कानपुर फोरमः अफसर कार्ययोजना दें, सरकार पूरा धन देगी
शहर के विकास के लिए अधिकारी कार्ययोजना बनाएं, प्रदेश सरकार शहर के विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं होने देगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर। शहर के विकास के लिए अधिकारी कार्ययोजना बनाएं, प्रदेश सरकार शहर के विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं होने देगी। यह बात रविवार को प्रदेश के एमएसएमई मंत्री सत्यदेव पचौरी ने दैनिक जागरण के माय सिटी, माय प्राइड के फोरम की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए जितना पैसा चाहिए उतना मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इस शहर को जितना यहां के निवासी जानते हैं, उतना अधिकारी नहीं। इसलिए सबसे पहले जन सहयोग की जरूरत है। उसके बिना कुछ नहीं हो सकता। हमें खुद सुधरना होगा क्योंकि सुधार की शुरूआत खुद से होती है। हम सबका जीवन समाजसेवा से जुड़ा है। राजनीति में सत्ता समाजसेवा का माध्यम है। इससे वह जनता की सेवा करती है। अधिकारी सरकारी नौकरी करते हैं लेकिन देखा जाए तो वे भी समाजसेवा कर रहे हैं। यानी जीवन में सेवा का भाव आ गया तो सबकुछ संभव है।
कैबिनेट मंत्री के मुताबिक कानपुर में सबसे बड़ी समस्या अवैध तरीके आकर बस गए लोग हैं। यहां झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या बहुत बड़ी है। आबादी अनियंत्रित हो गई है और संसाधन सीमित हैं। उनके मुताबिक कानपुर प्रदेश का सबसे बड़ा लेकिन अनियंत्रित शहर है। इसका कोई मास्टर प्लान नहीं है लेकिन इसका रोना नहीं रो सकते। पिछले एक-डेढ़ वर्ष में इसके ठीक होने की शुरूआत हुई है। पिछले 70 वर्षों में क्या कानपुर स्मार्ट सिटी का सपना देख सकता था लेकिन आज इसका पैसा भी आ गया। यह बात अलग है कि निर्णय हो जाते हैं और पैसा भी आ जाता है लेकिन नीचे के लोग उसके प्रति अपनी जवाबदेही नहीं समझते। इसे अधिकारियों को देखना चाहिए। 2007 में जल निगम ने पाइप लाइन डाली लेकिन आज तक घरों में पानी नहीं आया।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में शहरी सुविधाएं तो चाहते हैं लेकिन उसके लिए शुल्क नहीं देना चाहते। डोर टू डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था की गई लेकिन लोग 30 रुपये नहीं देते। बिजली तो अच्छी चाहते हैं लेकिन बिजली चोरी नहीं छोड़ेंगे तो कैसे अच्छी बिजली मिलेगी। आइएमए अच्छा हास्पिटल बना रहा है, लेकिन उद्योगपति अपने सीएसआर फंड से उनको सहयोग नहीं कर रहे। कई उद्योगपतियों ने दिल्ली में आफिस खोल लिया। उनका कहना होता है कि अब उनका कानपुर से क्या मतलब। साफ है कि उनको कानपुर से लगाव नहीं। वे समाजसेवा में लगाया जाने वाला सीएसआर फंड अपने लिए खर्च कर रहे हैं।
उन्होंने साफ कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए मानसिकता में परिवर्तन करना होगा। पचौरी ने बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्र की मुस्लिम बस्तियों में विकास कराया क्योंकि उनका विश्वास जीतना था। उनका विश्वास जीतेंगे लेकिन निर्भय होकर काम करेंगे। इसके लिए कार्य संस्कृति, मानसिकता में परिवर्तन लाना पड़ेगा। जब ऐसा हो जाएगा तो विकास की गति बदल जाएगी।