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कानपुर फोरमः शहर ने ठाना चलेंगे साथ, बदल देंगे हालात

सरकारी योजनाओं से समस्याओं के निस्तारण के अलावा दैनिक जागरण के 'माय सिटी माय प्राइड' अभियान का बड़ा मकसद तो यही था।

By Gaurav TiwariEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 06:00 AM (IST)
कानपुर फोरमः शहर ने ठाना चलेंगे साथ, बदल देंगे हालात

जागरण संवाददाता, कानपुर। अपने शहर से लोगों को प्यार हो, उसके विकास के प्रति फिक्रमंद हों और सहयोग के लिए भी आगे आएं। सरकारी योजनाओं से समस्याओं के निस्तारण के अलावा दैनिक जागरण के 'माय सिटी माय प्राइड' अभियान का बड़ा मकसद तो यही था। शहर में पहले से ही कई ऐसे सेवाभावी जन हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में निजी संसाधनों से समाज के लिए बेहतरीन योगदान दे रहे हैं। उन रीयल हीरो ने अन्य शहरवासियों को भी कितना प्रेरित किया है, इसका असर रविवार को आयोजित फोरम में देखने को मिला। दरअसल, अभियान के दौरान शहरवासियों, विशेषज्ञों से बातचीत कर हमने कुछ प्रमुख बिंदु छांटे, जिनमें सुधार की जरूरत है। सरकार से इतर जिनमें जनसहभागिता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत सुविधाएं, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के तहत आने वाली इन प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए फोरम में सेवाभावीजन पहले ही मन बनाकर आए थे। उन्होंने यहां प्रस्ताव सौंपकर अपने-अपने स्तर से दिए जाने वाले सहयोग का संकल्प लिया। शहर का हाल बदलकर एक मिसाल कायम करने की ओर वह कदम बढ़ा चुके हैं।

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स्वस्थ होगा बचपन
समस्या-शहर का चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय सुविधाओं के अभाव में बंद हो चुका है। इस कारण गरीब शहरवासियों को बच्चों के इलाज के लिए परेशान होना पड़ता है।
इसके लिए कानपुर कपड़ा कमेटी के अध्यक्ष काशी प्रसाद शर्मा ने प्रस्ताव दिया है कि नगर निगम चाचा नेहरू अस्पताल कमेटी को लीज पर दे दे। हम जीर्णशीर्ण हो चुके अस्पताल का सुधार कर उसे संचालित करेंगे। प्रशासन सिर्फ निगरानी का जिम्मा संभाले। वहीं, भारतीय बालरोग अकादमी के संरक्षक डॉ.आरएन चौरसिया ने प्रस्ताव दिया है कि उनकी संस्था चाचा नेहरू अस्पताल के लिए चिकित्सक देने को तैयार है।

गरीबों को मिलेगा सस्ता इलाज
समस्या-गरीबों को सस्ता इलाज न मिलना शहर की एक बड़ी समस्या है।
समाधान- अभियान से जुड़कर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण कटियार ने प्रस्ताव दिया कि आइएमए गरीबों के लिए निश्शुल्क मासिक स्वास्थ्य शिविर लगाकर मुफ्त दवा वितरित करेगा। इसी तरह कानपुर नर्सिंगहोम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र सरावगी ने रजामंदी दी है कि अपने अस्पताल में एक बेड गरीब के लिए निश्शुल्क आरक्षित रखेंगे। उसके इलाज का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा वहीं, पनकी मंदिर के महंत श्रीकृष्ण दास ने दो सौ बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल बनवाने तो महंत जितेंद्र दास ने सौ बेड का अस्पताल मंदिर के पास बनवाने की घोषणा की।

शिक्षा दान संवारेगा भविष्य
समस्या-सरकारी बेसिक स्कूलों में सुविधाओं की कमी रहती है, जिसके कारण बच्चों को पढ़ाई में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई जगह स्कूल भी जर्जर हैं।
समाधान-पीपीएन कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा सिंह ने गंगा बैराज के प्राथमिक विद्यालय को गोद लेने का प्रस्ताव दिया है। व्यापारी नेता संत मिश्रा और मुकुंद मिश्रा ने घोषणा की है कि राखी मंडी मलिन बस्ती में बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाएंगे। इसी तरह समाजसेवी शिवकुमार शुक्ला गोपाल ने कटरी शंकरपुर सराय के उच्च व प्राथमिक विद्यालय को गोद लेने का प्रस्ताव दिया है। स्व. पारसदास जैन मेमोरियल सोसाइटी हर साल 300 छात्रों को छात्रवृत्ति देती है। सचिव डॉ. अनूप जैन ने घोषणा की है कि अब हर साल इंजीनियङ्क्षरग और मेडिकल की पढ़ाई करने वाले पचास छात्रों को छात्रवृत्ति देंगे।

