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कानपुरः सेवा का धर्म बना बांट रहे सीएसआर का प्रसाद

इस्कॉन परिवार के कुर्मा अवतार दास ने बताया कि रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बिरैचामऊ में कंठीमाला बनाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 06:00 AM (IST)
कानपुरः सेवा का धर्म बना बांट रहे सीएसआर का प्रसाद

'मानव सेवा ही प्रभु सेवा...' इस मान्यता को लेकर भी समाज में बहुत से पुण्य कार्य हो रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध इस्कॉन परिवार भी इसी मार्ग पर चल रहा है। भगवान कृष्ण की भक्ति के साथ ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प इस्कॉन परिवार ने लिया है। इस जन कल्याण के कार्य में सहभागी बनकर आगे आया लोहिया समूह। यह समूह इस्कॉन के 'रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम' के लिए कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड से पैसा दे रहा है।

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ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनका कौशल विकास कराया जा रहा है। साथ ही बच्चों को शिक्षा भी इस कार्यक्रम के तहत दी जा रही है। चौबेपुर के पास स्थित बिरैचामऊ गांव के लिए इस्कॉन ने सेवा को धर्म बनाया है तो सीएसआर का प्रसाद लोहिया समूह दे रहा है।

महिलाओं को कंठीमाला बनाने का प्रशिक्षण
इस्कॉन परिवार के कुर्मा अवतार दास ने बताया कि रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बिरैचामऊ में कंठीमाला बनाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया जा रहा है। कई महिलाएं इस काम में अब दक्ष हो चुकी हैं। वह जो मालाएं बनाती हैं, उन्हें इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालुओं को बेचा जाता है। इससे उन महिलाओं को रोजगार मिला है।

बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग
गांव में इस्कॉन ने एक कोचिंग शुरू की है। यहां बच्चों को अलग-अलग विषयों की निश्शुल्क कोचिंग दी जा रही है। इसके लिए गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और रसायन विज्ञान के शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। वर्तमान में कोचिंग में दसवीं कक्षा के दस, आठवीं के दस, नौवीं और ग्यारहवीं के पांच-पांच बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

पंचगव्य उत्पाद निर्माण से जोड़े किसान
इस कार्यक्रम के तहत गांव में पंचगव्य उत्पाद निर्माण प्रशिक्षण भी शुरू किया है। कुर्मा अवतार दास ने बताया कि किसानों को गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद, कीटनाशक, वर्मी कंपोस्ट और धूपबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जीवनमूल्य की भी दे रहे शिक्षा
इस्कॉन द्वारा इसी के तहत गांव में चार दिवसीय प्रेरक कार्यक्रम अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है। इसमें ग्रामीणों को जीवन मूल्यों की शिक्षा दी जाती है। जो लोग नशे की गिरफ्त में हैं, उन्हें समझाया जाता है। इस तरह कई ग्रामीणों को नशे से मुक्ति भी दिलाई जा चुकी है।


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