दर्शक बिना सुस्त हैं शेर, चीता और हिरण
सबहेड) -आलसी हुए सारे जानवर मांसाहारी पशुओं की घटानी पड़ी डाइट -हिरन जैसे फुर्तीले पशु भी झुंडों में खड़े या बैठे ही आते हैं नजर ये दिखे बदलाव
जागरण संवाददाता, कानपुर : शेर और चीते अपनी मांद में सो रहे हैं। कभी कभार ही निकलते हैं और फिर जाकर मांद में सो जाते हैं। यही हाल भालू और अन्य मांसाहारी पशुओं का है। इस आलस से उनकी चर्बी बढ़ रही है, मजबूरन उनकी डाइट घटानी पड़ी है। लॉकडाउन का यह असर चिड़ियाघर में दिखाई दे रहा है। दर्शकों के बिना पशु-पक्षी सुस्त हो गए हैं।
लॉकडाउन का असर पशु-पक्षियों के जीवन पर भी पड़ा है। खासकर वहां जहां इनका इंसानों से रोज सामना होता था। कानपुर प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) सन्नाटे में डूबा है। कुछ पक्षियों का कलरव कभी कभार इस सन्नाटे को तोड़ता है। 1250 जीव-जंतुओं वाले चिड़ियाघर में आम दिनों में काफी दर्शक आते थे, जिन्हें देख जानवर दौड़ लगाते थे। लेकिन, अब देखने वाले नहीं हैं तो बंदर अपने बाड़े में शांत हैं। सारस भी तभी शोर मचाती हैं, जब उनका भोजन आता है। शेर की दहाड़ तो शायद ही सुनाई दे। गैंडा से लेकर बाघ तक सभी आराम कर रहे हैं। हिरण भी अब कुलांचे भरते नहीं दिखते। वे झुंड में खड़े या बैठे रहते हैं। पशुओं की यह सुस्ती यहां के डॉक्टर भी महसूस कर रहे हैं, इसलिए मांसाहारी पशुओं की डाइट कम की गई है।
शेर, चीते की डाइट दो किलो घटी
नर शेर, चीता या तेंदुआ की सामान्य दिनों में डाइट 12 किलो मीट है, जिसे 8-10 किलो कर दिया गया है। मादा की डाइट 8-10 किलो से घटाकर 6-8 किलो कर दी गई है। 'दर्शकों के न आने से पशु-पक्षियों को अब कोई डिस्टरबेंस नहीं है, इसलिए वह आराम तलब हो गए हैं। बिल्ली प्रजाति के जानवर तो वैसे भी मानव से दूर रहते थे। इन दिनों वे आराम कर रहे हैं। हिरण भी कम दौड़ रहे हैं।'
-डॉ. यूसी श्रीवास्तव, पशु चिकित्सक, प्राणि उद्यान