शहर के दो सबसे बड़े मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त, सहायक औषधि आयुक्त ने की कार्रवाई Kanpur News
एलएलआर अस्पताल के सामने स्थित मेडिकल स्टोर में कई जिलों के औषधि निरीक्षकों की टीम ने छापा मारकर पकड़ा था।
कानपुर, जेएनएन। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने शहर के दो सबसे बड़े मेडिकल स्टोरों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। ये दोनों मेडिकल स्टोर एलएलआर अस्पताल हैलट के सामने स्थित हैं और प्रतिदिन लाखों रुपये दवा की बिक्री करते आ रहे हैं। इस कार्रवाई के बाद शहर के अन्य मेडिकल स्टोर संचालकों में खलबली मची है। कार्रवाई के लिए सहायक औषधि आयुक्त के नेतृत्व में कई जिलों के औषधि निरीक्षकों को बुलाकर टीम बनाई गई थी और लखनऊ की राजकीय प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट आने के बाद लाइसेंस निरस्त किया गया है।
इस तरह पकड़ में आया खेल
एबॉट इंडिया लिमिटेड अपनी यूडिलीव-300 एमजी की आपूर्ति सूबे में बड़े पैमाने पर करती है। अचानक बिक्री कम होने पर मुंबई से एबॉट इंडिया लिमिटेड के अधिकारी राज्य औषधि आयुक्त से मिले और बताया कि यूडिलीव-300 एमजी दवा के नाम से नकली दवा बाजार में बिक रही है। नमूने की जांच की जाए तो मामला पकड़ में आएगा। इसके बाद मुख्यालय के सहायक औषधि आयुक्त अरविंद गुप्ता के नेतृत्व में कानपुर मंडल के सहायक औषधि आयुक्त शशि मोहन गुप्ता, कानपुर नगर, देहात, औरैया, इटावा एवं उन्नाव के औषधि निरीक्षकों टीम ने कंपनियों के अधिकारियों के साथ विभिन्न जगह पर छापेमारी कर नमूने लिए।
औषधि निरीक्षक संदेश मौर्या के मुताबिक जांच टीम ने 27 जुलाई को एलएलआर अस्पताल (हैलट) के सामने स्थित कोहली मेडिकल स्टोर, पायनियर मेडिकल स्टोर एवं जेके कैंसर संस्थान स्थित नारायण फार्मेसी में छापा मारकर यूडिलीव- 300 एमजी टेबलेट बैच नंबर यूडीबी 8014 के नमूने भरे। बिरहाना रोड स्थित चार थोक दवा व्यापारियों के यहां से भी नमूने लिए। उन्हें लखनऊ स्थित राजकीय प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा।
जांच रिपोर्ट में सामने आया ये सच
मेडिकल स्टोरों में एबॉट इंडिया लिमिटेड के नाम पर नकली दवा की बिक्री की जा रही थी। नकली दवा फैटी लिवर के उपचार की थी, जो खडिय़ा से बनी थी। मेडिकल स्टोर से बरामद दवा के नमूने की जांच में नकली होने की पुष्टि हुई। लखनऊ से 26 अगस्त को जांच रिपोर्ट में दवा में सॉल्ट की मात्रा शून्य थी और उसमें दवा की बजाए खडिय़ा थी। दवा पर गोवा की एबॉट इंडिया लिमिटेड कंपनी का नाम होने के चलते विभाग ने कंपनी से रिपोर्ट मांगी है।
नहीं प्रस्तुत कर सके दवा खरीद के साक्ष्य
औषधि निरीक्षक के मुताबिक कोहली मेडिकल स्टोर के संचालक प्रेम कुमार कोहली और पायनियर मेडिकल स्टोर के राजेश कुमार सक्सेना को नोटिस देकर दवा खरीद के साक्ष्य मांगे गए। राजेश कुमार ने दवा कहां से खरीदी यह नहीं बता सके। प्रेम कुमार ने फतेहपुर के मलवां स्थित कुमार मेडिकल स्टोर से दवा खरीद के बिल दिए। उसकी जांच फतेहपुर के औषधि निरीक्षक से कराई तो बिल फर्जी मिले। वहां से प्रेम कुमार कोहली के नाम से कोई बिल ही नहीं बना, बल्कि जो बिल मिला वह भदवा के पूजा मेडिकल स्टोर के नाम से था।
इनकी रिपोर्ट का इंतजार
नारायण फार्मेसी, बिरहाना रोड की शिवम फार्मेसी, फार्मा ट्रेडर्स, विष्णु केमिस्ट एवं दिनेश टे्रडर्स के नमूनों की रिपोर्ट का इंतजार है। औषधि निरीक्षक संदेश मौर्या ने बताया कि दोनों मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। कंपनी की गोवा स्थित निर्माता यूनिट को नमूने भेजकर दवा का मिलान करने, उस बैच की दवा कितने मात्रा में बनाकर कहां-कहां भेजी गई। उसकी रिपोर्ट मांगी है। उसके आधार पर ही संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएंगे।