कम वजन के नवजात को भविष्य में डायबिटीज का खतरा, खानपान का रखें विशेष ध्यान
खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही बच्चों में बचपन से हरी सब्जियां और मौसमी फल खाने की आदत डालें अभिभावक।
कानपुर( जागरण संवाददाता)। कम वजन के नवजात को भविष्य में डायबिटीज का खतरा रहता है। इसलिए उनके खानपान पर माता-पिता को विशेष ध्यान देना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज (जैस्टेशनल डायबिटीज) में महिलाओं को एहतियात बरतना चाहिए। लापरवाही पर आगे चलकर मां और बच्चे दोनों को डायबिटीज का खतरा रहता है।
ये जानकारी विश्व मधुमेह दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को आइएमए भवन में हुई प्रेसवार्ता में आइएमए अध्यक्ष डॉ. अर्चना भदौरिया, सचिव डॉ. बृजेंद्र शुक्ल, डॉ. एसी अग्रवाल एवं डॉ. जेएस कुशवाहा ने दी। डॉक्टरों ने कहा कि जन्म के समय जिन नवजात की ग्रोथ ठीक से नहीं हो पाती है। उनका वजन दो किलो से कम होता है। उनका पैंक्रियाज कमजोर होता है, क्योंकि उनके सेल ठीक से नहीं बन पाते हैं। ऐसे में उनमें ठीक से इंसुलिन नहीं बनता है। इन बच्चों के खानपान में माता-पिता भी अत्याधिक जोर देते हैं इसलिए 7-8 साल की उम्र में वह ओवरवेट भी हो जाते हैं। इसलिए इंट्रा यूटाइन ग्रोथ रिटार्डेशन (आइयूजीआर) बच्चों के खानपान एवं परवरिश में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
अगर बच्चे पतले-दुबले हो तो परेशान न हों, उन्हें पौष्टिक आहार दें। खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करें। उनमें बचपन से हरी सब्जियां और मौसमी फल खाने की आदत डालें। उन्हें कोल्डड्रिंक, चिप्स, पिज्जा और बर्गर न खिलाएं। इसके अलावा अगर मां को गर्भावस्था के दौरान मां को डायबिटीज होने पर उसे नियंत्रित रखकर मानीटरिंग करें। इसमें लापरवाही बरतने पर आगे चलकर बच्चे और मां दोनों को डायबिटीज का खतरा रहता है।
प्रदूषण से बढ़ी समस्या
तेजी से बढ़ता प्रदूषण समस्या बनता जा रहा है। पॉलीथीन और प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल से शरीर का मेटॉबालिज्म गड़बड़ा रहा है। पॉलीथीन व प्लास्टिक के बर्तनों पर गर्म और ठंडी खाद्य सामग्री रखकर सेवन करने से शरीर में इसके अंश पहुंच रहे हैं। विभिन्न शोध में प्रमाणित हो चुका है कि इसकी वजह से भी कम उम्र में डायबिटीज की समस्या हो रही है।