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अब इतिहास बन जाएगी लाल इमली, बंद करने के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल कमेंट्स की प्रक्रिया पूरी

बीमार मिलों को बंद करने की प्रक्रिया के तहत फैसला लिया गया है इसके बाद से कर्मचारियों का बकाये वेतन के भुगतान की मांग तेज कर दी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 06:58 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:58 AM (IST)
अब इतिहास बन जाएगी लाल इमली, बंद करने के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल कमेंट्स की प्रक्रिया पूरी
अब इतिहास बन जाएगी लाल इमली, बंद करने के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल कमेंट्स की प्रक्रिया पूरी

कानपुर, जेएनएन। कभी जिस मिल के हूटर से सैकड़ों परिवारों की जीविका चलती थी। इसी हूटर से शहर दौड़ता था, आज वह बीते दिनों की याद बन चुका है और जल्द ही इतिहास बनने वाला है। इस लाल इमली मिल को बंद करने के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल कमेंट्स की प्रक्रिया पूरी हो गई है। बुधवार को लाल इमली कर्मचारी यूनियन के संयोजक आशीष पांडेय व अध्यक्ष अजय सिंह ने प्रबंधन से कर्मचारियों के बकाया भुगतान की मांग की।

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बीमार मिलों को बंद किए जाने की प्रक्रिया तीन वर्षों से चल रही है। इसके तहत ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (बीआइसी) व हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम्स एक्सपोट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के तहत आने वाले प्रतिष्ठानों को बंद किए जाने का निर्णय लिया गया है। संस्थान प्रबंधन के अनुसार किसी भी प्रतिष्ठान पर निर्णय लेने से पहले इंटर मिनिस्ट्रियल कमेंट्स की प्रक्रिया होती है जो पूरी होने की संभावना है। बीआइसी के तहत आने वाली मिलों को बंद करने की प्रक्रिया 2017 से चल रही है। उपक्रम बंद करने की प्रक्रिया लंबी होती है। जिस स्थान पर उपक्रम स्थापित है वहां की जमीन के प्रयोग किए जाने को लेकर अलग अलग बिंदुओं पर तैयार प्रस्ताव पर कैबिनेट से अलग से मंजूरी लेनी होती है।

550 कर्मचारियों का 50 करोड़ बकाया

लाल इमली कर्मचारी यूनियन के संयोजक आशीष पांडेय ने बताया कि बीआइसी चेयरमैन से कर्मचारियों का बकाया भुगतान किए जाने की मांग की गई है। लाल इमली के 550 कर्मचारियों का प्रबंधन पर 50 करोड़ का भुगतान बकाया है। कर्मचारियों को 24 महीने से वेतन नहीं मिला, जबकि 2006 से एरियर बाकी है। 2012 से लीव इनकैशमेंट दिया जाना है।

28 वर्ष से घाटे में चल रही है मिल

लोई व गर्म कंबल के लिए कभी दुनिया में प्रसिद्ध रही लाल इमली 1992 से घाटे में चल रही है। इसी वजह से 2008 में उत्पादन घट गया और 2012 में पूरी तरह बंद हो गया। 


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