रास्ता मिले तो तरक्की की रफ्तार पकड़े कानपुर शहर
सड़क मार्गों पर भूमिगत केबिल सुनियोजित तरीके से कभी नहीं डाली गईं। दूरसंचार, जल निगम और बिजली विभाग के पास समन्वययुक्त कोई ड्रॉइंग तक नहीं है।
वर्तमान में मेट्रो ट्रेन को भले ही विकास का पैमाना बना लिया गया हो, लेकिन कानपुर तो वह शहर है, जहां 1930 में ही ट्राम चलती थी। यह शहर की भौतिक संरचना ही थी कि अंग्रेजों ने इसे मुख्य व्यापारिक केंद्र बनाया। देश के औद्योगिक घरानों ने भी इसे सबसे मुफीद माना।
शहर का विकास तो हुआ, लेकिन क्षेत्रफल के मुकाबले बढ़ती आबादी के अनुपात में नहीं। मसलन, कानपुर से लखनऊ जाने के लिए एकमात्र शुक्लागंज गंगा सेतु 125 वर्ष पहले बना था। दूसरा मार्ग 2016 में गंगा बैराज के रास्ते बना। इसी तरह मरे कंपनी पुल 1975 में बना और उसके बाद शहर में दूसरा पुल नरेंद्र मोहन सेतु 2005 में बना।
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वर्तमान में तमाम समस्याएं हैं। विकास की गति धीमी महसूस होती है। आखिर आधारभूत सुविधाओं में क्या खास जरूरत है इस शहर की है, इस पर बतौर विशेष उच्च स्तरीय विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव दो टूक राय देते हैं। सड़कों के आवश्यक संजाल समझाते हुए वह कहते हैं कि आवागमन के साधन को मजबूत करने और सुगम यातायात के रास्ते बनाने से ही शहर की तरक्की रफ्तार पकड़ेगी।
भूमिगत हों सभी लाइनें
सड़क मार्गों पर भूमिगत केबिल सुनियोजित तरीके से कभी नहीं डाली गईं। दूरसंचार, जल निगम और बिजली विभाग के पास समन्वययुक्त कोई ड्रॉइंग तक नहीं है। जब भी सड़क पर निर्माण या खोदाई का काम होता है तो अव्यवस्था के साथ ही दुर्घटना की भी आशंका बना रहती है। जरूरत है कि सभी लाइनें अंडरग्राउंड कर दी जाएं।
विकासनगर, गंगा बैराज फ्लाईओवर
विकास नगर में बस अड्डे का निर्माण होना है। यहां सिग्नेचर सिटी के रूप में बड़ी आवासीय योजना लगभग पूर्ण है, जिसमें करीब 1180 फ्लैट बने हैं। बस अड्डे से लखनऊ, सुल्तानपुर, गोरखपुर की ओर बसें जाएंगी, जिनकी संख्या 250 के आसपास होगी। तब गंगा बैराज का वर्तमान प्रवेश द्वार पर्याप्त नहीं होगा। लिहाजा आजाद नगर, बीमा अस्पताल के पास से फ्लाईओवर की योजना गंगा बैराज दाहिने बंधे तक बनाई गई है। इसका जल्द निर्माण होना चाहिए।
फुटपाथ छोटे कर चौड़ी करनी होंगी सड़कें
नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि शहर के ज्यादातर फुटपाथ पर हरियाली के नाम पर अतिक्रमण कर लिया गया है। व्यावसायिक क्षेत्रों में दुकानदारों ने विस्तार कर लिया है या सामने ठेले खड़े होने लगे हैं। जरूरत है कि फुटपाथ को छोटा और ऊंचा कर सड़कों की चौड़ाई बढ़ा दी जाए।
चिन्हित करने होंगे पार्किंग स्थल
नगर निगम, कानपुर विकास प्राधिकरण, आवास एवं विकास परिषद और लोक निर्माण विभाग के पास पार्किंग के लिए अपने स्वामित्व की भूमि नहीं है। पार्किंग के अभाव में शहर विकृत हो रहा है। भवन निर्माण व्यवसाय करने वालों से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की तरह पर्याप्त धनराशि देकर विभाग जमीन लें और पार्किंग बनाएं।
योजनाओं की सुनवाई की हो व्यवस्था
उच्च स्तरीय विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव मानते हैं कि कानपुर के इन्फ्रास्ट्रक्चर की जो आवश्यक योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं, उनका नियमित फॉलोअप होना चाहिए। योजना केंद्र की हो या राज्य सरकार की, उनके अनुश्रवण के लिए शहर के चुनिंदा जानकार लोगों की एक कोर कमेटी बनाई जाए। उसके संरक्षक स्वयं मुख्य सचिव बनें तो बेहतर होगा। इसके साथ ही विकास से जुड़े विभागों में अधिकारियों के तबादले जल्दी-जल्दी न किए जाएं। इससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं।