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माय सिटी माय प्राइड: सीएसआर से बदली कानपुर के 14 चौराहों की सूरत

उन्होंने बिल्डर्स एसोसिएशन के माध्यम से शहर के उद्यमियों से इस संबंध में वार्ता की तो उद्यमी सीएसआर फंड से चौराहों का कायाकल्प करने के लिए तैयार हो गए।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 06:00 AM (IST)
माय सिटी माय प्राइड: सीएसआर से बदली कानपुर के 14 चौराहों की सूरत

'कानपुर के उद्योग समूहों ने साबित किया है कि उनकी भूमिका सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और बेरोजगारों को रोजगार देना ही नहीं है। बात सिर्फ कॉरपोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी के नियम की नहीं है, बल्कि उनका दिल सच में अपने शहर के लिए धड़कता है। अव्यवस्थाएं वह भी झेलते हैं, इसलिए सुधार चाहते हैं। यही वजह है कि अस्त-व्यस्त शहर के चौराहों की सूरत बदलने में औद्योगिक समूहों ने सीएसआर फंड के जरिये अहम भूमिका निभाई। हां, यह दीगर बात है कि जिम्मेदार सरकारी विभाग उनका सही रखरखाव नहीं कर पाए और चौराहे फिर से खराब स्थिति में आने लगे।'

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उद्यमियों ने गोद लेकर चौराहों पर खर्च किए लाखों
कानपुर में चौराहों की स्थिति बहुत खराब थी। आवागमन, रोड मार्किंग और रोटरी तक की व्यवस्था नहीं थी। इससे जाम की समस्या बहुत अधिक बढ़ गई थी। तत्कालीन मंडलायुक्त मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन और उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम के सलाहकार नीरज श्रीवास्तव ने चौराहों के सुधार के लिए रूपरेखा बनाई।

उन्होंने बिल्डर्स एसोसिएशन के माध्यम से शहर के उद्यमियों से इस संबंध में वार्ता की तो उद्यमी सीएसआर फंड से चौराहों का कायाकल्प करने के लिए तैयार हो गए। कानपुर विकास प्राधिकरण से चौराहों के डिजाइन बनवाए गए। इसके बाद उद्यमियों ने आपस में चौराहे बांट कर गोद ले लिए। 2016 में इन सभी चौराहों का निर्माण किया गया। हालांकि संबंधित विभागों ने रखरखाव नहीं किया और फिर से अव्यवस्था होने लगी।

इन उद्योग समूहों ने दिया सीएसआर फंड
- रतन बिल्डर्स
- मॉर्निंग ग्लोरी प्रा.लि. (एमराल्ड)
- आनंद बिल्डर्स
- विनयश्री एनआरआई
- पुरुषोत्तम दास ज्वैलर्स

इन प्रमुख चौराहों का किया सुधार
रेव थ्री चौराहा, ग्वालटोली तिराहा, मर्चेंट चैंबर हॉल चौराहा, जेल चौराहा, मेघदूत चौराहा, घंटाघर, लाल इमली क्रॉसिंग, चुन्नीगंज, जरीब चौकी, अफीमकोठी, फजलगंज सहित चौदह चौराहे-तिराहे।

कार्डियोलॉजी को दिया यूपीएस
कानपुर के सरकारी अस्पतालों की भी बड़ी मदद उद्योग समूह कर रहे हैं। कई बड़े काम सीएसआर फंड से हुए हैं और होने भी जा रहे हैं। इसी तरह सीएसआर फंड से कार्डियोलॉजी में लाखों रुपये खर्च कर यूपीएस लगवाया, ताकि बिजली जाने पर मरीजों के इलाज में कोई परेशानी न आए।

'शहर के उद्यमी कानपुर की दशा-दिशा बदलने के लिए चिंतित रहते हैं। समय-समय पर वह सीएसआर फंड को विकास कार्यों में लगाते हैं। चौराहे बहुत अव्यवस्थित थे। उनसे आग्रह किया गया तो उन्होंने गोद लेकर चौराहे-तिराहे बेहतर बना दिए।'
नीरज श्रीवास्तव, सलाहकार, यूपीएसआईडीसी


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