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Salman Khan को किसने सिखाई 'दबंगई', Film Dabangg के सीक्वेल में कौन है कानपुर का खास

कानपुर बिरहाना रोड की तंग गलियों से निकलकर मुंबई की सतरंगी दुनिया में पहचान बनाई।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 06:27 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jan 2020 09:57 AM (IST)
Salman Khan को किसने सिखाई 'दबंगई', Film Dabangg के सीक्वेल में कौन है कानपुर का खास
Salman Khan को किसने सिखाई 'दबंगई', Film Dabangg के सीक्वेल में कौन है कानपुर का खास

कानपुर, [अनुराग मिश्र]। बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सलमान खान दबंग तो बन गए लेकिन क्या आपको मालूम है कि कानपुर का दबंग अंदाज उन्हें किसने सिखाया। फिल्म दबंग से लेकर दबंग-3 तक के सीक्वेल में कानपुर का एक खास शख्स भी शामिल है। चलिए आपको मिलवाते हैं, बिरहाना रोड की तंग गलियों से निकलकर मुंबई की सतरंगी दुनिया में खास पहचान बनाने वाले फिल्म प्रोड्यूसर मनोज चतुर्वेदी से...। यही हैं वो शख्स, जिन्होंने गले में सोने के मोती वाली रुद्राक्ष की माला पहने चुलबुल पांडेय को दबंगई का मतलब समझाया। बॉलीवुड में रावण राज, बुलंदी से लेकर दबंग, दबंग-2 और दबंग-थ्री जैसी फिल्मों के प्रोड्यूसर और एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर की भूमिका निभा चुके मनोज अब कामयाबी की बुलंदियों को चूम रहे हैं।

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सीए बनने के लिए गए थे मुंबई

मनोज बताते हैं कि मेरे पिता बिरहाना रोड निवासी दीनानाथ चतुर्वेदी चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं तो मुझे भी चार्टर्ड एकाउंटेंट ही बनाना चाहते थे। बीएनएसडी शिक्षा निकेतन से इंटर के बाद डीएवी और क्राइस्टचर्च कॉलेज में पढ़ाई की। बी.कॉम के बाद 19 साल की उम्र में मुझे वर्ष 1983 में मुंबई भेज दिया। वहां सीए की पढ़ाई करते-करते ऑडिट के दौरान ही फिल्मों से जुडऩे का मौका मिल गया तो फिल्मी दुनिया से जुड़ाव होने के साथ कदम जमते चले गए।

सबसे बड़ी कामयाबी दबंग

वह बताते हैं कि मुंबई में काम की कमी नहीं थी लेकिन जब तक कोई बड़ा मौका नहीं मिले तो सब कुछ अधूरा-अधूरा सा लगता है। ऐसा ही मेरे साथ भी हो रहा था। साल 2007 में अभिनेता सलमान खान, अरबाज खान और सोहेल खान के प्रोडक्शन हाउस से जुडऩे का मौका मिला तो लगा कि जिंदगी को अब सही ब्रेक मिला है। दबंग, दबंग-2 और दबंग-थ्री फिल्म के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर की भूमिका निभाई। लगातार अपना बेहतर देने की कोशिश करता हूं।

बहुत याद आता है कानपुर

मनोज कहते हैं कि अपना घर, अपना शहर हर किसी को प्यारा होता है। मुझे भी अपने कानपुर से बेहद लगाव है। 37 साल से मुंबई में रह रहा हूं लेकिन यादों में हमेशा अपना शहर रहता है। मौका ढूंढ़ता हूं कि कैसे यहां आऊं और अपनों के बीच बैठूं, बातें करूं। कानपुर में जब भी आता हूं तो यहां के स्वाद का लुत्फ उठाता हूं। बिरहाना रोड की मक्खन-मलाई और चाट, गुप्तार घाट के पेड़े, मोतीझील की चाय सब जुबां पर चढ़े हैं।

दबंग का मतलब तेज-तर्रार रौबदार

मनोज ने बताय कि वर्ष 2007 में सलमान खान, अरबाज खान और सोहेल खान के साथ जुड़े मनोज चतुर्वेदी ने साल 2010 दबंग और साल 2012 में दबंग-2 में को तथा एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर की भूमिका निभाई। पहली कहानी यूपी के रायबरेली की थी और दूसरी कानपुर की। सलमान का किरदार ब्राह्मïण इंस्पेक्टर का था लिहाजा तेज-तर्रार इंस्पेक्टर को थोड़ा अलग दिखना था।

वह बताते हैं कि फिल्म के सेट पर ही एक दिन गले में रुद्राक्ष की माला और जनेऊ में चाभी देखकर सलमान ने पूछा तो उन्हें इसके बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्हें दबंग का मतलब बताया कि उत्तर भारत में दबंग प्रचलित शब्द है और इसका मतलब तेज-तर्रार रौबदार है। इसके बाद उनकी दबंगई थोड़ी और बढ़ गई। सलमान में फिल्म में रुद्राक्ष की माला भी पहनी। मनोज चतुर्वेदी ने बताया कि बेटा शांतनु चतुवेदी अक्सर मथुरा में बांके बिहारी के दर्शन करने जाता है, उसी ने सलमान के लिए रुद्राक्ष की माला लाकर दी थी।


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