Move to Jagran APP

बढ़ती उम्र व असंयमित जीवनशैली से सतर्क रहकर हड्डियों की मजबूती बनाए रखें

कानपुर के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डा. आर. के. सिंह ने बताया कि बढ़ती उम्र व असंयमित जीवनशैली बनती है आस्टियोपोरोसिस का कारण। समय पर जांच उपचार व पौष्टिक खानपान से किया जा सकता है इसे नियंत्रित...आवश्यक जांचों के आधार पर चिकित्सक इसका उपचार करते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 17 Dec 2021 04:15 PM (IST)Updated: Fri, 17 Dec 2021 04:15 PM (IST)
बढ़ती उम्र व असंयमित जीवनशैली से सतर्क रहकर हड्डियों की मजबूती बनाए रखें
कमर में खिंचाव या दर्द की समस्या होना

कानपुर, जेएनएन। आस्टियोपोरोसिस की बीमारी का भी सीधा संबंध उम्र और जीवनशैली से है। 40-45 साल के बाद अपनी गिरफ्त में लेने वाली इस बीमारी से पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं। यदि इसे गंभीरता से न लिया जाए तो यह स्वास्थ्य संबंधी बड़ी समस्या साबित होती है। इसके कारण हड्डियां खोखली हो जाती हैं और हड्डियों में क्षरण होने लगता है।

loksabha election banner

क्या है आस्टियोपोरोसिस: कैल्शियम व विटामिन-डी की कमी से होने वाली आस्टियोपोरोसिस की बीमारी में हड्डियां खोखली हो जाती हैं और उनमें क्षरण होने लगता है। बोन डेंसिटी कम होने के कारण ये लचर हो जाती हैं। आस्टियोपोरोसिस में हल्की सी चोट लगने या गिरने पर कूल्हे, कोहनी, कलाई, पैर आदि की हड्डी टूट जाती है यानी फ्रैक्चर होने की आशंका बनी रहती है।

महिलाएं हैं अधिक पीड़ित: इस बीमारी से महिलाएं अधिक ग्रसित होती हैं। शरीर में कैल्शियम की कमी, मेनोपाज के कारण व उम्र बढ़ने से कुछ खास हार्मोंस का न बनना या असंतुलित होना भी इसका कारण है। थायराइड, आनुवंशिकता, डायबिटीज, धूप न सेंकना, व्यायाम से दूरी व गलत आदतें भी इस बीमारी को जन्म देती हैं।

इस तरह करें पहचान

  • हाथ, पैर व जोड़ों में दर्द रहना
  • थोड़ा काम करने में ही थक जाना
  • हल्की चोट में ही फ्रैक्चर हो जाना
  • सुबह उठने पर थकान महसूस करना
  • कमर में खिंचाव या दर्द की समस्या होना

इसे जरूर अपनाएं

  • मेनोपाज होने पर चिकित्सक से परामर्श लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • अंकुरित अनाज का सेवन करें
  • डाइट में कैल्शियम और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें
  • सुबह की धूप जरूर लें
  • धूमपान, अल्कोहल व तंबाकू के सेवन से बचें

उपचार: आवश्यक जांचों के आधार पर चिकित्सक इसका उपचार करते हैं। इसमें सर्जिकल व नान सर्जिकल दोनों ही विकल्प अपनाए जाते हैं। दवाओं, इंजेक्शन व व्यायाम से इसमें राहत मिलती है, लेकिन कई बार चिकित्सक दवाओं के साथ ही सर्जरी का विकल्प भी अपनाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.