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गुलाबी गेंद से ही चमके थे चाइनामैन कुलदीप यादव, जानिए क्या होती है इस गेंद की खासियत Kanpur News

कुलदीप ने दलीप ट्राफी के तीन मैचों में गुलाबी गेंद से झटके थे 17 विकेट इसी के बाद हुआ था आस्ट्रेलिया दौरे पर चयन।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 10:33 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 11:54 AM (IST)
गुलाबी गेंद से ही चमके थे चाइनामैन कुलदीप यादव, जानिए क्या होती है इस गेंद की खासियत Kanpur News
गुलाबी गेंद से ही चमके थे चाइनामैन कुलदीप यादव, जानिए क्या होती है इस गेंद की खासियत Kanpur News

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। भारत और बांग्लादेश के बीच शुक्रवार से गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले डे-नाइट टेस्ट मैच को लेकर क्रिकेट प्रेमियों से लेकर खिलाड़ी तक संशय में हैं कि ये गेंद किस तरह कमाल करेगी। दोनों टीमें पहली बार डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने जा रही हैं और भारत में पहली बार गुलाबी गेंद से मैच खेला जाएगा। हालांकि इस गेंद का प्रयोग भारत के घरेलू मैचों में किया जा चुका है। यह गुलाबी गेंद ही थी, जिसने देश के पहले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव को राष्ट्रीय स्तर पर चमका दिया था।

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2016 में खेला गया गुलाबी गेंद से प्रथम श्रेणी मैच

वर्ष 2016 में ग्रेटर नोएडा के शहीद पथिक सिंह स्टेडियम में दलीप ट्राफी के तीन मैचों में कानपुर के कुलदीप यादव ने गुलाबी गेंद से 17 विकेट झटके थे। इसके तुरंत बाद उनका चयन आस्ट्रेलिया दौरे पर जा रही भारतीय टीम में हो गया था। यह पहला मौका था, जब भारत में गुलाबी गेंद से प्रथम श्रेणी मैच खेला गया। इस पिच को तैयार करने वाली टीम में दलजीत सिंह के साथ बीसीसीआइ के पिच सलाहकार और ग्रीनपार्क के तत्कालीन क्यूरेटर शिवकुमार भी शामिल थे।

कलाई से स्पिन कराते हैं कुलदीप

शिवकुमार के मुताबिक, 2016 में दलीप ट्रॉफी के पहले मैच में इंडिया रेड की ओर से खेलते हुए कुलदीप यादव ने 88 रन देकर छह विकेट झटके थे। कुल तीन मैचों में चाइनामैन कुलदीप 17 विकेट झटककर सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज बने। भारत में सिंगल स्पिनर यानी अंगुली से गेंद घुमाने वाले गेंदबाज तो मिलते हैं लेकिन शेन वार्न की तरह कलाई के स्पिनर नहीं हैं। हरभजन सिंह कुछ गेंदों को कलाई से स्पिन कराते हैं लेकिन कुलदीप अधिकतर गेंद कलाई से स्पिन कराते हैं। इसीलिए गुलाबी गेंद के साथ वह अधिक घातक सिद्ध हुए और राष्ट्रीय फलक पर छा गए।

पतला होता है गुलाबी गेंद का चमड़ा

शिवकुमार बताते हैं, गुलाबी गेंद का चमड़ा पतला होता है, इसलिए गेंद जल्दी चमक खोकर घिसने लगती है। इससे गेंदबाजों को स्विंग में आसानी होती है। ओस में गुलाबी गेंद लाल के मुकाबले अधिक तेज जाती है। गेंद को घिसने से बचाने के लिए एक तय मानक के अनुसार पिच पर घास रखी जाती है। ऐसा न होने पर पिच की सतह से गेंद घिस जाती है। घास होने से तेजी और घिसने से स्विंग, यह दो कारण स्पिनर को गुलाबी गेंद से मारक बनाते हैं। 


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