सहयोग से समाधान: आॅनलाइन का अनुभव काम आया, अनलाॅक में खूब कमाया
किदवई नगर में शारदा कॉस्मेटिक के मालिक शेखर चंद के पिता ने 1956 में गल्ले की दुकान से शुरुआत की थी पंद्रह साल पहले उन्हाेंने कारोबार बदलकर कॉस्मेटिक का काम शुरू कर दिया था लॉकडाउन में धंधा बंद होने पर बेटे के अनुभव ने कारोबार को बढ़ाया।
कानपुर, जेएनएन। सुंदर लगना किसको अच्छा नहीं लगता लेकिन लाॅकडाउन का दौर एेसा रहा जब ना काॅस्मेटिक की दुकानें खुली थीं ना ही ग्राहक दुकानों तक आ सकते थे। कोरोना संक्रमण फैला तो सबकी सुरक्षा के लिए लाॅकडाउन की व्यवस्था की गई थी। अनलाॅक हुआ तो भी एकदम से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने लगी, घरों में काॅस्मेटिक की जरूरत थी। घर के बगल के किराना की दुकान में भी काॅस्मेटिक की सभी वस्तुएं नहीं मिलतीं और काॅस्मेटिक की दुकानों तक जाने की हिम्मत ग्राहक नहीं जुटा पा रहे थे। एेसे में शारदा कास्मेटिक के शेखर चंद कनौडिया और उनके बेटे अमन ने आॅनलाइन बिक्री के कार्य के अनुभव का लाभ उठाया और खुद ही ग्राहकों को उनके घरों तक डिलीवरी कर अच्छी सेवा दी।
समाधान 1 : फोन और वाट्सएप पर दी दुकान खुलने की सूचना
किदवई नगर में शारदा कास्मेेटिक के शेखर चंद की दुकान 1956 की है। पहले उनके पिता जी दुकान करते थे। यहां गल्ले की दुकान थी लेकिन 2005 में शेखर चंद ने अपना कारोबार बदल लिया। उन्होंने दुकान में काॅस्मेटिक का कारोबार शुरू किया और धीरे-धीरे काम बढ़ता चला गया। उनकी दुकान पूरी तरह काॅस्मेटिक आइटम से जुड़़ी हुई है। दोपहर ढलते ही दुकान पर महिलाओं की भीड़ देखकर उनकी दुकान की बिक्री का अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन कोरोना ने सबकुछ बदल दिया था। लाॅकडाउन घोषित हुआ तो हर तरफ सन्नाटा हो गया। आवासीय और व्यावसायिक का मिलाजुला क्षेत्र होने के बाद भी सबकुछ बंद था। मई में अनलाॅक कर जब दुकानें खुलने की घोषणा हुई तो उन्होंने भी वाट्सएप और फोन से अपने ग्राहकों को सूचना देनी शुरू की। हालांकि अनलाॅक में दुकानें खुलने के बाद भी ग्राहकों की आमद बहुत कम ही रही।
समाधान2: बेटे ने उठाया ऑनलाइन सेल के अनुभव का लाभ
काॅस्मेटिक के आइटम का सबसे बड़ा ग्राहक महिला वर्ग होता है लेकिन वे घरों से नहीं निकलना चाह रही थीं। कहीं ना कहीं अपनी बच्चों और परिवार की सुरक्षा उनके सामने आ रही थी। एेसे में शेखर चंद के बेटे अमन ने अपने आॅनलाइन बिक्री के अनुभव का लाभ उठाया। अमन कई आॅनलाइन प्लेटफार्म से जुड़कर अपने काॅस्मेटिक आइटम बेचते हैं। उन्हें मालूम है कि आॅनलाइन माल खरीदने वालों के लिए क्या-क्या जरूरी है। माल समय से पहुंचना। गड़बड़ होने पर रिटर्न करना। भुगतान कैश या डिजिटल किसी भी तरह से लेने के लिए तैयार रहना। उन्होंने पापा के काॅस्मेटिक कारोबार पर भी इसका इस्तेमाल किया।
समाधान 3: बिक्री का बदला तरीका और घर तक पहुंचाया माल
शेखर चंद के मुताबिक वाॅट्सएप या फोन पर जो भी आर्डर आते थे, उनके घर जाकर समय से उसकी डिलीवरी की जाती थी। ज्यादातर ग्राहक आसपास के कुछ किलोमीटर दूरी के थे, इसलिए डिलीवरी करने में बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं हुई। इसके बाद जिन लोगों ने नकद भुगतान करना चाहा, उनसे रुपये लिए गए अन्यथा आनलाइन पेमेंट लेने की व्यवस्था भी की गई। इसका लाभ यह हुआ कि ग्राहक दुकान पर नहीं आ रहे थे लेकिन उसके बाद भी लगातार बिक्री जारी थी। बस बिक्री का तरीका थोड़ा बदलना पड़ा था और घर तक माल पहुंचाना पड़ रहा था। एक ओर जहां आॅनलाइन जुड़ कर अपनी ग्राहकों से संबंध बनाए रख कर कारोबार को गति देते रहे, वहीं दूसरी ओर दुकान पर भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया।
समाधान 4: कोविड नियमों का पालन, दुकान पर आने लगे ग्राहक
लाॅकडाउन के बाद जब दुकान पहली बार खोली तो पूरी दुकान को ही सैनिटाइज कराया। इसके बाद रोज ही दुकान के उन हिस्सों को लगातार सैनिटाइज किया जाता रहा जिन हिस्सों से ग्राहकों का सबसे ज्यादा संपर्क रहता है। ग्राहकों से फेस मास्क लगाकर ही दुकान में आने का आग्रह किया गया ताकि नियमों का पालन किया जा सके। खासतौर पर काउंटर तो हर ग्राहक के जाने के बाद सैनिटाइज किया गया ताकि अगला ग्राहक जो भी आए वह भी पूरी तरह सुरक्षित रहे। तमाम मौकों पर सरकारी मशीनरी की तरफ से सैनिटाइजेशन किया गया।
इसके अलावा कई मौकों पर बाजार के सभी दुकानदारों ने मिलकर भी सैनिटाइज कराया। अनलाॅक के शुरुआती दिनों में ग्राहकों को जो सुविधा दी, उसने उनके मन में अच्छी सेवा और सुरक्षा की भावना उत्पन्न की। शेखर चंद के मुताबिक इसका असर अब नवरात्र में नजर आ रहा है। त्योहार और सहालग दोनों ही सामने हैं। इसके अलावा नवरात्र में भी सौंदर्य सामग्री की काफी खरीदारी होती है। अब बड़ी संख्या में महिला ग्राहक फिर आने लगे हैं। दोपहर ढलते ही ग्राहकों की यह संख्या बढ़ती जाती है।