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कानपुर से कारोबार समेट कर पश्चिम बंगाल जाएंगे चमड़ा उद्यमी

रियायतों के चलते वहां की सरकार से सौ उद्यमियों ने मांगी भूमि, 270 एकड़ की गई आवंटित।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 05:45 PM (IST)
कानपुर से कारोबार समेट कर पश्चिम बंगाल जाएंगे चमड़ा उद्यमी
कानपुर से कारोबार समेट कर पश्चिम बंगाल जाएंगे चमड़ा उद्यमी

कानपुर [जितेंद्र शर्मा]। मिल-कारखानों की लगातार बंदी और पलायन देख चुके कानपुर के लिए फिर खतरे की घंटी बजी है। शहर को दुनिया में पहचान दिलाने वाला चमड़ा उद्योग भविष्य में सिमटने की राह पर चल पड़ा है। बीते डेढ़ साल में टेनरियों की शिफ्टिंग और बंदी की अनिश्चितता के चलते करीब 1500 करोड़ रुपये के निर्यात आर्डर रद होने के बाद यहां के उद्यमियों ने बंगाल का रुख कर लिया है।

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उत्तर प्रदेश के हालात को देखते हुए करीब एक वर्ष पहले पश्चिम बंगाल सरकार के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए कानपुर के करीब सौ उद्यमियों ने वहां की सरकार को जमीन के लिए आवेदन किया था। पश्चिम बंगाल सरकार सौ उद्यमियों के लिए 270 एकड़ भूमि रियायती दरों पर आवंटित कर रही है। कोलकाता में हो रहे बंगाल समिट में शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उद्यमियों को आवंटन पत्र सौपेंगी। लगातार अनिश्चितता के चलते संचालकों का मन खट्टा होता गया। कुंभ के दौरान गंगा प्रदूषित न हों, इस चिंता में भी टेनरियों को बंद कर दिया गया है। उद्यमियों ने इसे लेकर नाराजगी भी जताई थी।

इसका असर कोलकाता की बंगाल समिट में दिखाई दे रहा है। गुरुवार से शुुरू हुए इस समिट में कानपुर से भी कई उद्यमी शामिल हुए हैं। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोट्र्स (सीएलई) के सेंट्रल रीजनल चेयरमैन जावेद इकबाल ने बताया कि बंगाल सरकार रियायती दर पर इंडस्ट्रियल इस्टेट में जमीन दे रही है। उनका प्रस्ताव काफी अच्छा है। इसे देखते हुए ही कानपुर के लगभग सौ चमड़ा उद्यमियों ने औद्योगिक भूमि के लिए आवेदन किया है। शुक्रवार को समिट में ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता उद्यमियों को आवंटन पत्र सौपेंगी। उद्यमी जावेद इकबाल ने बताया कि कानपुर में परिस्थितियां मुश्किल हैं। उद्यमी कारोबार बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए विस्तार के लिए बंगाल में इकाई स्थापित करना चाहते हैं।

हालांकि, कानपुर से भी एक साथ बंद नहीं कर सकते लेकिन धीरे-धीरे कारोबार शिफ्ट हो सकता है। उद्यमी अशरफ रिजवान का कहना है कि, उन समेत सभी प्रमुख चमड़ा उद्यमियों ने जमीन मांगी है। उनका कहना है कि हमें कारोबार करना है लेकिन यहां ऐसी परिस्थितियां नहीं रहीं। कानपुर में निवेश शून्य कर बंगाल में कारोबार बढ़ाएंगे। यहां निवेश ही नहीं करेंगे तो कुछ समय बाद इकाई बंद भी कर दी जाएगी। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के पूर्व चेयरमैन मुख्तारुल अमीन ने बताया कि कानपुर में टेनरी के विस्तार को सीमित कर दिया गया है। उद्यमी कारोबार बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए कानपुर के बजाए बंगाल में विस्तार इकाई लगा रहे हैं।

इसलिए जागा बंगाल प्रेम

-बंगाल सरकार 2100 रुपये मीटर की दर से विकसित भूमि औद्योगिक क्षेत्र में दे रही है।

-प्रदूषण के मानकों से जुड़ा पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकार अपने पैसों से लगवा रही है।

-हवाई के साथ समुद्री परिवहन होने से निर्यातकों का परिवहन खर्च भी काफी कम हो जाएगा।

कानपुर से इसलिए मोहभंग

- यहां मेगा लेदर क्लस्टर में भी भूमि 7-8 हजार रुपये मीटर की दर पर प्रस्तावित।

- सभी इकाइयों को अपने ट्रीटमेंट प्लांट लगाने हैं, फिर भी आएदिन बंदी का संकट।

- निर्यात के लिए यहां से पोर्ट सिटी तक माल भेजने का भारी-भरकम खर्च।


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