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कानपुर के लिए बहुत जरूरी है एकल खिड़की व्यवस्था का पालन

न उद्यमिता की सोच रखने वाले शहरवासियों की कमी है और न प्रशिक्षित कामगारों की। फिर ऐसा क्या हुआ कि मिल-कारखाने बंद होते चले गए।

By Krishan KumarEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)
कानपुर के लिए बहुत जरूरी है एकल खिड़की व्यवस्था का पालन

पुराने इतिहास पर कानपुर के बाशिंदों का इतराना लाजिमी है कि यह ऐसा औद्योगिक शहर था, जिसे पूरब का मैनचेस्टर कहा जाता था। यहां की मिल और फैक्ट्रियों के उत्पाद विश्व प्रसिद्ध ब्रांड थे। न उद्यमिता की सोच रखने वाले शहरवासियों की कमी है और न प्रशिक्षित कामगारों की। फिर ऐसा क्या हुआ कि मिल-कारखाने बंद होते चले गए। खैर, वह तो हुई गुजरे जमाने की बात। अब सवाल यह है कि जब सारी क्षमताएं हैं और सरकार की सोच भी इसी दिशा में है तो क्या वह प्रयास और कदम होंगे, जिनके बलबूते कानपुर के औद्योगिक स्वरूप को पुराने गौरव तक ले जाया जा सकता है। छत्रपति शाहूजी महाराज विवि में दीनदयाल शोध केंद्र के निदेशक और अर्थ विशेषज्ञ डॉ. श्यामबाबू गुप्त अपने सुझाव देते हैं। वह सबसे ज्यादा जोर एकल खिड़की व्यवस्था के पालन पर देते हैं।

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उद्योगों के लिए हो आधार जैसा कार्ड
डॉ. श्यामबाबू गुप्त कहते हैं कि पहचान पत्र के रूप में नागरिकों के लिए आधार कार्ड बना दिया गया है, जो हर जगह मान्य है। इसी तरह उद्यमियों के लिए समस्त औपचारिकताओं को प्रमाणित करने वाले एक औद्योगिक आधार कार्ड जैसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। उसे बार-बार अपने सारे प्रमाण नहीं देने पड़ें। इसके अलावा यदि उद्यमियों को उत्तर प्रदेश या कानपुर में निवेश के लिए आकर्षित करना है तो सिंगल विंडो सिस्टम को सख्ती से लागू करना ही होगा। यदि उद्यमियों को उद्योग स्थापित या विस्तार करने में परेशानी नहीं होगी तो वह रुचि लेंगे।

पांच साल तक मिले टैक्स में छूट
डॉ. गुप्ता कहते हैं कि निवेश को बढ़ाना है या विस्तार कराना है तो उद्यमियों को अपनी योजनाओं से आकर्षित करना होगा। बेहतर हो कि पांच साल तक उद्यमियों को टैक्स से छूट दी जाए। खादी बोर्ड में पंजीयन कराने पर भी दो करोड़ रुपये तक की छूट दी जानी चाहिए।

सुधारनी होगी औद्योगिक क्षेत्रों की दशा
औद्योगिक क्षेत्र तो लगभग हर जगह समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहां अच्छी सड़कों के साथ ही बिजली और पानी का भी संकट है। औद्योगिक विकास करना है तो औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति सुधारनी होगी। वह सुझाव देते हैं कि सिर्फ उद्यमी ही नहीं, श्रमिक भी अहम कड़ी हैं। श्रमिकों के लिए बेहतर आवासीय क्षेत्र और अस्पताल आदि की सुविधाएं दी जानी चाहिए। तभी वह मन लगाकर ईमानदारी से काम कर सकेंगे। डॉ. गुप्ता का मानना है कि कानपुर का इतिहास बहुत गौरवशाली है। यहां पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

डॉ. श्याम बाबू गुप्त 

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