबी किया है। समाज में असुरक्षा का अहसास होने पर ही उन्होंने वर्ष 2007 में जूडो सीखा। राष्ट्रीय स्तर तक के मुकाबलों में हिस्सा लिया। इसके बाद अपने ही शौक से वर्ष 2011 में कराटे सीखना शुरू किया। वर्ष 2012 में दिल्ली का निर्भया कांड होने के बाद विचार आया कि दूसरी युवतियों को भी आत्मरक्षा के गुर सिखाने चाहिए।
उसी साल 'फाइटर गर्ल' नाम से कराटे क्लास शुरू कर दी। प्रतीक्षा बताती हैं कि जिन महिला-युवतियों को पूरा कोर्स करना हो, उन्हीं से फीस लेती हैं। इसके अलावा शहर के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों में निशुल्क शिविर लगाती हैं। अब तक 5000 से अधिक लड़कियों को कराटे का प्रशिक्षण दे चुकी हैं।
मदद के लिए शुरू की हेल्पलाइन
प्रतीक्षा कटियार सिर्फ आत्मरक्षा के गुर ही नहीं सिखा रहीं बल्कि महिला-युवतियों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहती हैं। इसी मकसद से उन्होंने अपने मोबाइल नंबर को महिला हेल्पलाइन के बतौर प्रसारित कर रखा है। उन्होंने बताया कि उनके मोबाइल पर जब कोई महिला या युवती मदद मांगती है तो वह अपनी टीम के साथ पहुंच जाती हैं। मौके पर समय से पहुंच गईं तो शोहदे को सबक सिखा देती हैं। अन्य परिस्थितियों में पुलिस के पास ले जाकर कानूनी मदद दिलाती हैं। फोन पर भी सलाह देती हैं कि किस परिस्थिति में कैसे वहां से सुरक्षित निकलना है।
प्रतीक्षा कटियार ने कहा कि आत्मरक्षा सीखने का मकसद सिर्फ यही नहीं होता कि लड़की किसी शोहदे को सबक सिखाने में सक्षम हो जाएगी। असल में जब यह क्षमता आ जाती है तो आत्मविश्वास बढ़ जाता है। हमेशा हाथ उठाने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि लड़की हिम्मत से आंख मिलाकर बात करने लगती है तो सामने वाले का हौसला अपने आप पस्त हो जाता है। मेरा मानना है कि आत्मरक्षा का कुछ प्रशिक्षण तो हर लड़की को लेना ही चाहिए। अभिभावक भी इस पर ध्यान दें।
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