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स्मृति शेष : कानपुर में किया था योग, फिर आऊंगा कह गए थे Manohar Parrikar...

21 जून 2016 विश्व योग दिवस पर आए थे सेना के गैरीसन ग्राउंड सैन्य परिवारों संग योग किया था।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 12:49 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 12:49 PM (IST)
स्मृति शेष : कानपुर में किया था योग, फिर आऊंगा कह गए थे Manohar Parrikar...
स्मृति शेष : कानपुर में किया था योग, फिर आऊंगा कह गए थे Manohar Parrikar...

कानपुर, जागरण संवाददाता। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर से कानपुर की यादें भी जुड़ी हैं। रक्षामंत्री रहते हुए जून 2016 में उन्होंने कानपुर का दौरा किया था। यहां से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सैन्य परिवारों के साथ योग किया था। इसके अलावा वह आर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री व सड़क हादसे में शहीद में कर्नल पंकज चौहान के घर भी पहुंचे थे। मनोहर पर्रिकर का कानपुर से कोई विशेष लगाव नहीं था, लेकिन जब वह यहां आए तो उन्हें ये शहर इतना रास आया कि जल्दी फिर आने को कह गए हालांकि बीमारी के चलते वह दोबारा कानपुर नहीं आ सके।

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केंद्रीय रक्षा मंत्री रहते मनोहर पार्रिकर विश्व योग दिवस पर 21 जून 2016 को विशेष विमान से कानपुर पहुंचे थे। सेना के गैरीसन ग्राउंड में उन्होंने करीब 20 मिनट तक सैन्य अधिकारियों, सैनिकों और उनके परिवार वालों के साथ योग कार्यक्रम में भाग लिया। यहां से वह चकेरी क्षेत्र के विमाननगर में रहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल पंकज सिंह के घर गए। लेफ्टिनेंट कर्नल पंकज अरुणाचल प्रदेश में 13 जून 2018 को एक सड़क हादसे में शहीद हो गए थे। पर्रिकर ने उनके घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके परिवारीजन से बात की।

रक्षा मंत्री ने उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया। वह वर्ष 2003 में जार्ज फर्नाडीज के बाद पहले रक्षा मंत्री थे, जिन्होंने आयुध निर्माणी जाकर कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाया था। कानपुर की आबोहवा उन्हें खासी पसंद आई थी। इसी वजह से ज्यों ही वह योग करके उठे और टेंट तक पहुंचे, तभी वह सेना के अधिकारियों व नेताओं से बोले कि वह जुलाई में फिर कानपुर आएंगे।

धनुष को बताया था ताकतवर तोप

पूर्व रक्षा मंत्री ने आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) द्वारा निर्मित 'धनुष' को दुनिया की सबसे ताकतवर तोप बताया था। कहा था कि ओएफसी को उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी, क्योंकि सिर्फ एक तोप बनाने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने आयुध निर्माणियों की वजह से ही कानपुर को रक्षा हब की संज्ञा दी थी। 


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