..ताकि विदेशों पर निर्भर न रहे देश की सामरिक शक्ति
1980 तक खरीदे गए अधिकांश एयरक्राफ्ट के संचालन में मुश्किल, भारत में नहीं बन पा रहे कई कंपोनेंट, निजी क्षेत्र पर वायुसेना की निगाहें
जागरण संवाददाता, कानपुर : भारत की सामरिक शक्ति वक्त के साथ बढ़ती तो जा रही है, लेकिन अब भी तकनीकी निर्भरता काफी हद तक विदेशी कंपनियों पर ही है। वायुसेना के कई एयरक्राफ्ट 'स्पेयर एग्रीमेंट' खत्म होने से निष्प्रयोज्य हैं। स्वदेशीकरण चल रहा है, लेकिन कई कंपोनेंट ऐसे हैं, जो यहां बन ही नहीं पा रहे। अब निजी क्षेत्र की ओर निगाहें हैं, ताकि देश की सामरिक शक्ति विदेशों पर निर्भर न रहे।
रक्षा प्रतिष्ठान और निजी क्षेत्र के बीच हमेशा से दूरियां रही हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया मुहिम के बाद सिमटने लगी हैं। उसी दिशा में बड़ा कदम कानपुर में आयोजित यूपी डिफेंस एक्सपो-2018 के रूप में बढ़ाया गया है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा भारत सरकार और यूपीडा के सहयोग से चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि परिसर में आयोजित एक्सपो में रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ ही एयरफोर्स, नेवी और आर्मी ने भी अपने स्टॉल लगाए हैं। वायुसेना के स्टॉल पर बैठे अधिकारियों ने बताया कि एक एयरक्राफ्ट में लगभग 1000 कंपोनेंट इस्तेमाल होते हैं। 'ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स' के साथ स्पेयर सप्लाई का समयबद्ध करार होता है। उसके बाद कंपनी की मर्जी है कि वह हमें एयरक्राफ्ट के संचालन के लिए स्पेयर दे या न दे।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना में 1980 से पहले जो भी एयरक्राफ्ट खरीदे गए, वह विदेशी ही थे। लगभग सभी के स्पेयर एग्रीमेंट खत्म हो चुके हैं। कई बेय¨रग्स सहित ऐसे कंपोनेंट हैं, जो भारत की कंपनियां नहीं बना रही हैं। कुछ में तकनीक नहीं है तो कुछ का मैटीरियल उस गुणवत्ता का नहीं है। लिहाजा, उन एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे। अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना में 1982 से स्वदेशीकरण चल रहा है। काफी तकनीक विकसित भी की है, लेकिन मेक इन इंडिया ने उसे बूम दिया है। डिफेंस एक्सपो में हम इसी उम्मीद से आए हैं कि प्राइवेट वेंडर्स हमारी जरूरत के उत्पाद बना सकें, ताकि हमारी विदेशों पर निर्भरता खत्म हो।
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आयुध निर्माणी बोर्ड को नहीं मिल रहे कंपोनेंट
आयुध निर्माणी बोर्ड ने अपने कई स्टॉल डिफेंस एक्सपो में लगाए हैं। बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि हमारी देश भर की फैक्ट्रियों में कई कंपोनेंट की भारी कमी है। सरकार के साथ ही आइआइए को भी सूची दे दी गई है कि उक्त कंपोनेंट के निर्माण में हमें प्राइवेट वेंडर्स की तलाश है।