जाम से निजात के लिए बेहतर प्रबंधन का संकल्प
समस्या- अराजक यातायात और अतिक्रमण की वजह से शहर जाम से परेशान है। बेतरतीब आटो, बेलगाम ई-रिक्शा जाम का प्रमुख कारण हैं।
समाधान-इस समस्या को महापौर प्रमिला पांडेय सहित सभी आला अधिकारियों ने स्वीकार किया। उन्होंने अतिक्रमण के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाने की घोषणा की वहीं, कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने एसएसपी को निर्देश दिए कि बेहतर यातायात के लिए एक मजबूत कार्ययोजना तैयार कर उस पर सख्त अमल कराएं। इसकी मानिटरिंग भी होगी।

जनसहभागिता से बनेगी पार्किंग की व्यवस्था
समस्या- प्रमुख बाजारों में पार्किंग की व्यवस्था न होने से भी जाम लगता है। आर्यनगर, स्वरूप नगर, गोविंद नगर, बिरहाना रोड, नयागंज, किराना बाजार जैसे इलाकों में यह समस्या है।
समाधान-एडीजी अविनाश चंद्र और जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने भी इस समस्या को अपनी चिंता में शामिल किया। जिलाधिकारी ने मंच से ही शहर के प्रबुद्धजनों से कहा कि मुझसे ज्यादा आप शहर को जानते हैं। आप मुझे समाधान सुझाएं, मैं उस पर कार्ययोजना बनाकर पार्किंग की समस्या का भी समाधान कराऊंगा। बार एसोसिएशन और किराना बाजार इसमें प्रशासन का सहयोग करेगा।

बाजारों में डस्टबिन रख गंदगी से निजात की शुरुआत
समस्या- कानपुर गंदगी के ढेर पर है। शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जो कानपुर आया और यहां की गंदगी पर सवाल न उठाए हों।
समाधान-मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा ने स्वच्छता के विषय को गंभीरता से लिया। व्यापारियों से उन्होंने कहा कि सुबह सफाई हो जाती है, उसके बाद आप दुकानें खोलकर सफाई करते हैं तो उससे गंदगी होती है। हम सभी बाजारों में डस्टबिन रखवाने को तैयार हैं। कूड़ा उसी में डालें तो बाजार साफ नजर आएंगे।

सड़कें होंगी शानदार
समस्या- सड़क बनाने, पाइप लाइन बिछाने समेत कई कामों में कोई समन्वय नहीं है। इसके चलते सड़कें बार-बार खोदी जाती हैं।
समाधान-इस मामले में सदस्य, विधान परिषद डॉ. अरुण पाठक ने पहल की है। उन्होंने सीएसआर, जनसहभागिता और अपनी निधि से पनकी रोड को मॉडल सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस सड़क पर भविष्य में किसी भी प्रकार की लाइन डालने के लिए खोदाई की आवश्यकता न पड़ेगी। इसमें पानी, टेलीफोन, पीएनजी, बिजली आदि की लाइन के लिए डक्ट पहले ही बना दिया जाएगा। इसी तरह कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने बरसात में खराब हुई सभी सड़कों का पैचवर्क एक सप्ताह में पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

ब्रांडिंग पर जोर, चमकेगा कानपुर
समस्या-कानपुर देश दुनिया में प्रदूषण और गंदगी के कारण बदनाम हुआ। इससे ब्रांडिंग पर असर पड़ा। इसे दूर करने की जरूरत है।
समाधान- तिरंगा अगरबत्ती के मालिक नरेंद्र शर्मा ने प्रस्ताव दिया है कि वह वाराणसी की तर्ज पर साप्ताहिक गंगा आरती शुरू कराएंगे। इसके अलावा कानपुर के पर्यटन स्थलों की आइटनरी (निर्देशिका) और कैलेंडर बनवाकर उसे वितरित कराएंगे, ताकि इन स्थलों की ब्रांडिंग हो और लोगों को जानकारी हो सके।

प्रशिक्षण के साथ हर साल एक हजार को रोजगार
समस्या- शहर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में है। इसके बावजूद यहां अपेक्षित रूप से औद्योगिक विकास नहीं हो पा रहा है। प्रशिक्षित कामगारों की भी कमी है।
समाधान-इस बात को आइआइए ने समझा है। फोरम में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने घोषणा की है कि वह प्रतिवर्ष एक हजार युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण और फिर उसके बाद रोजगार भी देंगे।

सीएसआर का हो सही उपयोग
समस्या- शहर के औद्योगिक समूह सीएसआर फंड विकास कार्यों के लिए दे भी रहे हैं। मगर, यहां की व्यवस्थाओं से हताश होकर कई उद्यमी दूसरे राज्यों में फंड खर्च करने लगे। सीएसआर से सरकारी संस्थाओं में काम कराने की प्रक्रिया भी कुछ जटिल है।
समाधान-इस पर कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने कहा कि सीएसआर पोर्टल सरकार ने बनाया है। प्राथमिकता के आधार पर पारदर्शिता से सीएसआर फंड खर्च किया जाएगा। वहीं, जिलाधिकारी ने कहा कि सीएसआर की प्रक्रिया की जो भी जटिलताएं हैं, उन्हें स्थानीय से लेकर शासन स्तर से दूर कराएंगे।


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