फर्रुखाबाद: थानाध्यक्ष रामराज यादव हत्याकांड में पांच को उम्रकैद, 16 साल पहले उतारा था मौत के घाट
फर्रुखाबाद में16 वर्ष पहले बदमाशों से हुई मुठभेड़ में थानाध्यक्ष को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था। इस मामले में पांच बदमाशों को दोषी पाया गया है। कोर्ट ने उम्रकैद के साथ 50-50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता। 16 वर्ष पहले अपहरण के आरोपितों की गिरफ्तारी के दौरान कन्नौज जिले के तिर्वा थाना के तत्कालीन प्रभारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एंटी डकैती न्यायालय ने पांच बदमाशों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
जनपद कौशांबी के थाना क्षेत्र करारी के गांव इशहाकपुर पथरा निवासी उपनिरीक्षक रामराज यादव सितंबर 2006 में कन्नौज के तिर्वा थानाध्यक्ष थे। 16 सितंबर 2006 को रामराज यादव अपनी टीम के साथ फर्रुखाबाद के शमसाबाद थाना क्षेत्र में अपहरण के आरोपित की गिरफ्तारी के लिए आए थे। वहां पर बदमाशों ने उनको गोली मार दी थी। लोहिया अस्पताल में लाए जाने से पहले उनकी मौत हो गई थी। तिर्वा थाने में तैनात सिपाही मुन्ना जबी ने शमसाबाद थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्या और जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया था। थानाध्यक्ष रामराज यादव के साथ पुलिस टीम गांव कुइयांधीर से पसियापुर जंगल की ओर जाते वक्त छह-सात बदमाशों को देख थानाध्यक्ष ललकारा तो वह फायरिंग करने लगे। थानाध्यक्ष ने बदमाश लोकेंद्र उर्फ टंपू को पकड़ कर जमीन पर गिरा लिया। हाथापाई में टंपू ने तमंचे से उनको गोली मार दी। बदमाशों की फायरिंग से सिपाही गया प्रसाद व दारोगा उदयवीर सिंह भी घायल हो गए। जवाबी फायरिंग में टंपू के भी गोली लगी। घायल पुलिस कर्मियों को संभालने के दौरान बदमाश अपने घायल साथी टंपू को पास में स्थित गन्ने के खेत में खींच ले गए।
मुकदमे के विवेचक तत्कालीन कायमगंज कोतवाली प्रभारी जितेंद्र सिंह परिहार ने 23 जनवरी 2007 को शमसाबाद थाना क्षेत्र के गांव मुरैठी निवासी राजीव यादव, पप्पू, बबलू उर्फ वीरपाल, सर्वेश, कायमगंज के गांव ज्योना निवासी भीमसेन उर्फ भीमा व गांव अलादादपुर निवासी सुग्रीव यादव के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एंटी डकैती न्यायालय के अपर जिला सत्र न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने अभियुक्त राजीव यादव, पप्पू, बबलू उर्फ वीरपाल, सर्वेश, भीमसेन उर्फ भीमा को दोषी करार देते हुए हत्या में आजीवन कारावास, 30-30 हजार रुपये जुर्माना, जानलेवा हमले में सात वर्ष की कैद 10-10 हजार रुपये जुर्माना, दहशत फैलाने में पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना, असलहे लहराने में पांच-पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया है। राजीव यादव को अवैध शस्त्र रखने में दो साल की कैद व पांच हजार रुपये जुर्माने की अतिरिक्त सजा सुनाई। मामले के छठे आरोपित सुग्रीव यादव की मुकदमा चलने के दौरान मौत हो गई। कैंसर पीड़ित दोषी भीमसेन वर्तमान में शाहजहांपुर जेल में बंद है। न्यायाधीश ने उसको वीडियो कांफ्रेंसिंग से फैसला सुनाया।
थाना प्रभारी के सीने में लगी थी गोली: मुठभेड़ के वक्त पुलिस टीम में रहे सिपाही मुन्ना जबी, गया प्रसाद व दारोगा उदयवीर सिंह ने न्यायालय में दिए बयान में कहा कि थाना प्रभारी रामराज यादव ने आरोपित बदमाश टंपू को जब पकड़ा तो उसने गोली चला दी, जो रामराज यादव के सीने में लगी। थाना प्रभारी को संभालने के दौरान वह लोग भी घायल हो गए। लोहिया अस्पताल में भर्ती कराने के कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। जवाबी फायरिंग में टंपू के भी गोली लगी थी। एक सप्ताह बाद उसका शव गंगा कटरी में मिला। न्यायाधीश ने तीनों चश्मदीद के बयान को मुकदमे का मुख्य साक्ष्य मानते हुए आरोपितों को दंडित किया है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि उनकी ओर से कुल 11 गवाह पेश किए गए, जिसमें प्रमुख रूप से नगर मजिस्ट्रेट जमीर आलम, दारोगा फेरू सिंह, सत्यपाल सिंह, देवीराम, मुकदमे के विवेचक इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह परिहार, डा. नरेंद्र कुमार, डा. अनल शुक्ला की गवाही कराई गई।
फैसले की जानकारी मिलते ही भर आया पत्नी का गला: थाना प्रभारी रामराज यादव की हत्या के बाद उनकी पत्नी तारावती को दारोगा के पद पर नौकरी मिली थी। वह इस समय जनपद गाजीपुर के थाना सुघौल में प्रभारी हैं। मोबाइल फोन पर जब उन्हें फैसले की जानकारी मिली तो उनका गला भर आया। उन्होंने बताया कि पति की कमी हमेशा खलती रहेगी। उनके न रहने पर वह अपनी बेटी शिवानी व पुत्र नवनीत का पालन-पोषण तो कर रही हैं, लेकिन बच्चों को पिता की याद आने पर वह उदास हो जाते हैं। उन्हें न्यायालय के फैसले पर पूरा भरोसा था।
फूट-फूट रोये दोषियों के स्वजन: थाना प्रभारी की हत्या के मुकदमे में बुधवार को एंटी डकैती न्यायालय के न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने दोषियों को सजा सुनाई तो परिसर में उनके स्वजन भी मौजूद थे। फैसले की जानकारी मिलते ही दोषी वीरपाल की बहन मीना और अन्य स्वजन फूट-फूटकर रोने लगे। मीना ने बताया कि वह भाई व अन्य लोगों को बचाने के लिए उच्च न्यायालय की शरण में जाएंगी।