जम्मू में मारे गए आतंकी ओसामा बिन का था कानपुर कनेक्शन, उसपर था दो लाख का इनाम Kanpur News
पिछले वर्ष चकेरी में पकड़े गए आतंकी कमरुज्जमां का साथी था उसपर एनआइए ने दो लाख का इनाम घोषित किया था।
कानपुर, जेएनएन। जम्मू कश्मीर में चार दिन पहले मुठभेड़ में मारा गया हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर कोई और नहीं, बल्कि पिछले साल शहर के घंटाघर स्थित सिद्धि विनायक मंदिर को उड़ाने की साजिशकर्ता ओसामा बिन जावेद था। उस पर दो लाख रुपये इनाम घोषित था। बीते एक साल से गिरफ्तारी न होने के कारण एनआइए उसके खिलाफ कुर्की की तैयारी कर रही थी। अब उसके बचे हुए दो अन्य साथियों की संपत्ति कुर्क की जाएगी।
पिछले साल सितंबर में चकेरी के जाजमऊ अहिरवां स्थित शिवनगर कॉलोनी पकड़े गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमां उर्फ कमरुद्दीन उर्फ डॉ. हुरैरा ने एनआइए और एटीएस को पूछताछ में ओसामा बिन जावेद का नाम बताया था। उसने बताया था कि ओसामा उसके साथ ही कमरे पर आकर ठहरा था और दोनों ने मिलकर सिद्धिविनायक मंदिर को उड़ाने की साजिश रची थी। रेकी कर वीडियो भी बनाए थे। एनआइए ने कमरुज्जमां के साथ ही उसके साथियों ओसामा बिन जावेद, जहांगीर और हजारी उर्फ रियाज अहमद के खिलाफ एनआइए कोर्ट में चार्जशीट लगाई थी लेकिन कमरुज्जमां के अलावा किसी अन्य को पकड़ा नहीं जा सका था।
एनआइए सूत्रों ने बताया कि दो दिन पूर्व जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के बटोल में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए आतंकी की पहचान ओसामा बिन जावेद के रूप में हुई। उसी ने रेकी के बाद जम्मू से हथियारों की खेप कमरुज्जमां को पहुंचाने की तैयारी की थी लेकिन कमरुज्जमां के पकड़े जाने के बाद वह कानपुर से ही फरार हो गया था। इस बाबत एनआइए कोर्ट को भी जानकारी दी गई है।
भाजपा नेता व आरएसएस स्वयंसेवक की हत्या की थी
ओसामा बिन जावेद व उसके साथियों ने ही पिछले वर्ष जम्मू में भाजपा नेताओं अनिल परिहार व उनके भाई अजीत और नौ अप्रैल को आरएसएस स्वयंसेवक चंद्रकांत शर्मा व उनके सुरक्षाकर्मी की हत्या की थी। साथ ही हथियार लूट ले गए थे। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक उन्होंने बीते 11 माह में जम्मू-कश्मीर में चार बड़ी आतंकी वारदातें कीं। मास्टरमाइंड ओसामा संग जाहिद व फारुख भी रह रहे थे।
ओसामा ने सोशल मीडिया के जरिए जोड़ा युवाओं को
एनआइए सूत्रों के मुताबिक ओसामा बिन जावेद के पिता किश्तवाड़ में शिक्षक रहे हैं। साल भर पूर्व ओसामा ने दहशतगर्द बनने के बाद अपने साथ देश के विभिन्न हिस्सों के नौजवानों को सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से जोडऩा शुरू कर दिया। वही कमरुज्जमां को जम्मू बुलाकर सीमा पार ले गया और आतंकी कैंप में प्रशिक्षण दिलाया था।