Love Jihad Case In Kanpur:लगभग सवा दो महीने तक चली जांच के बाद एसआइटी जांच पूरी
पर्दे के पीछे खिलाडिय़ों तक नहीं पहुंच पाई पुलिस। नौ मामलों को लव जिहाद की श्रेणी में माना गया। मामले में यह उजागर हुआ था कि कैसे डेढ़-दो माह के दौरान ...और पढ़ें

कानपुर, जेएनएन। लव जिहाद को लेकर गठित विशेष जांच टीम (एसआइटी) की जांच पूरी हो गई है। लगभग सवा दो महीने तक चली जांच में माना गया है कि शहर में लव जिहाद का खेल चल रहा है, लेकिन पुलिस पर्दे के पीछे लोगों तक नहीं पहुंच सकी। टीम की रिपोर्ट संकलित कर अगले सप्ताह तक आइजी को सौंप दी जाएगी।
अगस्त में शालिनी यादव के प्रकरण को लेकर शहर में लव जिहाद की चर्चा ने जोर पकड़ा था। मामले में यह उजागर हुआ था कि कैसे डेढ़-दो माह के दौरान कॉलोनी से ताल्लुकात रखने वाले एक समुदाय के पांच युवक दूसरे धर्म की लड़कियों को भगा ले गए। आइजी के आदेश पर एसपी साउथ दीपक के नेतृत्व में नौ सदस्यीय एसआइटी का गठन हुआ था, जिसमें सीओ गोविंदनगर विकास कुमार पांडेय ने जांच को लीड किया।
22 मामलों की हुई जांच
आइजी ने दो साल पूर्व से दर्ज मुकदमों को जांच के दायरे में लेने का आदेश दिया था। एसआइटी के गठन तक 12 मामले पूर्व में दर्ज पाए गए, 11 मामले बाद में आए। सूत्रों के मुताबिक 14 मामलों को लव जिहाद की जांच के दायरे में लिया गया। पांच में फाइनल रिपोर्ट लगने से पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली। बाकी बचे नौ मामलों में पुलिस को लव जिहाद के पर्याप्त सुबूत मिले। इनमें पांच में चार्जशीट लग चुकी है जबकि चार में जांच चल रही है।
आपस में दोस्त थे लाल जूही कॉलोनी के आरोपित
पुलिस को सबसे बड़ी सफलता लाल जूही कॉलोनी से जुड़े मामलों में ही मिली है। पाया गया है कि सभी दोस्त थे। ऐसे में यह संयोग नहीं हो सकता है कि ये सभी दूसरे संप्रदाय की लड़कियों के साथ प्रेम संबंधों में बंधे हों।
असली खिलाड़ी पकड़ से बाहर
आइजी ने मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से यह तलाशने को भी कहा था कि इन आरोपितों को कहीं बाहर से आर्थिक मदद तो नहीं मिल रही। आरोपितों के संबंध किन लोगों से हैं और कहीं प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े तो नहीं हैं। मोबाइल सर्विलांस से पुलिस को कोई बड़ा सुबूत इस बारे में हाथ नहीं लगा है।
इनका ये है कहना
एसआइटी प्रभारी ने बताया है कि जांच पूरी हो गई है। टीम अगले सप्ताह तक रिपोर्ट मुझे सौंप देगी। रिपोर्ट देखने के बाद ही फैसला लिया जाएगा कि इस प्रकरण में आगे क्या किया जाए। - मोहित अग्रवाल, आइजी

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