'भू-परीक्षक' से 40 सेकेंड में जानें मिट्टी की सेहत
जागरण संवाददाता, कानपुर : अब किसानों को खेतों की मिंट्टी परीक्षण के लिए भटकने की जरूरत नहीं अ
जागरण संवाददाता, कानपुर : अब किसानों को खेतों की मिंट्टी परीक्षण के लिए भटकने की जरूरत नहीं और न ही रिपोर्ट के इंतजार की। 'भू-परीक्षक' खेत में 40 सेकेंड में मोबाइल पर मिंट्टी की गुणवत्ता बता देगा। इसके बाद किसान जरूरत के मुताबिक उर्वरक का प्रयोग खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकेंगे। किसानों के लिए यह वरदान रूपी डिजिटल यंत्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) की वित्तीय सहायता से तैयार किया है।
किसानों की सबसे बड़ी समस्या उर्वरक चयन को लेकर होती है। वह दुकानदारों के निर्देशों के आधार पर खेतों में उसका छिड़काव खेतों में करते हैं। कई बार यह फैसला गलत साबित हो जाता है। खेत को जिस पोषक तत्व की जरूरत नहीं होती है वह भी किसान डाल देते हैं। ऐसे में मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और पैदावार बढ़ने के बजाय कम हो जाती है। किसानों के लिए मिट्टी की जांच कराना आसान नहीं है। कृषि विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थानों में पुराने ढर्रे पर ही लैब में जांच होती है और काफी इंतजार करना पड़ता है लेकिन अब इस यंत्र के बनने के बाद किसान आसानी से खेत में ही मिट्टी की जांच कर यह पता लगा लेंगे कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हैं। आइआइटी के केमिकल इंजीनिय¨रग विभाग के प्रो.डॉ. जयंत कुमार सिंह ने इस यंत्र को बनाने के लिए यूपीएसआइडीसी एमडी रणवीर प्रसाद से वित्तीय मदद मांगी थी। किसान हित में उन्होंने इसे स्वीकार कर सीएसआर फंड से वित्तीय मदद दी। गुरुवार को आइआइटी के प्रोफेसर व शोध छात्रों ने एमडी रणवीर प्रसाद के सामने नानकारी में इस यंत्र का परीक्षण किया। इसके परिणाम काफी उत्साहवर्द्धक रहे।
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डेढ़ वर्ष में तैयार हुआ यंत्र
डॉ. जयंत, डॉ.प्रीति श्रीवास्तव, डॉ.अरुण सिंह, चंद्रशेखर, अंकित श्रीवास्तव ने डेढ़ वर्ष की मेहनत से इसे तैयार किया है। इसकी लागत करीब 40 से 50 हजार रुपये आई है।
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15-20 मिनट में एक हेक्टेयर खेत की जांच
एक हेक्टेयर खेत की जांच करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है। डॉ. जयंत के मुताबिक 10 ग्राम मिट्टी को 100 ग्राम पानी में घोला जाता है। उसे फिर छन्नी की सहायता से छानकर दूसरे गिलास में रख लिया जाता है। यंत्र के एक सिरे को गिलास के अंदर डाला जाता है, जबकि दूसरे छोर पर मोबाइल अटैच रहता है। करीब 40 सेकेंड के अंदर मोबाइल स्क्रीन पर मिट्टी की गुणवत्ता की पूरी जानकारी होती है।
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एप के जरिए चलेगा
डॉ.जयंत ने बताया कि भू-परीक्षक यंत्र मोबाइल एप की मदद से चलेगा। इसमें मिट्टी में फॉरफोरस, नाइट्रेट, पोटैशियम के साथ ही मैग्नेशियम, कैल्शियम का फीसद मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएगा। इस जानकारी को सुरक्षित रखने के साथ ही ऑनलाइन भी शेयर किया जा सकता है। इसके जरिए मिट्टी की अम्लीय प्रकृति की भी जांच की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि अभी एप को नाम नहीं दिया गया है, जल्द ही इसे भू-परीक्षक से संबंधित नाम दिया जाएगा और यह गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकेगा।
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दूसरे देश मिट्टी की जांच में आगे
मिट्टी की जांच के मामले में दूसरे देश काफी आगे हैं। वहां यह कार्य रोबोट कर रहा है। यूएसए में कुछ ही सेकेंड में मिट्टी की गुणवत्ता का पता चल जाता है।
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पेटेंट की प्रक्रिया जारी
भू-परीक्षक यंत्र को पेटेंट कराने की प्रक्रिया जारी है। अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए भी प्रयास किया जाएगा। यंत्र तैयार करने वाली टीम अब इसकी लागत 10 हजार से कम करने की तैयारी कर रही है।
''भू-परीक्षक यंत्र अन्न उत्पादकता बढ़ाने में किसानों की मदद करेगा। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सीएसआर फंड से वित्तीय मदद दी जाएगी। उद्यमियों से भी इसमें सहयोग कराएंगे।- रणवीर प्रसाद, एमडी यूपीएसआइडीसी
'' यह डिजिटल यंत्र किसानों के लिए काफी मददगार साबित होगा। मिट्टी परीक्षण के लिए किसानों की परेशान नहीं होना पड़ेगा।- डॉ.जयंत कुमार सिंह, प्रोफेसर आइआइटी