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जानिए, चित्रकूट के रिटायर्ड पोस्टमास्टर को लोग क्यों कहने लगे 'प्राणेश' Chitrakoot News

कर्वी के सेवानिवृत्त पोस्टमास्टर रामलाल हर बारिश में पौधे लगाकर संतान की तरह पालते हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 04:19 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:37 AM (IST)
जानिए, चित्रकूट के रिटायर्ड पोस्टमास्टर को लोग क्यों कहने लगे 'प्राणेश' Chitrakoot News
जानिए, चित्रकूट के रिटायर्ड पोस्टमास्टर को लोग क्यों कहने लगे 'प्राणेश' Chitrakoot News

चित्रकूट, [शिवा अवस्थी]। पोस्टमास्टर रहकर लोगों तक अपनों का संदेश पहुंचाते रहे और जब नौकरी से सेवानिवृत्त हुए तो प्राणेश नाम की पहचान मिली। उनका उपनाम प्राणेश ऐसे ही नहीं है बल्कि काम ही ऐसा है कि वह लोगों की जिंदगी में प्राण भर रहे हैं। आंखों के सामने पिता की सांस टूटती देखने के बाद वह अपने काम में इस कदर रम गए कि लोग उन्हें प्राणेश पुकारने लगे।

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संतान की तरह पालते हैं पौधे

कर्वी के रहने वाले राम लाल द्विवेदी 'प्राणेश' छह साल में धर्म नगरी के मठ-मंदिरों व नदियों के आसपास ढाई सौ से अधिक पौधे लगा चुके हैं। वह पौधारोपण व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के साथ पौधा लगाकर उसे बेटा समझकर बड़ा होने तक देखभाल भी करते हैं। प्रतिदिन कामकाज के बाद वह पौधों की देखभाल करने निकल पड़ते हैं। उनके अभियान से अब अन्य लोग भी प्रेरित होकर कदम बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि इंसान के प्राण ऑक्सीजन में हैं और इसे ही प्राण वायु भी कहते हैं। यह हमें पेड़-पौधों से ही मिलती है, इसलिए आने वाले पीढि़ की जिंदगी में प्राण भरने के लिए पौधों को बचाना जरूरी है।

पिता को थी सांस की बीमारी

रामलाल बताते हैं कि पिता श्रीधर को सांस की बीमारी थी। जब पढ़ाई कर रहे थे तभी वर्ष 1976 में पिता के निधन से परिवार में दिक्कतें आ गईं। ऐसे में हमेशा कक्षा में टॉपर रहने के बाद भी बड़ी प्रतियोगिताओं में नहीं जा सका। मन में पिता की सांस की बीमारी को लेकर टीस रहती थी। जब हरियाली घटती है तब प्रदूषण बढ़ता है और सांस रोगियों की संख्या भी। यही सोचकर पोस्टमास्टर पद पर नौकरी के दौरान लोगों को पौधे लगाने, पर्यावरण बचाने की सीख देना शुरू किया। सेवानिवृत्त हुआ तो पौधारोपण और उनके संरक्षण की मुहिम छेडऩे का पूरा समय मिल गया।

ट्री गार्ड का करते इंतजाम

पौधे सुरक्षित रहे, इसलिए रामलाल पौधा लगाने के साथ ट्री गार्ड का भी इंतजाम करते हैं। कामदगिरि परिक्रमा पथ पर आंवला, हनुमान मंदिर, मंदाकिनी पुल घाट व चित्रकूट इंटर कॉलेज में 22 पौधे लगाए। इनमें बरगद, पीपल व पाकड़ के पौधे अब बड़े होने लगे हैं। बरहा हनुमान मंदिर के पास एक दर्जन, गया प्रसाद महाविद्यालय सीतापुर व भरत कूप मंदिर में 14 पौधे लगाकर उनकी सेवा कर रहे हैं। बेड़ी पुलिया बस अड्डा के आसपास पीपल, पाकड़ के 24 पौधे लगाए, जो पेड़ बनने की ओर बढ़ चले हैं। अब प्रकृति प्रेमियों से जल, जंगल बचाने की गुहार लगाते हैं। सभी को प्रति माह कम से कम एक पौधा रोपने को कहते हैं।

अब गांव-गांव जाकर रोपेंगे पौधे

अब वह अपनी टीम में कर्वी, सीतापुर, भरतकूप, शिवरामपुर व चित्रकूट परिक्रमा पथ के आसपास रहने वाले युवाओं को जोडऩे का काम कर रहे है। उनकी यह टीम गांव-गांव जाएगी और पौधारोपण के लिए प्रेरित करने के साथ खुद पौधारोपण भी करेगी।


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