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कानपुर नगर निगम को 1.99 अरब रुपये नहीं देर रहे ये विभाग, रेलवे और आइआइटी भी बकायेदार

नगर निगम का सरकारी विभागों की 5809 संपत्तियों पर टैक्स बकाया है।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 01:02 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 01:02 PM (IST)
कानपुर नगर निगम को 1.99 अरब रुपये नहीं देर रहे ये विभाग, रेलवे और आइआइटी भी बकायेदार
कानपुर नगर निगम को 1.99 अरब रुपये नहीं देर रहे ये विभाग, रेलवे और आइआइटी भी बकायेदार

कानपुर, जेएनएन। आर्थिक तंगी के चलते नगर निगम को कर्मचारियों का वेतन व पेंशन बांटने के लाले पड़े है। साथ ही एक साल से भविष्य निधि तक नहीं जमा हो पा रही है। वहीं केवल सरकारी विभागों पर 1.99 अरब रुपये गृहकर और सर्विस टैक्स के रूप में बकाया है। लगभग दो अरब रुपये की धनराशि नगर निगम को मिल जाए तो शहर के विकास का कायाकल्प हो सकता है। सरकारी विभागों के बीच में बकाया भुगतान की फाइन घुम रही है।

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खाली खजाने के चलते नगर निगम निधि से होने वाले विकास कार्य भी पिछले डेढ़ साल से लगभग रुके पड़े है। केंद्र सरकार पर कुल 93.48 करोड़ रुपये टैक्स बकाया है। इसमें आवासीय संपत्ति पर 6.12 करोड़ रुपये और व्यावसायिक संपत्ति पर 87.47 करोड़ रुपये है। इसी तरह राज्य सरकार पर 1.99 अरब रुपये की बकायेदारी है। इसमें आवासीय संपत्ति पर 10.77 करोड़ और व्यावसायिक संपत्ति का 95.09 करोड़ रुपये शामिल है।

नगर निगम के बड़े प्रमुख बकाएदार 

  • रक्षा संस्थान - 5.69 करोड़ रुपये
  • आयकर विभाग -45.55 लाख रुपये
  • रेलवे विभाग -78 करोड़ रुपये
  • डाकघर -5.09 करोड़ रुपये
  • बीएसएनएल - 17.41 लाख रुपये
  • बीआईसी -2.14 करोड़ रुपये
  • एग्र्रीकल्चर इंजीनियरिंग यूपी -2.17 करोड़ रुपये
  • अग्निशमन -20.88 लाख रुपये
  • आइआइटी -39.58 करोड़ रुपये
  • केडीए - 10.42 करोड़ रुपये
  • एलएलआर अस्पताल - 1.43 करोड़ रुपये 

नगर निगम का कर्मचारियों पर बकाया 65 करोड़

नगर निगम का कर्मचारियों का भविष्य निधि का एक साल का लगभग 11 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा नकदीकरण, सातवें वेतनमान का बढ़ी धनराशि, पेंशनरों समेत लगभग 65 करोड़ रुपये बकाया है। हर माह नगर निगम को कर्मचारियों को वेतन व पेंशन का 30 करोड़ रुपये देना पड़ता है। इसमें शासन से राज्य वित्त आयोग के मद में 22 करोड़ रुपये मिलते है। बाकी आठ करोड़ टैक्स वसूली से देना पड़ता है।

नगर निगम निधि से रुके काम

नगर निगम में वसूली का 70 फीसद धनराशि केवल वेतन व पेंशन में खर्च हो जाती है। बाकी धनराशि अन्य मदों में खर्च हो जाती है। इसके चलते नगर निगम निधि से होने वाले कामों पर रोक लगी है। कुछ ही काम जरूरत पर हो पाते है। 14वें वित्त आयोग व अवस्थापना निधि से मिलने वाली धनराशि से विकास कराया जा रहा है।


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